नई दिल्ली : व्हाटसएप ने इजरायल की साइबर खुफिया कंपनी एनएसओ ग्रुप पर मुकदमा दायर किया है. एनएसओ ग्रुप की ओर से भारतीय मानवाधिकार कार्यकर्ता और पत्रकारों को स्पाइवेयर द्वारा लक्षित कर उनकी जासूसी की गई है. वहीं फेसबुक के स्वामित्व वाले व्हाट्सएप ने 31 अक्टूबर को इस आशय की पुष्टि की है.
जासूसी पर मचे बवाल को लेकर भाजपा आईटी सेल अध्यक्ष अमित मालवीय ने दावा किया है कि एक्टिविस्ट और पत्रकारों की जासूसी व्हाट्सएप की कमियों को उजागर करती है, ना कि सरकार की.
भाजपा आईटी सेल अध्यक्ष अमित मालवीय ने ईटीवी भारत से बातचीत की... अमित मालवीय ने इस मसले पर ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान स्वीकार किया की सोशल मीडिया मंच व्हाटसएप के अधिकारियों ने कई बार सरकार से मुलाकात की, लेकिन इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी. उन्होंने तकनीकी जानकारियां सिर्फ साझा कीं.
बता दें कि इस मुद्दे पर राहुल गांधी ने राफेल मामले को लेकर ट्वीट भी किया था.
हालांकि आईटी सेल प्रमुख ने कांग्रेस की तरफ से लगाये गये आरोपों पर जवाब देते हुए कहा कि यह वही पार्टी है, जो अपने वित्त मंत्री के कार्यालय में जासूसी कराती थी, भारत के सेनाध्यक्ष की जासूसी कराती थी. कांग्रेस का चाल, चरित्र और चेहरा पूरे देश ने देखा है.
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'सरकार आम जनता की निजता के लिए प्रतिबद्ध'
मालवीय ने कहा कि जहां तक व्हाट्सएप के सर्विलांस की बात है, भारत सरकार इसके प्रति सजग है. इसके साथ ही सरकार आम जनता की निजता के लिए भी प्रतिबद्ध है और इसीलिए वह हमेशा व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया मंचों के अधिकारियों से बराबर सवाल-जवाब करती रहती है.
उन्होंने कहा कि व्हाट्सएप ने जो भी क्लेरिफिकेशन दिया है, उससे अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि आखिरकार कैसे यह जासूसी हुई.
व्हाट्सएप पर प्रतिबंध लगाया जाए या नहीं, इस प्रश्न पर मालवीय ने कहा, 'यह सरकार के अधिकार क्षेत्र में है और इसका निर्णय सरकार ही करेगी. लेकिन भारत की जनता की निजता में कुछ हनन होगा तो सरकार जरूर कोई कड़ा कदम भी उठाएगी.'
क्या है पूरा मामला
दरअसल, फेसबुक के स्वामित्व वाली कम्पनी व्हाट्सएप ने कहा है कि इजरायल स्पाईवेयर 'पेगासस' के जरिये कुछ अज्ञात इकाइयां वैश्विक स्तर पर जासूसी कर रही हैं. भारतीय पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता भी इस जासूसी का शिकार बने हैं.
व्हाट्सएप ने कहा है कि वह एनएसओ समूह के खिलाफ मुकदमा करने जा रही है. यह इजरायल की निगरानी करने वाली कम्पनी है. समझा जाता है कि इसी कम्पनी ने वह प्रौद्योगिकी विकसित की है, जिसके जरिये अज्ञात इकाइयों ने जासूसी के लिए करीब 1,400 लोगों के फोन हैक किये हैं.
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चार महाद्वीपों के उपयोगकर्ता इस जासूसी का शिकार बने हैं. इनमें राजनयिक, राजनीतिक विरोधी, पत्रकार और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी शामिल हैं. हालांकि, व्हाट्सएप ने यह खुलासा नहीं किया है कि किसके कहने पर पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के फोन हैक किये गये हैं.