नई दिल्ली :भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में भारी सैन्य क्षमता के साथ घातक सैन्य संघर्ष में लिप्त हो सकते हैं. लेकिन कुछ समय में टेस्ट किए गए तंत्र अभी भी गलतफहमी को दूर करने और सीमा शांति बनाए रखने में मदद कर रहे हैं.
हां, यह सच है कि अरुणाचल प्रदेश में दो देशों को विभाजित करने वाले घने जंगलों वाली सीमा पर शांति स्थापित करने के लिए दोनों देश एक दूसरे की सहायता कर रहे हैं.
इसकी एक मिसाल उस समय देखने को मिली, जब मंगलवार को चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने पूर्वोत्तर भारत में भारतीय समकक्षों को सूचित किया कि टैगिन जनजाति के पांच लापता अरुणाचली युवकों को चीन में पाया गया है. इस पर भारतीय सेना ने कहा कि भारत उनकी वापसी के लिए जरूरी कार्रवाई कर रहा है.
भारतीय सेना के एक अधिकारी ने कहा कि इस घटना को बहुत अधिक महत्व नहीं दिया जाना चाहिए. क्योंकि सीमाओं पर ऐसी घटनाएं सामान्य हैं. क्योंकि इस क्षेत्र में सीमा स्पष्ट रूप से चिह्नित नहीं है.
बता दें कि अरुणाचल प्रदेश चीन के साथ 1,126 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है.
असम के तेजपुर स्थित भारतीय सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल हर्ष वर्धन पांडे ने ईटीवी भारत को बताया कि यहां सीमावर्ती क्षेत्र में घने जंगल हैं, जहां सीमा का कोई स्पष्ट सीमांकन नहीं है. स्थानीय लोग शिकार करने के लिए इस क्षेत्र में घूमते रहते हैं. सीमा के दोनों ओर के लोग एक ही स्टॉक, जातीय मूल के हैं, और एक ही भाषा बोलते हैं, उनके रिश्तेदार भी हैं. इसलिए सीमा पार करना एक सामान्य बात है और यह कोई बड़ी घटना नहीं है.
हर दिन सुबह 4:30 बजे, क्षेत्र में भारतीय और चीनी सेना एक दूसरे को समर्पित हॉटलाइन पर बुलाते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि सब ठीक है. हम इसे ओके ऑल कॉल कहते हैं.