सोलन: हिमाचल प्रदेश में वैसे तो भगवान शिव के बहुत मंदिर हैं और सब मंदिरों का अपना-अपना महत्व भी है. इन्हीं में एक है सोलन से करीब सात किलोमीटर की दूरी पर जटोली शिव मंदिर स्थित है. दक्षिण-द्रविड़ शैली में बने इस मंदिर को बनने में करीब 39 साल का समय लगे थे. शिव भक्तों में इस मंदिर को लेकर गहरी आस्था देखने को मिलती है. यहां दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन-पूजन के लिए आते हैं.
मंदिर परिसर में दाईं ओर भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित है. इसके 200 मीटर की दूरी पर शिवलिंग है. मंदिर का गुंबद 111 फीट ऊंचा है, जिसके कारण इसे एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर माना जाता है. मंदिर के ऊपर 11 फीट ऊंचे स्वर्ण कलश की स्थापना भी की गई है, जिस कारण अब इसकी ऊंचाई 122 फीट आंकी जाती है.
जटोली शिव मंदिर की मान्यताएं
सोलन शहर से करीब सात किलोमीटर की दूरी पर स्थित जटोली मंदिर के पीछे मान्यता है कि पौराणिक समय में भगवान शिव यहां आए और कुछ समय यहां रहे थे. 1974 में इस मंदिर की आधारशिला स्वामी कृष्णानंद परमहंस महाराज ने की थी. इसके बाद से यहां पर मंदिर का कार्य निरंतर चलता आ रहा है.
वर्ष 1983 में जब स्वामी जी ने समाधि ले ली तब इसका कार्य मंदिर प्रबंधन कमेटी देखने लगी. उनके मार्गदर्शन और दिशा-निर्देश पर ही जटोली शिव मंदिर का निर्माण शुरू हुआ. मंदिर के कोने में स्वामी कृष्णानंद की गुफा भी है. खास बात यह है कि करोड़ों रुपये की लागत से बने इस मंदिर का निर्माण जनता के दिए गए पैसों से हुआ है. यहीं वजह है कि मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होने में ही तीन दशक से भी अधिक का समय लग गया.
मंदिर देश की दक्षिण शैली के आधार पर बनाया गया है. मंदिर में कला और संस्कृति का अनूठा संगम भी देखने को मिलता है. मंदिर की ऊंचाई 111 फीट है और भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार यह मंदिर एशिया के सबसे ऊंचे मंदिरों में शामिल है.
मंदिर के चारों तरफ विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित की गई हैं, जबकि मंदिर के अंदर स्फटिक मणि शिवलिंग की स्थापना के साथ भगवान शिव व पार्वती मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं. मंदिर के बिल्कुल ऊपरी छोर पर 11 फीट ऊंचे विशाल सोने के कलश की स्थापना की गई है.