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आरटीपीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव, पर शरीर में एंटीबॉडी की भरमार

उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में स्थित एसएन मेडिकल कॉलेज में एक सीरो सर्वे कराया गया है. इस सीरो सर्वे में पता चला है कि कई लोगों की आरटीपीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी शरीर में एंटीबॉडी पाए गए हैं.

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Published : Oct 20, 2020, 4:53 PM IST

Updated : Oct 20, 2020, 6:27 PM IST

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लखनऊ : उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के एसएन मेडिकल कॉलेज की फैकल्टी, हेल्थकेयर वर्कर और अन्य लोगों के सीरो सर्वे में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. यहां दस प्रतिशत से ज्यादा ऐसे लोग सामने आए हैं, जिनकी हर बार आरटीपीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव थी, लेकिन उनके शरीर में एंटीबॉडी की भरमार है.

वहीं, ऐसे दस प्रतिशत कोरोना रिकवर लोग भी सामने आए हैं, जिनके शरीर में एंटीबॉडी ही नहीं बनी है. ऐसे लोग रिकवरी होने के बाद फिर से संक्रमित हो रहे हैं. एसएन मेडिकल कॉलेज की ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. नीतू चौहान ने चौंकाने वाले परिणाम आने पर सीरो सर्वे का दायरा बढ़ा दिया है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

एसएन मेडिकल कॉलेज की ब्लड बैंक और सीरो सर्वे प्रभारी डॉ. नीतू चौहान ने हाल में मेडिकल कॉलेज की फैकल्टी, हेल्थ वर्कर और अन्य लोगों की सीरो जांच रिपोर्ट तैयार की. इसमें यह बात सामने आई है कि कई ऐसे लोग भी हैं, जो कब और कहां संक्रमित हुए, उन्हें इसकी जानकारी भी नहीं है, लेकिन जब उन्होंने अपनी जांच कराई, तो उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई. अभी उनके शरीर में एंटीबॉडी का स्तर बेहतर है.

एंटीबॉडी का स्तर अच्छा

सीरो सर्वे प्रभारी डॉ. नीतू चौहान ने बताया कि 50 लोगों के सीरो सर्वे रिपोर्ट में छह ऐसे लोग भी सामने आए हैं. जिनकी आरटीपीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव आई थी, लेकिन उनके शरीर में कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बन चुकी है और एंटीबॉडी का स्तर भी बेहतर है. इससे स्पष्ट है कि यह लोग कहीं न कहीं से कोरोना संक्रमित हुए, लेकिन जब जांच कराई गई तब रिपोर्ट नेगेटिव आई.

100 में से दस में नहीं एंटीबॉडी

सीरो सर्वे प्रभारी डॉ. नीतू चौहान ने बताया कि एसएन मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक में अभी तक 86 लोगों ने प्लाज्मा डोनेट किया है. मगर, 100 ऐसे कोरोना रिकवर मरीज ही हमारे पास आए हैं. इनमें 10 ऐसे कोरोना रिकवर थे, जिनकी डोनर स्क्रीनिंग में खुलासा हुआ कि उनके शरीर में एंटीबॉडी नहीं बनी है, जबकि ये लोग ठीक होने के 40 से 60 दिन बाद ही प्लाज्मा डोनेट करने आए थे. इनकी इम्युनिटी कमजोर थी. कोरोना के भी लक्षण नहीं थे. इसलिए किसी में एंटीबॉडी नहीं बनी.

इम्युनिटी पर निर्भर एंटीबॉडी बनना

डॉ. नीतू चौहान का कहना है कि इम्युनिटी का प्रभाव एंटीबॉडी पर पड़ता है. जिसकी इम्युनिटी पावर अच्छी है, उसके अंदर एंटीबॉडी भी अच्छी मात्रा में बनेगी. इसके साथ ही जितने ज्यादा बीमारी के लक्षण आएंगे. कोरोना में ज्यादा बुखार आ आया है या सांस लेने में दिक्कत रही है, उसमें उतनी ही ज्यादा एंटीबॉडी बनेगी. इसलिए उनकी जांच में एंटीबॉडी नहीं आई हैं, जब उनकी काउंसलिंग की तो यह बात सामने आई कि वे कोरोना संक्रमित थे, लेकिन उन्हें बुखार नहीं आया था. कई ऐसे लोग भी थे, जिन्हें सिर्फ लॉस ऑफ टेस्ट या स्मैल की शिकायत थी.

एसएन मेडिकल कॉलेज के कर्मचारी और हेल्थ वर्कर कोरोना संक्रमित हुए और ठीक होने के बाद फिर संक्रमित हो गए. ऐसे लोगों की जांच रिपोर्ट में भी खुलासा हुआ है कि इनमें एंटीबॉडी बनी ही नहीं है. इस वजह से यह दोबारा संक्रमित हो गए. चिकित्सकों का कहना है कि जिन मरीजों की इम्युनिटी कमजोर है, उनमें एंटीबॉडी भी नहीं बन रही है, इसलिए ऐसे लोगों को अपनी इम्युनिटी बढ़ाने के लिए खानपान का विशेष ध्यान देना चाहिए.

तम्बाकू और शराब से घटी प्रतिरोधक क्षमता

एसएन मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों का कहना है कि जो लोग नियमित शराब या सिगरेट पीते हैं या तंबाकू चबाते हैं. ऐसे लोगों में कोरोना संक्रमण ठीक होने के बाद भी एंटीबॉडी का स्तर बहुत कम या एंटीबॉडी ही नहीं हैं. कई परेशानी हो रही है. ऐसे लोग फिर से संक्रमित हो रहे हैं. तंबाकू, शराब के खतरनाक तत्व शरीर में पहुंचकर रोगों से लड़ने की क्षमता कम करते हैं. इसी वजह से तंबाकू, शराब का सेवन करने वाले कोरोना रिकवर्ड में एंटीबॉडी नहीं हुई. ऐसे लोगों को थकान, घबराहट, बेचैनी के साथ कमजोरी की भी ज्यादा शिकायत है.

Last Updated : Oct 20, 2020, 6:27 PM IST

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