दिसपुर : प्रसिद्ध संस्कृत कलाकार, गीतकार, अनुवादक रंजन बेजबरुआ को इस वर्ष 'राष्ट्रीय संस्कृत गीतकार' से सम्मानित किया गया है.
गौरतलब है कि कलाकार रंजन बेजबरुआ ने भारतीय संगीत को संस्कृत भाषा के माध्यम से और संस्कृत के माध्यम से भारतीय संगीत को लोकप्रिय बनाने में बहुत प्रयास किए हैं. संस्कृत अनुवाद के माध्यम से भारतीय भाषा और संगीत का आदान-प्रदान बेजबरुआ के सांस्कृतिक कार्यों का मुख्य विषय है. उनके गीतों की पुस्तक 'गीत-संस्कृतम्' में मूल और संस्कृत अनुवादित गीत संकलित है, जिनमें आनंद-सुधाकर, भारतीय सांस्कृतिक निबंधों का संग्रह प्रमुख है.
कलाकार रंजन बेजबरुआ के गीत विदेशों में भी लोकप्रिय हुए हैं. ऑडियो सीडी के अलावा, राष्ट्रीय मीडिया- आकाशवाणी, दूरदर्शन और इंटरनेट के माध्यम से विदेशों में बड़ी संख्या में पसंद किया गया है.
15 अगस्त, 2017 को इकबाल के उल्लेखनीय देशभक्ति गीत 'सारे जहां से अच्छा' के संस्कृत संस्करण को राष्ट्रीय टेलीविजन 'डीडी न्यूज' (वार्तावली) पर प्रसारित किया गया था. आज यह देश के सबसे लोकप्रिय संस्कृत गीतों में से एक है.
ऐसे ही डॉ. भूपेन हजारिका की विस्तीर्ण पारो रे, कवि रवींद्रनाथ टैगोर की 'एकला चलो रे', असम का प्रदेश गान 'ओ मोर आपोनार देश' अपने स्वयं के अनुवादों के साथ प्रस्तुत किया एवं रफी के जहां डाल डाल पर, एआर रहमान की 'भारत हमको जान से प्यारा है’ तथा महात्मा गांधी के प्रिय भजन 'वैष्णव जन तो' को भी संस्कृत में गाया है.