नई दिल्ली : सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून लागू होने के 14 साल पूरे हो गए. इस मौके पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि देश में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि लोगों को आरटीआई दाखिल करने की जरूरत ही न पड़े.
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि उनकी सरकार ने सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) को पारदर्शी बनाने के लिए कदम उठाए हैं. बकौल शाह, 'भारत सरकार प्रयासरत है कि ऐसी सुशासन प्रणाली स्थापित की जाए कि आरटीआई लगाने की आवश्यकता ही न पड़े.'
गृहमंत्री ने कहा कि पिछले 14 साल में आरटीआई एक्ट से जनता और प्रशासन के बीच की खाई को खत्म करने में बहुत मदद मिली है और जनता का प्रशासन व व्यवस्था के प्रति विश्वास बढ़ा है. शाह ने कहा कि मैं मानता हूं कि हमारी लोकतंत्र की यात्रा के अंदर आरटीआई एक्ट बहुत बड़ा मील का पत्थर है.
शाह ने कहा कि पिछले 14 वर्षों में केंद्रीय सूचना आयोग एवं सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम उन सभी उद्देश्यों को सफलतापूर्वक सिद्ध करने में सफल हुए हैं जिनके लिए इनकी कल्पना की गई थी. उन्होंने कहा कि आरटीआई अधिनियम ने पिछले 14 वर्षों में हमें एक जागरूक नागरिक और एक जवाबदेह सरकार देने में सफलता पाई है.
शाह ने कहा कि भारत सरकार सूचना के अधिकार को गरीब से गरीब तक पहुंचाने और इसकी प्रक्रिया को सरल और सुगम बनाने के लिए कटिबद्ध है. कार्यक्रम में मुख्य सूचना आयुक्त, सुधीर भार्गव ने कहा कि यह वार्षिक सम्मेलन आरटीआई कानून के कार्यान्वयन पर विमर्श के अलावा आत्मनिरीक्षण करने का भी मौका देता है.
गत 14 वर्षों में आरटीआई की भूमिका पर ईटीवी भारत ने इंडिया अगेंस्ट करप्शन के राष्ट्रीय संयोजक सरबजीत रॉय से बात की. रॉय ने दावा किया कि सार्वजनिक सूचना अधिकारी (पीआईओ) विवादास्पद मामले पर जानकारी नहीं देते हैं, 'बल्कि वह अपने विभाग को बचाने में रुचि रखते हैं.'
सरबजीत रॉय ने कहा, 'यह सच है कि ऐसी बहुत सी सूचनाएं हैं, जो सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं. हालांकि, विवादास्पद मुद्दों पर जानकारी प्राप्त करना असंभव है.' उन्होंने कहा कि आरटीआई कानून खुद परिपूर्ण था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसलों की गलत व्याख्या करके, जन सूचना पदाधिकारी सूचनाएं देने से मना कर देते हैं.