मोतिहारी : बिहार में प्लास्टिक के खिलाफ आंदोलन में आंगनवाड़ी के बच्चे उल्लेखनीय भूमिका निभा रहे हैं. ऐसे समय में जब एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक के खतरों पर जागरूकता की आवश्यकता है, बिहार के गांव में प्री-स्कूल के बच्चे एक अच्छा उदाहरण स्थापित कर रहे हैं.
पूर्वी चंपारण के मधुछपरा गांव के आंगनवाड़ी केंद्र में जाने वाले बच्चे, वयस्कों को प्लास्टिक के दुष्प्रभाव के बारे में जागरूक कर रहे हैं.
आंगनवाड़ी में आने वाले बिट्टू कुमार ने बताया कि वह अपने पिता से प्लास्टिक न उपयोग करने की बात कहता है. बिट्टू ने अन्य लोगों से भी प्लास्टिक न उपयोग करने की अपील की.
कचरों के ढेर के पास लगी तख्तियों पर बच्चों ने नारे भी लिखे हैं. इन तख्तियों को गांव के डंपिंग यार्ड में लगाया गया है. डंपिंग यार्ड के चारों ओर प्लास्टिक के ढेर बिखरे हुए देखे जा सकते हैं.
गांव वालों का कहना है कि बच्चों के प्रयासों से गांव में एक सकारात्मक बदलाव आया है.
स्थानीय ग्रामीण राम नारायण पांडे ने बताया कि बच्चे नारे लगाते हुए गांव में घूमते हैं और बच्चों ने कई तख्तियां भी लगा रखी हैं.
राम नारायण पांडे ने बताया कि गांव के लोग अब काफी जागरूक हुए हैं. लोग समझते हैं कि उन्हें प्लास्टिक का उपयोग नहीं करना चाहिए. इससे प्लास्टिक-उपयोग में काफी कमी आई है
आंगनवाड़ी केंद्र में बच्चों को शिक्षित करने के अलावा ग्रामीणों को भी प्लास्टिक के उपयोग से दूर रहने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.
आंगनवाड़ी निदेशक विद्यांति देवी ने बताया कि वे बच्चों को प्लास्टिक का उपयोग नहीं करना सिखाते हैं क्योंकि यह पर्यावरण के लिए हानिकारक है. उन्होंने बताया कि बच्चे आंगनवाड़ी के बाद अपने माता-पिता के पास जाते हैं, और प्लास्टिक का उपयोग न करने की अपील करते हैं.
बकौल विद्यांति देवी, आंगनवाड़ी आने वाले माता-पिता को भी प्लास्टिक के दुष्प्रभाव के बारे में शिक्षित किया जाता है.
भले ही राज्य सरकार ने एकल उपयोग वाले प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया हो, लेकिन लोग प्रतिबंध का उल्लंघन करते देखे जा सकते हैं
भले ही प्लास्टिक पर लगे प्रतिबंध का उल्लंघन हो रहा है, लेकिन बच्चे काफी आगे निकल गए हैं. ऐसे में आशा है कि धरती की बेहतरी के लिए वयस्क भी इनका अनुसरण करेंगे.
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