दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

टीकाकरण के बाद लंबे समय तक बनी रहनी चाहिए इम्युनिटी : अध्ययन - आईसीएमआर की सलाहकार डॉ सुनीला गर्ग

एक अध्ययन से पता चला है कि कम लोगों में ही लंबे समय तक रहने वाली प्रतिरक्षा प्रणाली विकसित होती है. लेकिन टीकाकरण निश्चित रूप से बड़ी आबादी में सबकी प्रतिरक्षा सुनिश्चित करेगा. अध्ययन में कहा गया कि पुनर्निरीक्षण में पता चला कि केवल उन लोगों में कम समस्या होती है, जिन्होंने प्रतिरक्षा विकसित कर ली है. चाहे वे प्रारंभिक संक्रमण के माध्यम से हो या टीकाकरण द्वारा हो.

Dr, Sunila garg
Dr, Sunila garg

By

Published : Jan 23, 2021, 7:28 PM IST

नई दिल्ली : वर्तमान में चल रहे कोविड-19 टीकाकरण अभियान के बीच एक नवीनतम अध्ययन से पता चलता है कि किसी को टीका लगाने या संक्रमण से उबरने के बाद कोरोनो वायरस से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा कोशिकाओं को लंबे समय तक बने रहना चाहिए. अध्ययन से यह आशंका व्यक्त की जा रही है कि कोविड-19 रोग से लड़ने के लिए एंटीबॉडी एक छोटी अवधि के लिए ही मौजूद है. अध्ययन के निष्कर्षों को साइंस पत्रिका, अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ एडवांसमेंट ऑफ साइंस में भी समीक्षा की गई है.

अध्ययन से पता चलता है कि कम लोगों में ही लंबे समय तक रहने वाली प्रतिरक्षा प्रणाली विकसित होती है. लेकिन टीकाकरण निश्चित रूप से बड़ी आबादी में सबकी प्रतिरक्षा सुनिश्चित करेगा. अध्ययन में कहा गया कि पुनर्निरीक्षण में पता चला कि केवल उन लोगों में कम समस्या होती है, जिन्होंने प्रतिरक्षा विकसित कर ली है. चाहे वे प्रारंभिक संक्रमण के माध्यम से हो या टीकाकरण द्वारा. अध्ययन में 185 पुरुषों और महिलाओं के रक्त के नमूनों की जांच की गई. जो कोविड-19 की जांच से लिए गए थे. जिनमें से अधिकांश हल्के संक्रमण से पीड़ित थे. हालांकि 7 प्रतिशत अस्पताल में भर्ती थे. अध्ययन में कहा गया है कि प्रत्येक व्यक्ति ने अपने शुरुआती लक्षणों के बाद छह दिनों और आठ महीनों के बीच कम से कम एक बार रक्त का नमूना प्रदान किया और 43 नमूनों को छह महीने के बाद लिया गया. अध्ययन ने कहा कि जांच करने वाली टीम ने कई प्रतिरक्षा विज्ञानी एजेंट के स्तर को मापा.

री-इंफेक्शन को रोकने के लिए काम करें

एंटीबॉडीज, बी सेल्स (जो एंटी बॉडी बनाते हैं), और टी सेल (जो संक्रमित कोशिकाओं को मारते हैं). शोधकर्ताओं ने पाया कि शरीर में एंटीबॉडी आठ महीनों के बाद मामूली रूप से कम हो गए. हालांकि, यह स्तर व्यक्तियों के बीच व्यापक रूप से भिन्न है. लेकिन टी कोशिकाओं की संख्या में मामूली गिरावट आई और बी सेल संख्या स्थिर और कभी-कभी बेवजह बढ़ गई. निष्कर्षों में कहा गया है कि शरीर में कमी के बावजूद वे घटक उच्च स्तर पर मिले जो शरीर के उत्पादन को फिर से शुरू कर सकते हैं और कोरोनो वायरस के खिलाफ एक हमले का समन्वय कर सकते हैं.

भारतीय टीके बेहद सक्षम हैं

अध्ययन के निष्कर्षों में ईटीवी भारत से बात करते हुए वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञ और चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की सलाहकार डॉ. सुनीला गर्ग ने कहा कि कोविड-19 से ग्रसित रहे व्यक्तियों की सही तरीके से देखभाल करने की आवश्यकता है. डॉ. गर्ग ने कहा कि लोगों को टीका लगाने की आवश्यकता है. हमें निर्धारित संख्या में खुराक लेनी चाहिए. यदि हम टीकाकरण कराने वाले व्यक्तियों को देखते हैं तो हम पाएंगे कि टीकाकरण से प्रतिरक्षा तंत्र को बढ़ावा मिलता है और उनकी देखभाल करने की आवश्यकता कम होती है. यूके में पाए गए नए वायरस के स्ट्रेन का उल्लेख करते हुए डॉ. गर्ग ने कहा कि भारतीय टीके वायरस से लड़ने की क्षमता रखते हैं.

यह भी पढ़ें-आइसोलेशन वार्ड में भर्ती पत्नी के लिए खास रही शादी की सालगिरह, आप भी देखें ये वीडियो

हालांकि, हमारी सरकार इस संबंध में अधिकतम सावधानी बरत रही है. विदेश से आने वाले लोगों के लिए पूरी स्क्रीनिंग की जा रही है. यदि वे पॉजिटिव पाए जाते हैं तो जीनोम अनुक्रमण के लिए भेजे जा रहे. कहा कि हमें ध्यान से देखने की जरूरत है कि क्या संक्रमण बुजुर्गों और छोटे लोगों पर हमला करता है, यहां यह उल्लेख किया जा सकता है कि ब्रिटिश सरकार ने शुक्रवार को कहा कि नया स्ट्रेन उच्च स्तर के मृत्यु दर के साथ जुड़ा हो सकता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details