नई दिल्ली: दिल्ली में मौजूद अफगानी समुदाय सोमवार को देश का 100वां स्वतंत्रता दिवस मनाने की तैयारी कर रहा था, लेकिन दो दिन पहले काबुल में हुए आत्मघाती हमले की वजह से समुदाय में उत्सव के लिए कोई उत्साह नजर नहीं आ रहा है.
दिल्ली में लघु काबुल के नाम से चर्चित लाजपत नगर और हजरत निजामुद्दीन के नजदीक भोगल में रेस्तरां से लेकर दुकानों तक में गमगीन माहौल दिखा.
लाजपत नगर-2 स्थित काबुल दिल्ली रेस्तरां में मेहमानों की भीड़ लगी रहती है जहां पर चुनिंदा अफगानी व्यंजन परोसे जाते हैं, लेकिन सोमवार दोपहर को यहां कुछ ही लोग आए और वे भी शांति से कोने में खाना खाकर चले गए.
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रेस्तरां कर्मी अमिल क्यूमी दीवार पर लगी हेरात स्थित जुमी मस्जिद की तस्वीर दिखाते हुए कहते हैं, ' हमें अपने वतन की याद आती है और रेस्तरां में लगी यह तस्वीर अफगानिस्तान को देखने की एकमात्र खिड़की है. हमें गर्व है कि हमारी आजादी की 100वीं वर्षगांठ है, लेकिन काबुल में हुआ हमला दिमाग पर हावी है. हम उत्सव जैसा महसूस नहीं कर रहे हैं.
15 साल पुराने इस रेस्तरां का नाम काबुल-दिल्ली भारत और अफगानिस्तान के बीच सांस्कृतिक संबंधों को इंगित करने के लिए रखा गया है. यह दिल्ली के उन चुनिंदा स्थानों में है जहां अफगानी व्यंजनों जैसे काबुल उज्बेकी, कोफ्ता छलाव,क्वारदाग (मटन फ्राई), कोरमा कोफ्ता और फिरनी परोसी जाती है.
लाजपत नगर और भोगल में अफगानिस्तान की अच्छी-खासी आबादी रहती है, जो गृहयुद्ध के समय भारत चली आई थी. समुदाय स्वतंत्रता दिवस मनाने की तैयारी कर रहा था.
लाजपत नगर में अधिकतर अफगानी, घरों में ही रहे और दुकानों में खामोशी छाई रही. हालांकि, कुछ महिलाओं को सड़क पर बकरखानी (अखबार में लिपटा बेकरी उत्पाद) लेकर जाते देखा गया.