नई दिल्ली : किसान आंदोलन को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, हमने किसान यूनियनों को एक प्रस्ताव भेजा था जिसमें हम मंडियों, व्यापारियों के पंजीकरण और अन्य के बारे में चर्चा करने पर सहमत हुए थे. सरकार ने पराली और बिजली को लेकर भी चर्चा करने की बात कही पर यूनियन केवल कानूनों को निरस्त करने की बात कह रहा है.
कृषि कानूनों को रद्द करने के अलावा अन्य विकल्पों पर बात करें किसान उन्होंने कहा, अधिकांश किसान और विशेषज्ञ कृषि कानूनों के पक्ष में हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, कानूनों को लागू नहीं किया जा सकता है. अब हम उम्मीद करते हैं कि किसान 19 जनवरी को कानून के खंड-वार पर चर्चा करेंगे और सरकार को बताएंगे कि वे कानूनों के निरस्त होने के अलावा क्या चाहते हैं ?
बता दें कि इससे पहले विगत 15 जनवरी को नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में करीब पांच घंटे तक किसान संगठनों और केंद्र सरकार के मंत्रियों के बीच बैठक हुई थी.
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि सरकार का रूख लचीला है और उन्होंने किसान संगठनों से भी रूख में लचीलापन लाने की अपील की थी.
बैठक के बाद तोमर ने संवाददाताओं से कहा था कि दोनों वार्ताएं साथ साथ जारी रह सकती है. किसान संगठन सरकार से वार्ता जारी रखना चाहते हैं और अदालत द्वारा भी संकट के समाधान तक पहुंचने के लिये समिति का गठन किया गया.
उन्होंने कहा था, 'हमें इस पर कोई आपत्ति नहीं है. उच्चतम न्यायालय ने जो समिति बनाई है, वह समिति भी समाधान ढूंढ़ने के लिए है. अनेक स्थानों पर चर्चा होती है तो हो सकता है कि किसी चर्चा के माध्यम से रास्ता निकल सके.'
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तोमर ने कहा था कि सरकार की कोशिश है कि वार्ता के माध्यम से कोई रास्ता निकले और किसान आंदोलन समाप्त हो. उन्होंने कहा था, 'किसान सर्दी में बैठे हुए हैं. कोरोना का भी संकट है. सरकार निश्चित रूप से चिंतित है. इसलिए सरकार खुले मन से और बड़प्पन से लगातार चर्चा कर रही है.'
तोमर ने कहा, 'हमने उनको (किसान संगठनों) यह भी सुझाव दिया कि वे चाहें तो अपने बीच में एक अनौपचारिक समूह बना लें... जो लोग ठीक प्रकार से कानून पर बात कर सकते हैं... सरकार से उनकी अपेक्षा क्या है?... कानूनों में किसानों के प्रतिकूल क्या है... इसपर आपस में चर्चा करके और कोई मसौदा बनाकर वे सरकार को दें तो सरकार उसपर खुले मन से विचार करने को तैयार है.'
बैठक में नरेंद्र सिंह तोमर के अलावा, पीयूष गोयल भी मौजूद थे. किसी निर्णायक स्थिति तक नहीं पहुंचने के कारण दोनों पक्षों ने तय किया कि अगली बैठक 19 जनवरी को होगी.
यह भी एक दिलचस्प संयोग ही है कि अगले दौर की वार्ता उस दिन होने जा रही है जिस दिन कृषि कानूनों को लेकर गतिरोध दूर करने के संबंध में उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित समिति की पहली बैठक होने की संभावना है.