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मुंबई में नागरिकता कानून के खिलाफ 'महामोर्चा', आंदोलन का आह्वान

मुंबई के आजाद मैदान में शनिवार को उर्दू कवि फैज अहमद की लोकप्रिय कविता 'हम देखेंगे' के पाठ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ नारेबाजी के बीच बड़ी संख्या में महिलाओं समेत हजारों लोगों ने सीएए-एनआरसी-एनपीआर व्यवस्था के खिलाफ आंदोलन का आह्वान किया. जानें विस्तार से...

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सभागार, प्रतीकात्मक चित्र

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Published : Feb 15, 2020, 9:56 PM IST

Updated : Mar 1, 2020, 11:39 AM IST

मुंबई : मुंबई के आजाद मैदान में शनिवार को उर्दू कवि फैज अहमद की लोकप्रिय कविता 'हम देखेंगे' के पाठ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ नारेबाजी के बीच बड़ी संख्या में महिलाओं समेत हजारों लोगों ने सीएए-एनआरसी-एनपीआर व्यवस्था के खिलाफ आंदोलन का आह्वान किया.

'नेशनल एलायंस एगेंस्ट द सिटीजन एमेंडमेंट एक्ट (सीएए), प्रोपोज्ड नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (एनआरसी) एंड नेशनल पोपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर)' की महाराष्ट्र इकाई ने इस 'महा-मोर्चा' प्रदर्शन का आयोजन किया था.

मुम्बई के विभिन्न हिस्सों जैसे नवी मुम्बई, ठाणे जैसे उपनगरीय क्षेत्रों और महराष्ट्र के अन्य हिस्सों से लोग इस प्रदर्शन में शामिल होने के लिए पहुंचे थे.

इस मौके पर तिरंगा लहराते हुए और सीएए-एनआरसी-एनपीआर की निंदा करने वाली तख्तियां अपने हाथों में लिए प्रदर्शनकारियों ने 'मोदी, शाह से आजादी' सीएस और एनआरसी से आजादी जैसे नारे लगाये.

प्रदर्शनकारियों ने यह कहते हुए (एनपीआर या ऐसे किसी अन्य कवायद के दौरान) दस्तावेज नहीं दिखाने का संकल्प लिया कि वे अनादि काल से भारत के नागरिक हैं.

इस मौके पर सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ प्रस्ताव भी पारित किया गया.

यह भी पढ़ें- पूर्वोत्तर राज्यों में सीएए का मुद्दा शेष भारत से बिल्कुल अलग है : उपमन्यु हजारिका

विरोध-प्रदर्शन कर रहे लोगों ने सरकार से इस संसद सत्र में संशोधित नागरिकता कानून यानी सीएए को वापस लेने की मांग की.

Last Updated : Mar 1, 2020, 11:39 AM IST

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