तिरुवनन्तपुरम: पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान ने शुक्रवार को केरल के राज्यपाल के रूप में शपथ ली. इस दौरान मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन भी मौजूद रहे. आरिफ मोहम्मद खान गुरुवार को तिरुवनंतपुरम पहुंचे थे.
केरल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हृषिकेश रॉय ने खान को यहां राजभवन में पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई. उन्होंने मलयालम में शपथ ली. इस अवसर पर मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी और अन्य शीर्ष अधिकारी भी मौजूद थे.
गवर्नर पद की शपथ लेते हुए आरिफ मो. खान खान(68) गुरुवार को यहां पहुंचे और उन्हें हवाई अड्डे पर गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया.
शहर में मौजूद होने के बावजूद विजयन हवाई अड्डे पर नए राज्यपाल का स्वागत करने नहीं जा सके थे. हालांकि बाद में उन्होंने खान को अपने घर खाने पर बुलाकर इसकी भरपाई की.
केरल के मुख्यमंत्री के साथ नवनियुक्त गवर्नर खान से पहले भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश पी. सदाशिवम इस पद पर थे. उनके कार्यकाल के पांच साल पूरे होने के बाद खान को इस पद पर नियुक्त किया गया है.
उत्तर प्रदेश के मूल निवासी खान ने 26 साल की उम्र में स्टूडेंट लीडर के तौर पर राजनीति में प्रवेश किया था. वह उत्तर प्रदेश विधानसभा और लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और वी. पी. सिंह के मंत्रिमंडलों में केंद्रीय मंत्री के तौर पर काम भी किया है.
अपने लंबे राजनीतिक कार्यकाल के दौरान खान ने कई दलों में काम किया है. शुरुआत उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह की भारतीय क्रांति दल से की थी, इसके बाद कांग्रेस, जनता दल और बहुजन समाज पार्टी में भी वह रह चुके हैं.
2004 में वह भाजपा में शामिल हुए थे, लेकिन तीन साल बाद ही उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया.
आरिफ ने 1986 में शाहबानो मामले को लेकर राजीव गांधी सरकार व कांग्रेस को छोड़ दिया था. वह तीन तलाक को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार के मुखर समर्थक रहे हैं. उन्होंने भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश पी.सदाशिवम की जगह ली है, जिनका पांच साल का कार्यकाल समाप्त हो चुका है.
अपनी नियुक्ति के बाद खान ने कहा था, 'यह सेवा का अवसर है. भारत जैसे देश में जन्म लेना सौभाग्य है, जो बेहद विशाल व विविधता से संपन्न है. यह मेरे लिए भारत के इस हिस्से को समझने का बड़ा अवसर है, जो भारत की सीमा बनाता है और जिसे भगवान के अपने देश के तौर पर जाना जाता है.'
खान 1985 में शाहबानो के फैसले के मद्देनजर संसद में अपने भाषण को लेकर चर्चा में आए. शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित तलाकशुदा मुस्लिम महिला को उसके पति से भरण-पोषण का पक्ष लिया, जिसे लेकर राजीव गांधी सरकार ने शुरुआत में समर्थन जाहिर किया था.
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हालांकि, जब सरकार ने मुस्लिम धर्मगुरुओं के दबाव में यू-टर्न लिया और एक विधेयक को लाकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को अमान्य कर दिया तो खान ने मंत्री से इस्तीफा दे दिया और इसके विरोध में कांग्रेस भी छोड़ दी.