हैदराबाद : 21 वीं सदी में अमेरिका के जितने भी राष्ट्रपति हुए हैं, सबने भारत का दौरा किया है. उन्होंने भारत की बढ़ती ताकत और उसके महत्व को स्वीकार किया है. भारत और अमेरिका आज रणनीतिक साझेदार बन चुके हैं. आइए एक नजर डालते हैं अलग-अलग अमेरिकी राष्ट्रपतियों के दौरे से भारत को क्या हासिल हुआ.
अमेरिकी राष्ट्रपतियों के दौरे से क्या हासिल हुआ, एक नजर
21 वीं सदी में भारत अमेरिका के रिश्तों की शुरुआत सन् 2000 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के दौरा के साथ हुई. 1978 में राष्ट्रपति जिमी कार्टर भारत के दौरे के बाद 22 साल में कोई अमेरिकी राष्ट्रपति भारत आया था.
बिल क्लिंटन की यात्रा से नई उम्मीदें बधीं
21वीं सदी की शुरुआत में भारत और अमेरिका के बीच बिल क्लिंटन की ऐतिहासिक यात्रा ने नई उम्मीदें बधीं थीं. दरअसल, 1998 में भारत ने दूसरी बार परमाणु परीक्षण किया था. उसके बाद कई देशों ने भारत पर प्रतिबंध लगा दिए थे. इसकी पृष्ठभूमि में क्लिंटन की यात्रा के कई मायने थे.
क्लिंटन ने एक व्यापक दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए, जिसने एक विजन के साथ 21 वीं सदी में भारत-अमेरिका संबंधों को बदलने की नींव रखी गई. नई सदी में दोनों देशों के बीच साझेदारी बढ़ी. द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा और परामर्श के लिए बहुपक्षीय बैठकों पर सहमति बनी.
दोनों देशों के नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के खात्मे को महत्वपूर्ण वैश्विक चुनौती माना. आतंकवाद से लड़ने पर सहयोग को लेकर सहमत हुए. आर्थिक वार्ता को संस्थागत रूप देने के लिए द्विपक्षीय बातचीत पर सहमति बनी. सामान्य आर्थिक एजेंडा विकसित करने के लिए कोऑर्डिनेटिंग ग्रुप बनाने पर सहमति बनी. व्यापार पर भारत-अमेरिका ने कार्य समूह बनाया.
दोनों देशों के बीच वैज्ञानिक सहयोग के लिए भारत-अमेरिका विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंच की स्थापना की गई.
2006 में जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने किया भारत का दौरा
2006 में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश भारत की यात्रा पर आए. इस दौरान उन्होंने भारत के साथ छह नए समझौते किए. जिनमें दोनों देशों के बीच व्यापार और उद्योग को बढ़ावा देने के लिए निवेश करने की अधिक स्वतंत्रता को शामिल किया. इसके अलावा सेवाओं के क्षेत्रों में, लोगों की मुक्त आवाजाही, टैरिफ में कमी और उसे हटाने पर जोर दिया गया. दोनों पक्षों में गैर-टैरिफ बाधाओं और कृषि और निर्मित वस्तुओं पर सब्सिडी को लेकर समझौता हुआ.
बुश ने अपनी यात्रा पर इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड का निर्माण पर समझौता किया और दोनों देशों ने कृषि, जैव प्रौद्योगिकी और नैनो टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने के साथ साथ स्कील डव्लपमेंट और इंडो यूएस उद्योगिक केंद्र खोलने और विवाद समाधान तंत्र स्थापित करने के लिए हस्ताक्षर किए गए.
इसके अलावा इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, ऊर्जा संरक्षण, मानव संसाधन विकास, टेक्नोलॉजी एक्सचेंज, ट्रेड एंड इंडस्ट्रीज, व्यक्तिगत संपत्ति संरक्षण और स्वास्थ्य, रक्षा, तेल व गैस फूड एंड एग्रीकल्चर, टेलीकॉम, बायोटेक्नोलॉजी, रियल स्टेट और संचार के क्षेत्र में अहम समझौते हुए.
बुश के बाद 2010 में राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने भारत के साथ एक सुरक्षित और स्थिर दुनिया को बढ़ावा देने के लिए अपने देशों के बीच सहयोग को तेज करने का संकल्प लिया.
हाल के वर्षों में रक्षा सहयोग ने क्षेत्रीय शांति और स्थिरता पर आपसी समझ को मजबूत किया है, दोनों देशों की मानवीय क्षमता और आतंकवाद और चोरी जैसी अन्य चुनौतियों को पूरा करने के लिए संबंधित क्षमताओं को बढ़ाया है.
दोनों देशों के बीच अंतरराष्ट्रीय सहकारी गतिविधियों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की.
दोनों पक्षों ने भारत द्वारा स्थापित किए जा रहे ग्लोबल सेंटर फॉर न्यूक्लियर एनर्जी पार्टनरशिप में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन का स्वागत किया और जैविक आतंकवाद के खतरे के बारे में गहरी चिंता व्यक्त की.
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बराक ओबामा की यात्रा के दौरान भारत-यूएस के कार्यान्वयन के लिए असैन्य परमाणु समझौता हुआ
ओबामा की यात्रा के दौरान उन्होंने जैविक और टॉक्सिन वेपन्स कन्वेंशन के पूर्ण कार्यान्वयन को प्राप्त करने की आवश्यकता पर बल दिया और 2011 में एक सफल बीडब्ल्यूसी समीक्षा सम्मेलन के लिए आशा व्यक्त की.
दोनों नेताओं ने बहुपक्षीय, गैर-भेदभावपूर्ण और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परमाणु हथियारों या अन्य परमाणु ऊर्जा उपकरणों के लिए फिसाइल सामग्री के भविष्य के उत्पादन पर प्रतिबंध लगा दिया.