नई दिल्ली : नए कृषि कानून पर किसान संगठनों का विरोध लगातार जारी है और अब एक बार फिर देशभर के किसान नवंबर महीने में दिल्ली कूच करेंगे. 250 किसान संगठनों को एक साथ जोड़ने वाली अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKSCC) ने घोषणा की है कि तीन कृषि कानूनों के विरोध में उनका आंदोलन जारी रहेगा.
समिति ने कहा कि दो अक्टूबर को गांधी जयंती के दिन देशभर में किसान उन पार्टियों के जनप्रतिनिधियों का बहिष्कार करने का संकल्प लेंगे, जिन्होंने संसद में कृषि बिल का समर्थन किया. 14 अक्टूबर को अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति से जुड़े 250 किसान संगठनों के किसान 'एमएसपी अधिकार दिवस' के रूप में मनाएंगे. इस दिन किसानों का प्रदर्शन मंडियों और जिला तहसील में होगा, जिसके तहत किसान सरकार से एमएसपी पर फसल की खरीद की मांग करेंगे.
समिति के मुताबिक, 26 और 27 नवंबर को किसान देश की राजधानी दिल्ली में जुटेंगे और 28 नवंबर को एक बार फिर दिल्ली में किसानों का बड़ा विरोध मार्च आयोजित होगा. AIKSCC ने किसानों से 'दिल्ली चलो' का आह्वान किया है.
गत 25 सितंबर के भारत बंद को सफल बताते हुए समन्वय समिति के संयोजक सरदार वीएम सिंह ने कहा कि यह दुष्प्रचार किया जा रहा है कि भारत बंद का असर केवल पंजाब और हरियाणा में ही देखने को मिला, जबकि ऐसा नहीं है. देश के अलग-अलग हिस्सों से जो रिपोर्ट्स उनके पास आई हैं, उसके मुताबिक 20 राज्यों में दस हजार से ज्यादा जगहों पर डेढ़ करोड़ किसानों ने इस बिल के विरोध में प्रदर्शन किया था.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और मोदी सरकार के अन्य मंत्रियों का कहना है कि कृषि बिल का विरोध केवल राजनीतिक है. या तो विपक्ष यह विरोध आयोजित कर रहा है या फिर बिचौलिए. हालांकि, AIKSCC ने इसका खंडन करते हुए कहा कि जब पांच जून को कृषि अध्यादेश लाए गए, तभी से किसान संगठन इसका विरोध करते रहे हैं. नौ अगस्त से 25 अगस्त के बीच लगातार इसके विरोध में उनकी राज्य इकाइयां और केंद्रीय टीम भी प्रदर्शन कर रही है.