लंदन : यूके की कोर्ट ने सोमवार को विजय माल्या की अपील खारिज कर दी है. अब उसके पास प्रत्यर्पण के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा है. रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस के न्यायाधीश स्टीफन इरविन और न्यायाधीश एलिजाबेथ लांग की दो सदस्यीय पीठ ने अपने फैसले में माल्या की अपील खारिज कर दी. कोरोना वायरस महामारी के कारण जारी 'लॉकडाउन' के कारण मामले की सुनवाई वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये हुई.
इससे पहले 10 अप्रैल को माल्या को लंदन के उच्च न्यायालय ने बड़ी राहत देते हुए कोर्ट ने एसबीआई के नेतृत्व वाले भारतीय बैंकों के समूह की उस याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी, जिसमें कर्ज के बोझ से दबे कारोबारी को दिवालिया घोषित करने की मांग की गई है, ताकि उससे तकरीबन 1.145 अरब पाउंड का कर्ज वसूला जा सके.
उच्च न्यायालय की दिवालिया शाखा के न्यायाधीश माइक ब्रिग्स ने माल्या को राहत देते हुए कहा कि जब तक भारत के उच्चतम न्यायालय में उनकी याचिकाओं और कर्नाटक उच्च न्यायालय के समक्ष समझौते के उनके प्रस्ताव का निपटारा नहीं हो जाता तब तक उन्हें वक्त दिया जाना चाहिए.
चीफ इन्सोल्वेंसी एंड कंपनी कोर्ट के न्यायाधीश ब्रिग्स ने गुरुवार को दिए अपने फैसले में कहा कि इस समय बैंकों को इस तरह की कार्रवाई आगे बढ़ाने का मौका देने की कोई वजह नहीं है.
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गौरतलब है कि भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व में भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के समूह ने माल्या को दिवालिया घोषित करने का अनुरोध किया है ताकि उस पर बकाया करीब 1.145 अरब पाउंड का कर्ज वसूला जा सके.
माल्या भारत में 9,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी और मनी लांड्रिंग मामले से जुड़ा है.
क्या है पूरा मामला
मामले में कब-कब क्या हुआ
- दो मार्च 2016 को विजय माल्या देश छोड़कर फरार हो गया.
- 18 अप्रैल 2016 को उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हुआ.
- 24 अप्रैल 2016 को माल्या का पासपोर्ट रद्द कर दिया गया.
- 29 अप्रैल 2016 को भारत ने ब्रिटेन से औपचारिक अपील की. इसमें माल्या को लौटाने का आग्रह किया गया था.