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अमरनाथ यात्रा : बाबा के जयकारों के बीच श्रीनगर से छड़ी मुबारक रवाना

कोरोना वायरस के चलते विलंबित अमरनाथ यात्रा 21 जुलाई से शुरू हो रही है. दो पखवारे की यह यात्रा तीन अगस्त को सम्पन्न होगी. इस बीच श्रीनगर से पहलगाम के लिए आज प्रात:काल छड़ी मुबारक रवाना हुई. इस दौरान बाबा अमरनाथ के जयकारों से श्रीनगर गूंज उठा.

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छड़ी मुबारक यात्रा

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Published : Jul 5, 2020, 3:52 PM IST

Updated : Jul 5, 2020, 5:29 PM IST

श्रीनगर : श्रीनगर से पहलगाम के लिए आज प्रात:काल छड़ी मुबारक रवाना हुई. इस दौरान बाबा अमरनाथ के जयकारों से श्रीनगर गूंज उठा. कोरोना महामारी के मद्देनजर 21 जुलाई से शुरू हो रही अमरनाथ यात्रा में इस बार सावधानी बरती जा रही है. यह यात्रा 3 अगस्त को संपन्न होगी.

कोरोना महामारी के मद्देनजर वार्षिक अमरनाथ यात्रा को 'सीमित तरीके' से आयोजित करने पर जोर देते हुए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कहा कि सड़क मार्ग से 3,880 मीटर ऊंचाई पर स्थित पवित्र गुफा जाने के लिए रोजाना सिर्फ 500 यात्रियों को अनुमति दी जाएगी.

बता दें कि साधु-संतों के अलावा 55 साल से कम उम्र के श्रद्धालुओं को ही यात्रा की इजाजत दी गई है. बच्चे और बुजुर्ग इस बार बाबा बर्फानी के दर्शन नहीं कर सकेंगे.

प्रशासन ने यह भी कहा कि अमरनाथ तीर्थयात्रियों पर भी केंद्रशासित क्षेत्र में प्रवेश के दौरान की जाने वाली जांच की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) लागू होगी.

मुख्य सचिव बी.वी.आर. सुब्रमण्यम ने कहा, 'इस साल यात्रा सीमित तरीके से की जाएगी, जिससे यात्रा के दौरान कोविड-19 संबंधी मानक संचालन प्रक्रियाओं का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित हो सके. जम्मू से सड़क मार्ग से रोजाना अधिकतम 500 यात्रियों को ही जाने की अनुमति होगी.'

सुब्रमण्यम अमरनाथ यात्रा के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित उप-समित की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे.

एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि बैठक में उन्होंने तीर्थयात्रियों की सुरक्षा समेत अन्य प्रबंधों की समीक्षा की. दो रास्तों-अनंतनाग के पहलगाम और गांदरबल के बालटाल से 42 दिनों तक चलने वाली यह यात्रा गत 23 जून से शुरू होने वाली थी, लेकिन महामारी की वजह से इसमें विलंब हुआ.

'यात्रा 2020' की तैयारियों की समीक्षा के दौरान मुख्य सचिव ने कहा कि कोरोना महामारी के मद्देनजर आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत गठित की गई राज्य कार्यकारी समिति ने मानक संचालन प्रक्रियाएं जारी की हैं और इसके तहत जम्मू-कश्मीर आने वाले शत प्रतिशत लोगों के लिए आरटीपीसीआर जांच की जानी है.

उन्होंने कहा, 'जम्मू-कश्मीर में आने वाले सभी लोगों के नमूने लेकर जांच की जाएगी और जब तक उनकी रिपोर्ट में संक्रमण नहीं मिलने की पुष्टि नहीं हो जाती तब तक वे पृथक-वास में रहेंगे.' उन्होंने कहा कि पूर्व में यात्रियों के लिये शिविर के तौर पर इस्तेमाल होने वाली सुविधाएं फिलहाल पृथक-वास सुविधाओं के तौर पर इस्तेमाल की जा रही हैं.

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सुब्रमण्यम ने जोर देकर कहा कि जम्मू-कश्मीर में प्रवेश करने वाले व्यक्ति की जांच का एसओपी यात्रियों पर भी लागू होगा.

स्वास्थ्य विभाग के वित्तीय आयुक्त अटल डुल्लो ने भी स्वास्थ्य देखभाल के संदर्भ में अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि यात्रा ड्यूटी पर तैनात होने वाले डॉक्टरों और पैरामेडिकल कर्मियों के लिए दवाओं, पीपीई किट, मास्क, स्लीपिंग बैग और उपभोग की दूसरी वस्तुओं के पर्याप्त इंतजाम किए जा रहे हैं.

डुल्लो ने बताया कि बालटाल मार्ग पर दो बेस अस्पताल भी स्थापित किये जा रहे हैं. उन्होंने हालांकि यात्रा के दौरान पहले से पूरी क्षमता से जारी स्वास्थ्य सेवाओं पर और दबाव पड़ने को लेकर चिंता जाहिर की.

उन्होंने कहा, 'कश्मीर के 10 में से नौ जिले लाल निशान पर हैं और पूरा स्वास्थ्य महकमा इस चुनौती से निबटने के लिए अधिकतम प्रयास कर रहा है. इस साल जम्मू-कश्मीर को यात्रा के लिए बाहर से कोई चिकित्सक नहीं मिल पाएगा.'

Last Updated : Jul 5, 2020, 5:29 PM IST

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