अमरीका के राष्ट्रपति ट्रंप, 24 और 25 फरवरी को भारत दौरे पर होंगे. अपनी पत्नी मेलीना के साथ, वो सबसे पहले अहमदाबाद में उतरेंगे और यहां उनके सामने ऐसे सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए होंगे, जो शायद आज से पहले न उन्होंने देखे होंगे और न ही आगे देखेंगे. 12 फरवरी को वॉशिंगटन में ओवल दफ्तर से अपनी भारत यात्रा के बारे में ऐलान करते हुए, उन्होंने गर्व से यह बताया कि उनके स्वागत के लिये हवाई अड्डे से लेकर नए बने विश्व के सबसे बड़े स्टेडियम, सरदार पटेल स्टेडियम में लाखों की संख्या में लोग मौजूद रहेंगे. स्टेडियम में ट्रंप और मोदी करीब एक लाख लोगों को संबोधित करेंगे.
नई दिल्ली में, महत्वपूर्ण व्यापार और रक्षा सौदे पर हस्ताक्षर होने की संभावना है. दोनों नेताओं के बीच आपसी समन्वय और साझेदारी के कई द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर बातचीत होगी. यह महत्वपूर्ण है कि भारत और अमरीका के बीच करीब 60 उच्चस्तरीय बातचीत के मंच हैं, जिनमें 2+2 मिनिस्ट्रियल डायलोग (विदेश और रक्षा मंत्रियों) शामिल है, जिसकी दूसरे दौर की बैठक दिसंबर 2019 में वॉशिंगटन में हुई है.
जून 2016 में भारत और अमरीका ने 'ग्लोबल स्ट्रेटिजिक पार्टनरशिप' की शुरुआत की है. अमरीका ने भारत को रक्षा क्षेत्र में 'अहम साझेदार' कहकर उसे अपने बाक़ी के करीबी साझेदारों की श्रेणी में ला दिया है. 2005 से पहले के 40 सालों तक भारत ने अमरीका से कोई भी रक्षा उपकरण नहीं खरीदा था. इसके बाद के पंद्रह सालो में अमरीका, भारत के सबसे बड़े रक्षा साझेदारों के रूप में सामने आया है और उसने 18 बिलियन अमरीकी डॉलर के उपकरण भारत को बेचे हैं. इसके साथ ही कई और सौदे पूरे होने की कगार पर हैं.
इसलिए यह यकीन करना मुश्किल है कि दिसंबर 1971 में, भारत द्वारा बांग्लादेश को पाकिस्तान से अलग होने में मदद करने से रोकने के लिए, तत्कालीन अमरीकी राष्ट्रपति निक्सन ने, यूएसएस इंटरप्राइस के नेतृत्व में अमरीकी नौसेना की 7वीं फ्लीट को बंगाल की खाड़ी में तैनात कर दिया था. यह ही नहीं, अमरीका न तब के अपने मित्र चीन को भारत के खिलाफ एक और मोर्चा खोलने के लिए भी उकसाया था.
मई 1998 में भारत द्वारा परमाणु परीक्षण करने के बाद भारत पर प्रतिबंध लगाने वाले देशों में अमरीका सबसे आगे था. हालांकि, इसके बाद भारतीय विदेश मंत्री जसवंत सिंह और अमरीका के विदेश सचिव स्ट्रोब टालबोट के बीच, 1998 से 2000 के बीच, सात देशों में हुई 14 मुलाकातों ने इस समस्या को मौके के रूप में बदल दिया. 22 साल के बाद, मार्च 2000 में राष्ट्रपति क्लिंटन के सात दिन के भारत दौरे ने भारत अमरीका रिश्तों को एक नया आयाम दिया. इसके बाद कभी पीछे मुड़ के नहीं देखा गया.