नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई. इस दौरान चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय बेंच ने कहा कि केंद्र का पक्ष सुने बगैर सीएए और एनपीआर प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई जा सकती. कोर्ट ने सरकार से चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है और उसके बाद इस मसले पर फिर सुनवाई होगी. कोर्ट ने यह भी कहा कि आगे इस मामले की सुनवाई के लिए इसे संविधान पीठ के पास भी भेजा जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और संविधान विशेषज्ञ सत्य प्रकाश सिंह ने इस मसले पर ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि शीर्ष अदालत का यह फैसल बहुत ही महत्व रखता है. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने त्रिपुरा और असम की समान प्रकृति वाले मामले और अन्य मामलों की अलग-अलग सुनवाई करने को कहा है.
एसपी सिंह ने कहा कि कोर्ट में इस मामले में 144 से अधिक याचिकाएं दायर हुई हैं. संविधान पीठ का गठन के प्रस्ताव का मतलब है कि यह मुद्दा बहुत ही गंभीर है.
उन्होंने कहा कि इस मामले पर आगे की सुनवाई के लिए पांच जजों की पीठ की नियुक्ति की बात कही गई है और यह पीठ आगे चलकर संविधान पीठ भी बन सकती है. यहां यह भी उल्लेख किया जा सकता है कि संविधान पीठ नियमित घटना नहीं है.