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शोपियां मुठभेड़ में मारे गए युवकों के परिवारों को मिलेगा न्याय

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बीते जुलाई में सेना द्वारा मुठभेड़ में मारे गए तीन युवकों के परिवारों वालों को न्याय दिलाने का आश्ववासन दिया है. उन्होंने बताया कि इस संबंध में सेना और पुलिस अलग-अलग जांच कर रही है.

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा

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Published : Sep 14, 2020, 9:45 PM IST

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सोमवार को कहा कि इस साल जुलाई में शोपियां मुठभेड़ में मारे गए राजौरी के युवकों के परिवार वालों को न्याय मिलेगा. सिन्हा ने कहा कि घटना के बाद इस मामले में सेना और पुलिस अलग-अलग जांच कर रही है.

सिन्हा ने दो अक्टूबर को शुरू होने वाली बैक टू विलेज योजना को लेकर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक सवाल के जवाब में कहा सेना और पुलिस अलग-अलग जांच कर रही हैं. मैं पीड़ित परिवारों को आश्वासन देता हूं कि प्रशासन उन्हें न्याय दिलाएगा.

बता दें कि राजौरी के एक नाबालिग सहित तीन युवक, अबरार अहमद खान (17) पुत्र बग्गा खान, उसका बहनोई अबरार अहमद (25) पुत्र मोहम्मद यूसुफ और उनका रिश्तेदार इम्तियाज अहमद (20) पुत्र सबर हुसैन जुलाई में मजदूरी के लिए शोपियां गए थे और 17 जुलाई की शाम को लापता हो गए थे.

इसके बाद 18 जुलाई की सुबह शोपियां में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुलिस और बाद में एक ब्रिगेडियर स्तर के सेना अधिकारी द्वारा जारी बयान में पुलिस और सेना ने दावा किया कि दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले के अमशीपोरा गांव के बाग में एक मुठभेड़ में तीन अज्ञात आतंकवादियों को मार गिराया है.

श्रीनगर स्थित रक्षा प्रवक्ता कर्नल राजेश कालिया ने अगस्त में जारी एक बयान में कहा था कि हमने 18 जुलाई 2020 को शोपियां में ऑपरेशन से जुड़े सोशल मीडिया इनपुट को नोट किया है. ऑपरेशन के दौरान मारे गए तीन आतंकवादियों की पहचान नहीं की गई है और शवों को स्थापित प्रोटोकॉल के आधार पर दफनाया गया था. सेना इस मामले की जांच कर रही है.

परिवारों ने सेना और पुलिस को अलग-अलग जांच शुरू करने के लिए प्रदर्शन किया था. डॉक्टरों के साथ एक पुलिस टीम को 18 अगस्त को शोपियां से राजौरी भेजा गया था, ताकि उनके डीएनए नमूने एकत्र किए जा सकें. हालांकि, रिपोर्ट परिवारों को नहीं सौंपी गई है.

तीन अक्टूबर को शुरू किए जाने वाले बैक टू विलेज प्रोग्राम के बारे में, एलजी ने कहा कि हर पंचायत को विकास कार्यों के लिए 10 लाख रुपये आवंटित किए जाएंगे, क्योंकि प्रशासन के अधिकारी केंद्र शासित प्रदेश के हर गांव में लोगों की विकास संबंधी शिकायतों को सुनेंगे. उनके निवारण के लिए योजना तैयार करेंगे.

उन्होंने कहा कि प्रशासन के अधिकारी केवल कार्यों की सुविधा देंगे और बाकी सब कुछ पंचायत सदस्यों द्वारा स्वयं किया जाएगा. इसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर के हर गांव को एक आदर्श गांव बनाना है.

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एलजी ने कहा कि कोरोना और लॉकडाउन के दौरान अर्थव्यवस्था और व्यापार को काफी नुकसान हुआ है, जिसको पुनर्जीवित करने के लिए उन्होंने एक समिति गठित की थी.

उन्होंने कहा, समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है, जो भारत सरकार के पास विचाराधीन है और मुझे लगता है कि एक सप्ताह के भीतर एक बड़े पैकेज को व्यापार में सुधार के लिए जारी किया जाएगा.

उन्होंने यह भी कहा कि उनके नेतृत्व में प्रशासन सुरक्षा बलों विशेषकर सेना और सीआरपीएफ के विशाल काफिले के कारण राजमार्गों पर लगातार ट्रैफिक जाम के मुद्दे पर ध्यान देगा. मुझे कुछ समय दें, मैं इस मुद्दे पर आपसे (मीडिया के लोगों) बात करूंगा.

एलजी ने यह भी कहा कि प्रत्येक बुधवार को जम्मू-कश्मीर में डिवीजनल और सब-डिविजनल स्तरों पर सार्वजनिक दरबार होगा, जहां डिवीजनल कमिश्नर और डीसी लोगों की शिकायतों को सुनेंगे और समय पर निवारण सुनिश्चित करेंगे.

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