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चंद्रयान-2 पर तंज कसने वाले फवाद का देश पाक कहां खड़ा होता है ISRO के सामने, जानें - fawad khan on chandryan

चंद्रयान2 पर भारत की चुटकी लेने वाले पाकिस्तान की नेशनल स्पेस एजेंसी (SUPARCO) पर एक नजर डालते हैं और जानते हैं कि वो भारत की इसरो के सामने कहां खड़ी होती है.

फवाद चौधरी ( फाइल फोटो)

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Published : Sep 7, 2019, 9:48 PM IST

Updated : Sep 29, 2019, 8:00 PM IST

नई दिल्ली: पाकिस्तान के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री फवाद चौधरी ने चंद्रयान2 से संपर्क टूट जाने पर भारत का मजाक बनाते हुए चंद्रयान 2 को खिलौना बताया. उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि सो जा भाई मून की जगह मुंबई उतर गया खिलौना.

पाक नेता ने कहा प्रिय, भारत पागलों की तरह चंद्रयान जैसे मिशन या एलओसी के पार अभीनंदन जैसे लोगों को सीमा पार भेजने में अपना धन व्यर्थ न करें बल्कि इस धन को गरीबी मिटाने के लिए इस्तेमाल करे.

फवाद चौधरी का बयान

उन्होंने कहा कि कश्मीर भारत का एक और चंद्रयान होगा और कीमत चंद्रयान से कही अधिक. पाकिस्तान की नेशनल स्पेस एजेंसी SUPARCO (स्पेस एंड अपर एटमॉस्फियर रिसर्च कमिशन), जिसकी स्थापना 1961 में की गई थी, चीनी निर्मित प्रक्षेपण यान का उपयोग करके अपने पहले संचार उपग्रह को कक्षा में लॉन्च करने में 50 साल लगे, वह भी चीन की सहायक कंपनी की एयरोस्पेस एंड टेक्नोलॉजी कॉर्पोरेशन की मदद से.

फवाद चौधरी का बयान

वह एजेंसी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) से आठ साल पहले स्थापित की गई थी. जहां एक तरफ इसरो ने दशकों से एक के बाद एक कई रिकॉर्ड बनाए, जिसमें में 104 उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने जैसे विश्व रिकॉर्ड शामिल है जिसे 2017 में इसरो नें बनाया था. वहीं, दूसरी ओर पाकिस्तान की अंतरिक्ष एजेंसी ने मात्र असफलताओं की श्रृंखला ही देखी है.

58 वर्षों में, SUPARCO को उन्नति और नवाचार की निरंतर दर सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक धन और संसाधनों से वंचित किया गया है. उपमहाद्वीप की सबसे पुरानी एजेंसी की हालत आज खुद अर्थव्यवस्था की स्थिति पर नहीं, बल्कि पाकिस्तान के राजनेताओं की उदासीनता के लिए जिम्मेदार है.

एजेंसी की वास्तविक गिरावट 1980 और 1990 के दशक में आई थी, जब तत्कालीन राष्ट्रपति ज़िया-उल-हक ने प्रमुख उपग्रह परियोजनाओं के लिए धन की कटौती की थी, जिसमें प्रमुख उपग्रह संचार लॉन्च भी शामिल था.

अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करने की की नीति पाकिस्तान के अंतरिक्ष कार्यक्रम में परिलक्षित हुई. जब उन्होंने अब्दुस्सलाम को अहमदिया होने के लिए और नोबल विजेता को अंतरिक्ष एजेंसी के विकास के लिए जो सहायता की पेशकश की थी, वो हैरान करने वाली थी.

सैन्य जनरलों ने वैज्ञानिकों को संगठन में बदल दिया और एजेंसी का ध्यान स्वतंत्र अनुसंधान से भारत का मुकाबला करने में लग गया.

अंतरिक्ष एजेंसी के वर्तमान अध्यक्ष, कैसर अनीस खुर्रम, पूर्व शीर्ष जनरल हैं.

अंतरिक्ष एजेंसी को आवंटित शर्मनाक बजट को देखते हुए, चौधरी ने हाल ही में एक साहसिक घोषणा की कि पाकिस्तान 2022 में अपना पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियान शुरू करेगा.

उनके इस बयान को को एक मिनट के लिए गंभीरता से लेने की कोशिश की जाती है, तो यह उपलब्धि किसी ऐसे देश में वैज्ञानिक और तकनीकी पुनर्जागरण से कम नहीं होगी, जो अपने पड़ोसियों के आंतरिक मामलों के अंतर्राष्ट्रीयकरण पर ध्यान केंद्रित करता है.

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में केवल कुछ मुट्ठी भर विश्वविद्यालय ही वैमानिकी इंजीनियरिंग की डिग्री प्रदान करते हैं और वहां वैज्ञानिक अनुसंधान और विकास के लिए कम संस्थान हैं.

अंतरिक्ष शटल, एक लॉन्चपैड, मिशन नियंत्रण सुविधाओं, और ट्रैकिंग और डेटा रिले उपग्रहों का निर्माण या खरीद सभी बड़े पूंजी निवेश के रूप में गिनती करते हैं और भारी रिटर्न की गारंटी इन मिशनों की उच्च सफलता दर पर निर्भर करती है.

पढ़ें- नासा संबंधी तथ्य: पिछले 60 साल में असफल रहे हैं 40 प्रतिशत चंद्र मिशन

बता दें कि मई माह में यह बस कहने के लिए कहा गया था कि हबल स्पेस टेलीस्कोप को नासा के बजाय सुपरकारो द्वारा अंतरिक्ष में भेजा गया था.

'दुनिया की सबसे बड़ी दूरबीन ... सुपर्को [स्पेस एंड अपर एटमॉस्फियर रिसर्च कमिशन] द्वारा भेजी गई थी.'

जियो न्यूज से बात करते हुए चौधरी ने दावा किया कि "... देखने का एक तरीका हबल टेलीस्कोप है, जो दुनिया का सबसे बड़ा टेलीस्कोप और सुपरकारो द्वारा [अंतरिक्ष में भेजा गया], जो एक उपग्रह में स्थापित है.

Last Updated : Sep 29, 2019, 8:00 PM IST

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