नई दिल्ली :पिछले छह साल से लगातार भारतीय जनता पार्टी ओबीसी वोटरों और गरीब मजदूरों को रिझाने के लिए देश में अनेक योजनाएं लेकर आ रही है. कहीं न कहीं यह वोट बैंक बहुत हद तक भारतीय जनता पार्टी के खाते में जुड़ते नजर भी आ रहे थे, लेकिन 2020 के शुरुआत से ही लॉकडाउन और कोरोना वायरस से फैली अव्यवस्था और पलायन ने बीजेपी के किए कराए पर पानी फेर दिया. इस वजह से बिहारी मजदूरों के वोट बैंक पर भारतीय जनता पार्टी की इस बार के चुनाव में पकड़ ढीली नजर आ रही है. ऊपर से कृषि संबंधित बिल को लेकर भी किसान वर्ग भाजपा से बहुत ज्यादा खुश नजर नहीं आ रहा. ये तमाम मुद्दे पार्टी के शीर्ष नेताओं के बीच मंथन का विषय बने हुए हैं.
सवर्ण जाति के वोट बैंक में भी हो सकता है बंटवारा
बिहार में जातिगत समीकरण देखा जाए तो 15% वोट उच्च जातियों का है. इनमें भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण और कायस्थ आते हैं. हमेशा से भाजपा का फोकस या यूं कहे कि कांग्रेस का भी फोकस सवर्ण जाति के वोट बैंक पर रहा है, लेकिन इस बार इसमें भी सेंधमारी की कोशिश राष्ट्रीय जनता दल ने की है. दर्जन भर से ज्यादा सवर्ण उम्मीदवारों को राष्ट्रीय जनता दल ने टिकट दिए हैं. यह बात अपने आप में भारतीय जनता पार्टी के लिए चिंता का सबब बनी हुई है. इसके अलावा राष्ट्रीय जनता दल ने इस बार अति पिछड़ी जाति को 24 सीटों पर उम्मीदवार बनाया है. उच्च जाति और महिला वोट बैंक हमेशा से भारतीय जनता पार्टी के परंपरागत वोट बैंक रहे हैं. बिहार में इस बार राष्ट्रीय जनता दल ने भी 30 महिलाओं को टिकट दिया है.
दोबारा सरकार बनने जा रही : शाहनवाज हुसैन
जेपी नड्डा ने अपनी रैली में बुधवार को इन तमाम मुद्दों से वोटरों का ध्यान हटाते हुए इशारों में टुकड़े-टुकड़े गैंग की तरफ विमर्श मोड़ने का प्रयास किया और बिहार की जनता से अपील की है कि वह विपक्ष यानी टुकड़े-टुकड़े गैंग का अगर साथ देते हैं, तो बिहार के लिए सुरक्षित नहीं होगा. पार्टी के नेता शाहनवाज हुसैन का कहना है कि बिहार में विकास के रथ को और आगे बढ़ाना है. नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के नेतृत्व में दोबारा वहां भारतीय जनता पार्टी सरकार बनाने जा रही है. तमाम मुद्दों को दरकिनार करते हुए शाहनवाज हुसैन का कहना है कि विकास में जनता को भरोसा है और वहां पर राष्ट्रीय जनता दल की पूरी तरह से हार होगी.