दुर्गापुर : पश्चिम बंगाल की 16 साल की लड़की अनामिका गोराई देश के लिए गोल्ड मेडल जीतना चाहती हैं. दिव्यांग होने के बावजूद अनामिका ने अपनी सपनों की उड़ान को कभी कमजोर नहीं पड़ने दिया.
अनामिका देश को गोल्ड मेडल देकर गौर्वान्वित करना चाहती हैं. दूसरी तरफ डॉक्टरों के कई प्रयासों के बावजूद अनामिका को न्यूरोलॉजिकल संबंधी बीमारी से छुटकारा नहीं मिल सका है.
हालांकि, एक डॉक्टर ने अनामिका के लिए उनके माता-पिता को नियमित फिजियोथेरेपी प्रदान करने के लिए कहा था, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण ऐसा नहीं हो सका. अनामिका को फिजियोथेरपी नहीं मिली.
इस दौरान उनके एक रिश्तेदार ने अनामिका को तैराकी में शामिल होने का सुझाव दिया. उनका मानना था कि इससे अनामिका को बीमारी से छुटकारा पाने में काफी हद तक मदद मिलेगी.
इसके बाद छह साल की उम्र में अनामिका ने तैराकी में शामिल होने का मन बना लिया.बता दें कि तैराकी से यह उनका पहला परिचय था.
सन 2013 में अनामिका ने कोलकाता के कुमारतुली में राज्य पैरा तैराकी प्रतियोगिता में पहली बार बड़ी प्रतियोगिता जीतीं. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
2017 में, अनामिका ने इंदौर में पहली राष्ट्रीय पैरा तैराकी प्रतियोगिता में राज्य के लिए तीन रजत पदक जीते. अगले वर्ष, उन्होंने कर्नाटक में राज्य के लिए दो स्वर्ण और दो रजत पदक जीते.
अनामिका ने सपनों के पंख लगा लिए हैं, हालांकि उनके माता-पिता आज भी आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहे हैं. इधर अनामिका का तैराकी के प्रति प्रेम दिनप्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है. वह देश के लिए कुछ करना चाहती है.