नई दिल्ली:ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन (AIPA) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और वकील अशोक अग्रवाल ने केंद्र सरकार की ओर से जारी नई शिक्षा नीति में भाषा संबंधी दिशानिर्देश की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि स्थानीय भाषा में बच्चों को पढ़ाने का फैसला विभेदकारी है. उन्होंने कहा कि आज देश में अंग्रेजी भाषा दूसरे सभी भाषाओं पर राज कर रही है. ऐसे में बच्चे किस भाषा में शिक्षा ग्रहण करें. ये आजादी बच्चों के अभिभावकों पर छोड़ देना चाहिए.
'हाईकोर्ट ने हिंदी में दलील रखने की इजाजत नहीं दी थी'
अशोक अग्रवाल ने एक किस्सा बताते हुए कहा कि कुछ साल पहले करीब तीन हजार वकीलों ने दिल्ली हाईकोर्ट में पत्र लिखकर मांग की. कहा कि उन्हें हिंदी में भी दलीलें रखने की इजाजत दी जाए. उनका कहना था कि निचली अदालतों में काम करने वाले कई वकील हाईकोर्ट में हिंदी में अच्छी दलीलें पेश कर सकते हैं लेकिन हाईकोर्ट ने ये कहकर ये मांग खारिज कर दी कि कोर्ट की भाषा अंग्रेजी है. इसलिए हिंदी में दलीलें रखने की इजाजत नहीं दी जा सकती है.
'बहुराष्ट्रीय कंपनियां सरकारी स्कूलों के छात्रों का चयन नहीं करतीं'
अशोक अग्रवाल ने कहा कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों में नौकरियों में आवेदन करते समय एक कॉलम होता है कि अभ्यर्थी ने किस स्कूल और कॉलेज से पढ़ाई की है. बहुराष्ट्रीय कंपनियां सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाले अभ्यर्थियों का सेलेक्शन नहीं करती हैं. वे निजी स्कूलों में पढ़े अभ्यर्थियों का सेलेक्शन करती हैं जो अंग्रेजी मीडियम में पढ़े होते हैं.