गुवाहाटीः केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक को भुलाया नहीं गया है, इसे फिर से लाया जाएगा.
शाह ने पूर्वोत्तर के राज्यों की चिंताओं को दूर करते हुए कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों के क्षेत्रों को प्राप्त विशेष कानून को नहीं छूआ जाएगा.
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार केवल असम से ही नहीं, बल्कि पूरे देश से सभी घुसपैठियों को बाहर निकालेगी.
राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) की अंतिम सूची 31 अगस्त को प्रकाशित हुई है. इसके बाद पहली बार गृह मंत्री शाह असम है. इस दौरान शाह ने अनुच्छेद 371 को खत्म किए जानें से जुड़ी शंकाओं का भी निराकरण किया.
बता दें, अनुच्छेद 371 पूर्वोत्तर के विभिन्न राज्यों के लिए लागू होता है और इसके जरिए धार्मिक और सामाजिक प्रथा के संबंध में उन्हें विशेष अधिकार प्रदान किए गए हैं.
इस यात्रा के दौरान गृह मंत्री ने भाजपा समर्थित पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन (नेडा) के घटक दलों की बैठक को संबोधित किया और कहा कि नागरिक संशोधन लागू के हम सुनिश्चित करेंगे कि सभी राज्यों में मौजूदा कानून बरकरार रहेंगे.
उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले कानून में बदलाव करने का हमरा इरादा नहीं है.
गौरतलब है कि शाह नेडा कि चौथी बैठक को संबोधित कर रहे थे. नेडा केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की तर्ज पर पूर्वोत्तर में यह गठबंधन है.
शाह, मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा, नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो और मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथंगा द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं पर जवाब दे रहे थे.
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गृह मंत्री बैठको को संबोधित करते हुए नागरिकता संशोधन विधेयक को फिर से लाने पर आशंका जाहिर किए ,क्योंकि इससे उनके संबंधित राज्यों की जनसांख्यिकी परिवर्तित हो सकती है.
पूर्वोत्तर राज्य चाहते है कि उनके राज्यों को नागरिकता संशोधन विधेयक के दायरे से बाहर रखा जाए.
बता दें, नागरिकता संसोधन विधेयक आठ जनवरी को लोकसभा ने पारित हुआ था लेकिन पूर्वोत्तर राज्यों में प्रदर्शन के बाद इस विधेयक को राज्यसभा में पेश नहीं किया गया.
यह बिल देश में से रह रहे सभी नागरिकों को बारह साल के बजाय सात सालों में भारतीय नागरिकता प्रदान करता है, चाहे वे किसी भी धर्म के हो या किसी अन्य देश से आए हुए शरणार्थी हों.
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गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नागरिकता संसोधन विधेयक की कट आफ डेट पहले की तरह 31 दिसंबर 2014 ही रहेगी.
उन्होंने कहा कि हमारी ओर से यह स्पष्ट है कि कोई अन्य तारीख नहीं होगी साथ ही कहा कि इनर लाइन परमिट (आईएलपी) के साथ अनुच्छेद 371 को नहीं छुआ जाएगा.
बता दें कि इनर लाइन परमिट (आईएलपी) केन्द्र सरकार द्वारा जारी एक अधिकारिक यात्रा दस्तावेज है, जो एक सीमित अवधि के लिए एक संरक्षित क्षेत्र में भारतीय नागरिकता को यात्रा की अनुमति देता है. संरक्षित क्षेत्रों में प्रवेश के लिए इनर लाइन परमिट लेना ऐसे राज्यों के बाहर के भारतीय नागरिकों के लिए अनिवार्य है.
शाह ने यह आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने इस क्षेत्र को देश के बाकी हिस्सों से अलग कर दिया था.
उन्होंने कहा कि हमारी मंशा असम में ही नहीं बल्कि पूरे देश से घुसपैठियों को बाहर करने की है.
शाह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने पूर्वोत्तर के राज्यों में संघर्ष का बीज बो दिया था और कहा कि कांग्रेस ने पूर्वोत्तर के राज्यों पर ध्यान नहीं दिया था, इस वजह से इन राज्यों में उग्रवाद पनपा है.
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उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा से फूट डालो और शासन करो की नीति में विश्वास करती है.
शाह जम्मू कश्मीर से जुड़े अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 371 के बीच के फर्क को समझाने का प्रयास कर रहे थे, इस दौरान उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 371 स्थायी प्रावधान है जबकि अनुच्छेद 370 अस्थायी था.
शाह ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि इन आश्वासनों के बाद नागरिकता संशोधन विधेयक और विशेष प्रावधान के संबंध में पूर्वोत्तर के मुख्यमंत्रियों की सभी आशंकाएं दूर हो गई होंगी.
इस यात्रा के दौरान शाह ने पूर्वोत्तर राज्य के आठों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की.
शाह ने यह स्पष्ट किया की नई नागरिकता संशोधन अधिनियम से 6 वीं अनुसूची में संशोधन नहीं होगा. 6 वीं अनुसूची के तहत कार्य करने वाले अधिकारी इनर लाइन परमिट का अधिकार लोगों को देते है. एलआईपी प्राप्त व्यक्ति बिशेष राज्य में रह सकते है. जिनके पास यह परमिट नहीं होती है वह राज्य में नहीं रह सकते है.
मीडिया से बात करते हुए असम के मंत्री और नेडा के संयोजक हेमंत बिस्व शर्मा ने कहा कि शाह पूर्वोत्तर राज्य के सभी मुख्यमंत्रियों की विभिन्न चिंताओं का निराकरण कर दिए है और कहा कि ज्यादातर चिंता इनर लाइन परमिट को लेकर थी.
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मेघालय के मुख्यमंत्री ने बैठक को बहुत ही साकारात्मक बताया है और कहा कि गृह मंत्री ने हमें आगे बढ़ने और स्थानीय संगठनों तथा राजनीतिक दलों के साथ संवाद करने को कहा ताकि विधेयक को लेकर किसी भी प्रकार की शंकाओं को दूर किया जा सके. इसके साथ ही यह भी कहा कि विधेयक को फिर से पेश होनें की तारीख तय नहीं हुई है.
अरूणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा कि शाह ने साफ कर दिया कि मूल लोगों की हिफाजत करने वाले कानूनों को नहीं छुआ जाएगा.