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एअर इंडिया को सितंबर तक मिल जाएंगे दो B777 विमान, जानें क्या है खास - भारतीय वायुसेना

भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य शीर्ष पदाधिकारी सितंबर महीने से B777 विमान में यात्रा कर सकेंगे. अमेरिकी कंपनी बोइंग सितंबर तक दो खास B777 विमानों को एयर इंडिया को सौंप सकती है. इन विमानों का परिचालन भारतीय वायुसेना के पायलट करेंगे. B777 विमान अत्याधुनिक मिसाइल रक्षा प्रणाली से लैस होंगे.

B777 aircraft
सांकेतिक चित्र

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Published : Jun 8, 2020, 4:53 PM IST

नई दिल्ली: भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य शीर्ष पदाधिकारी कुछ महीने बाद B777 विमान में यात्रा कर सकेंगे. अमेरिका की विमान निर्माता कंपनी बोइंग सितंबर तक दो B777 विमानों को एयर इंडिया को सौंप सकती है. इन विमानों को वीवीआईपी नेताओं की यात्रा के लिए निर्मित किया गया है.

बता दें कि वीवीआईपी यात्रा के लिए इस्तेमाल होने वाले इन दो विमानों की आपूर्ति जुलाई तक की जानी थी. वरिष्ठ अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि कोविड-19 महामारी के कारण विमानों की आपूर्ति में कुछ देरी हुई है. सितंबर तक दोनों विमानों की आपूर्ति होने की पूरी उम्मीद है.

B777 विमानों का परिचालन भारतीय वायुसेना के पायलट करेंगे. अधिकारियों ने बताया कि नए विमानों के रख-रखाव का जिम्मा एयर इंडिया की सहायक कंपनी एयर इंडिया इंजीनियरिंग लिमिटेड (एआईईएसएल) का होगा.

वर्तमान में देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति एयर इंडिया के B747 विमानों से यात्रा करते हैं, जिनपर 'एयर इंडिया वन' का चिह्न होता है. एयर इंडिया के पायलट ही B747 विमानों को उड़ाते हैं और एआईईएसएल उनका रख-रखाव करता है. B747 विमानों का इस्तेमाल भारतीय राष्ट्रीय परिवाहक व्यावसायिक परिचालनों के लिए भी किया जाता है.

यह दोनों विमान 2018 में कुछ महीनों के लिए एयर इंडिया के व्यावसायिक बेड़े का हिस्सा थे, जिसके बाद उन्हें वीवीआईपी यात्राओं के लिए नए पुर्जे जोड़ने के लिए बोइंग को वापस भेज दिया गया था.

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B777 विमानों का इस्तेमाल केवल गणमान्य लोगों की यात्रा में किया जाएगा. खास बात यह है कि B777 विमान अत्याधुनिक मिसाइल रक्षा प्रणाली से लैस होंगे, जिन्हें लार्ज एयरक्राफ्ट इंफ्रारेड काउंटरमेजर्स (एलएआईआरसीएम) और सेल्फ प्रोटेक्शन सूट्स (एसपीएस) कहा जाता है. फरवरी में अमेरिका ने भारत को यह दो रक्षा प्रणालियां बेचने की सहमति दी थी.

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने एयर इंडिया में अपनी हिस्सेदारी की विनिवेश की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी है, जिसके ऊपर 60,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है. हालांकि, कोविड-19 वैश्विक महामारी के चलते यह टल गया है.

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