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111 सालों से सुशोभित है बप्पा का आसन, 250 साल पहले अहिल्याबाई ने बनवाया था सिंहासन - विनायक चतुर्थी 2019

महाराष्ट्र का महापर्व गणेश उत्सव देश में धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. वहीं वाराणसी में मौजूद नाना फडणवीस का बाड़ा यानी विशाल भवन, जहां 111 सालों से गणपति विराज रहे हैं. इसका अपना एक अलग ही पौराणिक इतिहास है. जानें क्या है पूरा मामला....

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Published : Sep 6, 2019, 10:43 PM IST

Updated : Sep 29, 2019, 5:12 PM IST

वाराणसी: ढाई सौ साल पुरानी गणेश प्रतिमा को रानी अहिल्याबाई होल्कर ने इंदौर से बनारस आकर स्थापित किया था. यहां 111 सालों से गणपति बप्पा मोरया के जयकारे लग रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने भगवान गणेश की पूजा के लिए काले पत्थर का सिंहासन भी तैयार करवाया था, जो आज भी यहां मौजूद है, जिसमें हर साल गणेश विराजते हैं और उनकी विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है.

महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने ब्रह्मा घाट भवन में रहते हुए अहिल्याबाई घाट, काशी विश्वनाथ मंदिर समेत काशी के पुरातन भवनों का निर्माण व जीर्णोद्धार करवाया था.

111 साल पहले सार्वजनिक गणेश उत्सव की हुई थी शुरुआत
मराठों के अधीन रहने वाला यह भवन उस वक्त भी गणेश पूजा के लिए जाना जाता था, लेकिन बाद में इसको वृहद रूप दिया गया. 111 साल पहले यहां सार्वजनिक गणेश उत्सव की शुरुआत हुई, जो आज भी नूतन बालक गणेश उत्सव समिति के नाम से संचालित है. यहां मराठा परंपरा के अनुरूप 7 दिनों तक चलने वाले उत्सव में विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जहां बड़ी संख्या में महाराष्ट्र से आए लोग भी शामिल होते हैं.

देखें खास रिपोर्ट

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गुप्त कमरों में बैठकर बनती थीं रणनीतियां
काशी के ब्रह्मा घाट स्थित नाना फडणवीस के बाड़े का इतिहास काफी पुराना है. झांसी की रानी की सेना में शामिल नाना फडणवीस ने इस बाड़े का निर्माण करवाया था. उस वक्त जब अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत हुई, तब स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का मुख्य गढ़ काशी में यह स्थान ही हुआ करता था. इस स्थान के गुप्त कमरों में बैठकर रणनीतियां बनती थीं और उनको जमीन पर उतारने का प्रयास किया जाता था.

Last Updated : Sep 29, 2019, 5:12 PM IST

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