नई दिल्ली : केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 27 दिनों से गतिरोध जारी है. केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच छह दौर की वार्ता होने के बावजूद गतिरोध बना हुआ है. किसान नेताओं ने कहा है कि केंद्र सरकार को तीनों कानूनों को निरस्त करना ही होगा. दूसरी ओर सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि जिन प्रावधानों को लेकर आपत्ति है उनमें संशोधन किया जाएगा.
ताजा घटनाक्रम में किसान नेता श्रवण सिंह पंढेर ने कहा है कि यह सरकार द्वारा यह एक कदम आगे नहीं है, बल्कि किसानों को बरगलाए जाने का एक तरीका है. एक सामान्य व्यक्ति यह सोचता है कि किसान जिद्दी हैं, लेकिन तथ्य यह है कि हम कृषि कानूनों में संशोधन नहीं चाहते हैं, हम चाहते हैं कि वे पूरी तरह से दूर हो जाएं.
दरअसल, सरकार और किसान नेताओं के बीच बीते 8 दिसंबर को अंतिम बार वार्ता हुई थी. इसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और लगभग दर्जनभर किसान नेता शरीक हुए थे. इसके बाद किसान नेताओं ने कहा कि सरकार के अड़ियल रवैये के कारण कोई वार्ता नहीं की जाएगी.
गौरतलब है कि विगत 26 नवंबर से ही कई किसान संगठन दिल्ली-हरियाणा सीमा पर सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर व उत्तर प्रदेश से लगती सीमा पर धरना दे रहे हैं. इस संबंध में संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि सरकार जब तक तीनों कानूनों को रद्द नहीं करती, उनका विरोध जारी रहेगा.
दिलचस्प है कि कृषि मंत्री तोमर ने गत 17 दिसंबर को एक पत्र लिखकर किसानों से गतिरोध समाप्त करने की अपील की थी. तोमर ने अपने पत्र में 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध का भी जिक्र किया था. उनके पत्र को पीएम मोदी ने रीट्वीट कर कहा था कि कृषि मंत्री ने अपनी भावनाएं किसानों के सामने रखी हैं, तोमर के पत्र को अन्नदाता जरूर पढ़ें.
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बता दें कि केंद्र और किसानों के बीच तीन दिसंबर को हुई सात घंटे की मैराथन वार्ता बेनतीजा रहने के बाद पांच दिसंबर को अगली बैठक का फैसला लिया गया था. किसानों और केंद्र सरकार के बीच अंतिम वार्ता विगत पांच दिसंबर को होने के बाद आठ दिसंबर के भारत बंद के बाद गृह मंत्री शाह और कुछ किसान नेताओं के बीच भी बैठक हुई थी. शाह के साथ बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा था कि सरकार अड़ियल रूख दिखा रही है. अब वार्ता नहीं होगी.
इससे पहले शुक्रवार, 18 दिसंबर को पीएम मोदी ने मध्य प्रदेश के किसानों को संबोधित करते हुए कृषि कानून का विरोध कर रहे लोगों को आड़े हाथों लिया था. उन्होंने कहा था 'बीते कई दिनों से देश में किसानों के लिए जो नए कानून बने, उनकी बहुत चर्चा है. ये कृषि सुधार कानून रातों-रात नहीं आए. पिछले 20-22 साल से हर सरकार ने इस पर व्यापक चर्चा की है. कम-अधिक सभी संगठनों ने इन पर विमर्श किया है. देश के किसान, किसानों के संगठन, कृषि एक्सपर्ट, कृषि अर्थशास्त्री, कृषि वैज्ञानिक, हमारे यहां के प्रोग्रेसिव किसान भी लगातार कृषि क्षेत्र में सुधार की मांग करते आए हैं.'
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पीएम मोदी ने मध्य प्रदेश के रायसेन में आयोजित प्रदेश स्तरीय कृषि महासम्मेलन को संबोधन किया. मोदी ने कहा कि देश के किसानों को याद दिलाऊंगा यूरिया की. याद करिए, 7-8 साल पहले यूरिया का क्या हाल था? रात-रात भर किसानों को यूरिया के लिए कतारों में खड़े रहना पड़ता था या नहीं? कई स्थानों पर, यूरिया के लिए किसानों पर लाठीचार्ज की खबरें आती थीं या नहीं?
आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट का रूख
इससे पहले 17 दिसंबर को किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा वैकेशन बैंच इस मामले की सुनवाई करेगी. कोर्ट ने कहा किसान संगठनों की बात सुनने के बाद ही आदेश जारी किया जाएगा. उच्चतम न्यायालय ने संकेत दिया कि कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे किसानों और सरकार के बीच व्याप्त गतिरोध दूर करने के लिये वह एक समिति गठित कर सकता है क्योंकि यह जल्द ही एक राष्ट्रीय मुद्दा बन सकता है.
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बता दें कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर में किसान सम्मेलन में कहा था कि जल्द ही आंदोलन खत्म होगा. साथियों ने कहा कि विपक्षी दल देश भर में किसानों को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है. वह सफल नहीं होंगे. साथ ही उन्होंने ने कहा कि केवल पंजाब ही राज्य ऐसा है जो कृषि कानून का विरोध कर रहा है इसके पीछे बहुत सारे कारण हैं.
किसानों के आंदोलन की हर पल की खबरें-
- कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध-प्रदर्शन का पहला दिन
- कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध-प्रदर्शन का दूसरा दिन
- कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध-प्रदर्शन का तीसरा दिन
- कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध-प्रदर्शन का चौथा दिन
- पांचवें दिन भी डटे रहे अन्नदाता, कहा पीएम को सुनाना चाहते हैं अपने मन की बात
- कृषि कानून के विरोध का छठे दिन केंद्र सरकार और किसानों की वार्ता बेनतीजा
- कृषि कानूनों का विरोध, 7वें दिन किसानों ने कहा- संसद का विशेष सत्र बुलाए केंद्र सरकार
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- 9वें दिन के विरोध प्रदर्शन में किसानों की दो टूक- जारी रहेगा आंदोलन, 8 दिसंबर को भारत बंद
- कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन का 10वां दिन
- कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन का 11वां दिन
- किसान आंदोलन का 12वां दिन
- आंदोलन के 13वें दिन किसान नेताओं और गृह मंत्री अमित शाह के बीच बैठक
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