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राजीव धवन को पूर्व सरकारी अधिकारी ने दी धमकी - rajiv dhawan threaten by ex official

अखिल भारतीय सुन्नी वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता राजीव धवन को एक पत्र मिला है, जिसमें उन्हें मुस्लिम पक्षकारों की ओर से पेश नहीं होने की धमकी दी गई है. इस मामले पर धवन ने शीर्ष अदालात में याचिकी दायर की है.

राजीव धवन ( फाइल फोटो)

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Published : Aug 30, 2019, 11:59 PM IST

Updated : Sep 28, 2019, 10:26 PM IST

नई दिल्ली: वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने एक पूर्व सरकारी अधिकारी के खिलाफ शुक्रवार को शीर्ष अदालत में अवमानना याचिका दायर की है. इसमें आरोप लगाया गया है कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में एक मुस्लिम पक्षकार की पैरवी करने पर उन्हें इस अधिकारी ने धमकी दी है.

याचिकाकर्ता एम सिद्दीक और अखिल भारतीय सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से पेश हो रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा है कि उन्हें एक सेवानिवृत्त शिक्षा अधिकारी एन षड़मुगम से 14 अगस्त, 2019 की तारीख का पत्र मिला है, जिसमें उन्हें मुस्लिम पक्षकारों की ओर से पेश नहीं होने की धमकी दी गई है.

धवन ने अपनी याचिका में कहा है कि यह पत्र उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन के माध्यम से भेजा गया है और एसोसिएशन के स्टाफ ने उन्हें यह पत्र 22 अगस्त, 2019 को बार पुस्तकालय प्रथम के नजदीक सौंपा.

याचिकाकर्ता अपने एडवोकेट आन रिकार्ड एजाज मकबूल के माध्यम से 23 अगस्त, 2019 का पत्र षड़मुगम के पत्र के साथ षड़मुगम के खिलाफ स्वत: अवमानना कार्यवाही के लिये सौंप रहा है.

धवन ने कहा है कि उन्हें राजस्थान निवासी संजय कलाल बजरंगी से व्हाट्सएप संदेश मिला है, जो शीर्ष अदालत के न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप का प्रयास है. उन्होंने इस संदेश की प्रति भी अपनी याचिका के साथ संलग्न की है.

धवन का आरोप है कि उन्हें घर और न्यायालय परिसर में अनेक लोगों के धमकी देने वाले आचरण का सामना करना पड़ रहा है.

उन्होंने कहा कि न्यायालय की अवमानना कानून, 1971 की धारा 15 के के अनुसार उन्हें मौजूदा अवमानना याचिका पर कार्यवाही के लिये अटार्नी जनरल से पहले अनुमति लेनी होगी.

हालांकि, वह ऐसा नहीं कर रहे हैं क्योंकि अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल पहले दौर में इन मामलों में उप्र सरकार की ओर से पेश हो चुके हैं.

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धवन ने कहा है कि याचिकाकर्ता सालिसीटर जनरल के पास भी नहीं जा रहे हैं क्येांकि इन मामलों में वह उप्र सरकार की ओर से पेश हो रहे हैं और याचिकाकर्ता ने तीन न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष बहस करते हुये तर्क दिया था कि सॉलिसिटर जनरल किसी का पक्ष नहीं ले सकते हैं और इस बारे में उन्होंने लिखित में भी अपना कथन दिया था.

याचिका में कहा गया है कि इन तथ्यों और परिस्थितियों तथा मामले के स्वरूप के मद्देनजर याचिकाकर्ता के लिये अटार्नी जनरल या सालिसीटर जनरल से धारा 15 के तहत अनुमति प्राप्त करना उचित नहीं है और इससे छूट के लिये वह अवमानना याचिका के साथ एक आवेदन भी दायर कर रहे हैं.

Last Updated : Sep 28, 2019, 10:26 PM IST

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