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Published : Dec 26, 2019, 9:47 PM IST

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स्वरा भास्कर और जीशान अयूब ने की यूपी हिंसा पर न्यायिक जांच की मांग

फिल्म जगत से जुड़ी हस्तियों के एक समूह ने अदालत से उत्तर प्रदेश में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा की न्यायिक जांच कराने का आह्वान किया है.

प्रेस वार्ता मे जाते स्वरा भास्कर और जीशान अयूब
प्रेस वार्ता मे जाते स्वरा भास्कर और जीशान अयूब

नई दिल्ली : अभिनेत्री स्वरा भास्कर, जीशान अय्यूब,अनुराग कश्यप और अपर्णा सेन समेत फिल्म जगत से जुड़ी हस्तियों के एक समूह ने उत्तर प्रदेश में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा की न्यायिक जांच कराने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि वह किसी तरह की गुंडागर्दी का समर्थन नहीं करते.

अदालत से की गई अपील को अभिनेत्री स्वरा भास्कर और अभिनेता मोहम्मद जीशान अय्यूब ने यहां संवाददाता सम्मेलन में पढ़कर सुनाया.

अपील में कहा गया है कि वह किसी भी तरह की हिंसा या गुंडागर्दी का समर्थन नहीं करते. शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के नागरिकों के 'पवित्र अधिकार' का राज्य में हनन किया गया है.

प्रेस वार्ता के दौरान स्वरा भास्कर और जीशान अयूब

इस दौरान मीडिया से बात करते हुए स्वरा भास्कर ने कहा कि उत्तर प्रदेश में विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती थी, लेकिन पुलिस ने जिस क्रूरता से एक विशेष वर्ग को निशाना बनाया, लोगों की गोली मारकर हत्या की गई, वह अक्षम्य है

वहीं, अभिनेता जीशान अयूबी ने कहा, 'उत्तर प्रदेश एक ऐसी जगह है जहा हम भारत की कल्पना करते हैं. हम इस तरह के अत्याचारों के बारे में सोच भी नहीं सकते.'

उन्होंने कहा 'यह एक ऐसा समय है जब हम इन अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए एक साथ खड़े हैं.'

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इस दौरान उन्होंने पत्र पर फिल्मकारों अनुराग कश्यप, विक्रमादित्य मोटवानी, अपर्णा सेन और अलंकृता श्रीवास्तव के साथ साथ अभिनेत्री कुब्रा सैत, मल्लिका दुआ, कोंकणा सेन शर्मा, अय्यूब और भास्कर के हस्ताक्षर हैं.

इसमें अनुरोध किया गया है कि उत्तर प्रदेश में जो कुछ भी हुआ, अदालतें उस पर स्वत: संज्ञान लें. साथ ही लोगों की मौत और संपत्ति को हुए नुकसान की न्यायिक जांच का भी अनुरोध किया गया है.

पत्र में कहा गया है, 'सीएए ने एक कानून के रूप में स्वयं विपरीत विचारों को जन्म दिया है. लेकिन कानून के गुणों पर किसी एक के विचारों से परे, कुछ ऐसे मौलिक सिद्धांत हैं जिनको लेकर हम सभी सहमत हैं.

इनमें भारत के संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप - नागरिकों का शांतिपूर्वक विरोध करने का अधिकार; राज्य का कानूनी ढांचे के भीतर उनसे निपटना; और अपराध तथा सजा निर्धारित करने में अदालतों की अंतिम भूमिका शामिल है.'

पत्र में आरोप लगाया गया है कि उनका मानना ​​है कि मोटे तौर पर सरकार की ज्यादतियों के कारण इन सभी सिद्धांतों को उत्तर प्रदेश में कमजोर किया गया है.

पत्र में कहा गया है, 'राज्य में जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, बिना बाधा की आदि के अधिकार खतरे में हैं.'

उन्होंने कहा कि वे कथित पुलिस गोलीबारी और अत्यधिक बल प्रयोग से राज्य में मौतों को लेकर 'बेहद चिंतित' हैं.

पत्र में कहा गया है, 'मीडिया में आ रहीं खबरों से पता चला है कि उत्तर प्रदेश में 18 लोगों की मौत हुई है, जिनमें से ज्यादातर लोगों की मौत गोली लगने से हुई...जिससे यह माना जा सकता है कि प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया.'

इसमें कहा गया है कि विरोध प्रदर्शनों से निपटने के लिए प्रशासन निर्धारित मानक संचालन प्रक्रियाओं का पालन नहीं कर रहा.

भास्कर और अय्यूब द्वारा पढ़ी गई अपील में कहा गया है, 'हम मौतों की निंदा करते हैं और सभी पीड़ितों को तुरंत न्याय दिलाने का अनुरोध करते हैं.'

इस बीच, लखनऊ में गुरुवार को अधिकारियों ने बताया कि सीएए-विरोधी प्रदर्शनों से संबंधित हिंसा के बाद 11,00 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 5,558 लोगों को ऐहतियातन हिरासत में रखा गया है. पूरे राज्य में पुलिस झड़पों में 19 लोगों की मौत हुई है.

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