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पश्चिम बंगाल की बेटी देश के लिए जीतना चाहती है 'गोल्ड मेडल' - anamika gorai paralympics

दोनों हाथ व पैर से दिव्यांग, फिर भी देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा. इस हौसले के साथ ही पश्चिम बंगाल की बेटी अनामिका गोराई आगे बढ़ रही हैं. वह तैराकी के माध्यम से देश को गोल्ड मेडल दिलवाना चाहती हैं. वहीं अनामिका के बेहतर भविष्य के लिए दुर्गापुर से ईटीवी भारत संवाददाता ने पश्चिम बंगाल के खेल मंत्री अरूप विश्वास से संपर्क किया है.

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Published : Oct 21, 2020, 8:01 PM IST

दुर्गापुर : पश्चिम बंगाल की 16 साल की लड़की अनामिका गोराई देश के लिए गोल्ड मेडल जीतना चाहती हैं. दिव्यांग होने के बावजूद अनामिका ने अपनी सपनों की उड़ान को कभी कमजोर नहीं पड़ने दिया.

अनामिका देश को गोल्ड मेडल देकर गौर्वान्वित करना चाहती हैं. दूसरी तरफ डॉक्टरों के कई प्रयासों के बावजूद अनामिका को न्यूरोलॉजिकल संबंधी बीमारी से छुटकारा नहीं मिल सका है.

वीडियो-बंगाल की बेटी का जज्बा

हालांकि, एक डॉक्टर ने अनामिका के लिए उनके माता-पिता को नियमित फिजियोथेरेपी प्रदान करने के लिए कहा था, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण ऐसा नहीं हो सका. अनामिका को फिजियोथेरपी नहीं मिली.

इस दौरान उनके एक रिश्तेदार ने अनामिका को तैराकी में शामिल होने का सुझाव दिया. उनका मानना था कि इससे अनामिका को बीमारी से छुटकारा पाने में काफी हद तक मदद मिलेगी.

इसके बाद छह साल की उम्र में अनामिका ने तैराकी में शामिल होने का मन बना लिया.बता दें कि तैराकी से यह उनका पहला परिचय था.

सन 2013 में अनामिका ने कोलकाता के कुमारतुली में राज्य पैरा तैराकी प्रतियोगिता में पहली बार बड़ी प्रतियोगिता जीतीं. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

2017 में, अनामिका ने इंदौर में पहली राष्ट्रीय पैरा तैराकी प्रतियोगिता में राज्य के लिए तीन रजत पदक जीते. अगले वर्ष, उन्होंने कर्नाटक में राज्य के लिए दो स्वर्ण और दो रजत पदक जीते.

अनामिका ने सपनों के पंख लगा लिए हैं, हालांकि उनके माता-पिता आज भी आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहे हैं. इधर अनामिका का तैराकी के प्रति प्रेम दिनप्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है. वह देश के लिए कुछ करना चाहती है.

राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी सफलता के बाद, अनामिका को जकार्ता में एशियाई पैरा तैराकी चैंपियनशिप में देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए बुलाया गया. हालांकि, उनके माता-पिता ने बड़ी वित्तीय कठिनाई के बीच अनामिका को जकार्ता भेजा, लेकिन चिकित्सकीय त्रुटि के कारण उन्हें तैराकी के लिए अनुमति नहीं दी गई.

2018 में जर्मनी में अंतर्राष्ट्रीय पैरा तैराकी चैंपियनशिप हुआ. यहां अनामिका ने चार डिवीजनों में देश का प्रतिनिधित्व किया और भारत के लिए अभूतपूर्व सफलता हासिल की.

अनामिका ने दुनिया को दिखा दिया, कि अगर कुछ कर गुजरने की चाह हो तो आसमान से तारे तोड़कर जमीन पर लाया जा सकता है.

अब अनामिका का एकमात्र लक्ष्य पैरालंपिक में भाग लेना और भारत के लिए स्वर्ण जीतना है.

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अनामिका को 50 मीटर बैकस्ट्रोक पसंदीदा इवेंट है. वह इस इवेंट में विश्व रिकार्ड से सिर्फ 10 सेकेंड पीछे हैं. 50 मीटर बैकस्ट्रोक इवेंट में उनका बेस्ट 16 सेकेंड का रहा है.

इधर, कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन के बाद से अनामिका का परिवार गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहा है और तैराकी का खर्च वहन करने को लेकर काफी चिंतित हैं.

इधर, दुर्गापुर से ईटीवी भारत संवाददाता ने पश्चिम बंगाल के खेल मंत्री अरूप विश्वास से संपर्क किया और अनामिका और उनके परिवार के बारे में पूरी जानकारी दी. जवाब में खेल मंत्री ने अनामिका के माता-पिता से मिलने का आश्वासन दिया है.

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