नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच जारी तनाव के बीच रविवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच टेलीफोन पर बातचीत हुई है. इस दौरान डोभाल ने कहा कि भारत एलएसी का पूरा सम्मान करता है. वहीं, चीन का कहना है कि वह अपनी क्षेत्रीय संप्रुभता की रक्षा करेगा.
वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बीते आठ हफ्ते से भारत और चीन के बीच तनाव जारी है. इस दौरान गत 15/16 जून की रात गलवान घाटी में दोनों देशों के बीच हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. झड़प में चीनी सैनिक भी हताहत हुए थे, लेकिन चीन ने जानकारी साझा नहीं की थी.
गलवान की घटना के हफ्तों बाद दोनों देशों द्वारा एलएसी पर तनाव कम करने की पहल शुरू की गई है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की है.
सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री व स्टेट काउंसलर वांग यी ने रविवार की रात करीब दो घंटे तक टेलीफोन पर बातचीत की. इस दौरान डोभाल और यी ने लद्दाख के पश्चिमी सेक्टर में जारी गतिरोध पर गहराई से चर्चा की.
इससे पहले जून में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गलवान झड़प को लेकर वांग यी के साथ फोन पर बातचीत की थी. बाद में दोनों नेताओं ने कोविड-19 सहयोग पर आरआईसी (रूस-भारत-चीन) ढांचे के तहत अपने रूसी समकक्ष के साथ एक आभासी बैठक में भाग लिया था. हालांकि, सीमा विवाद इस बैठक के एजेंडे का हिस्सा नहीं था.
डोभाल और वांग यी के बीच रविवार को हुई बातचीत काफी अहम मानी जा रही है, क्योंकि ये दोनों ही सीमा विवाद के समाधान के लिए विशेष प्रतिनिधि हैं.
चीन की मौजूदा सरकार के पद अनुसार विदेश मंत्री की तुलना में स्टेट काउंसलर पद बड़ा है. डोभाल 2017 तक यांग जीची के साथ काम कर रहे थे, जो चीनी स्टेट काउंसिलर और विशेष प्रतिनिधि थे. वांग यी तब केवल विदेश मंत्री थे.
भारत ने अब दो विशेष प्रतिनिधियों के बीच वार्ता चैनल दोबारा शुरू करके उच्च स्तर पर कूटनीतिक बातचीत का संकेत दिया है.
अधिकारियों के अनुसार, डोभाल और यी इस बात से सहमत थे कि मतभेदों को विवाद बनने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और दोनों ने भारत-चीन सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए शीर्ष राजनीतिक नेताओं के बीच मौजूदा सहमति को रेखांकित किया.