नई दिल्ली : केन्द्र ने पूर्व और वर्तमान सांसदों-विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मुकदमों के तेजी से निस्तारण पर जोर देते हुए बुधवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि इन मामलों को एक निश्चित समय के भीतर उनके नतीजों तक पहुंचाना जरूरी है.
न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति ऋषिकेश राय की पीठ के समक्ष केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इन मामलों के तेजी से निस्तारण के बारे में न्याय मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया के सुझावों पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है.
मेहता ने कहा कि अगर विधि निर्माताओं के खिलाफ लंबित मामलों में उच्च न्यायालय ने कार्यवाही पर रोक लगाई है तो शीर्ष अदालत को ऐसे मामले पर एक निश्चित समय के भीतर निर्णय करने का उसे निर्देश देना चाहिए.
उन्होंने पीठ से कहा कि ये मुकदमे समयबद्ध तरीके से अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचने चाहिए और अगर कोई केन्द्रीय एजेन्सी (सीबीआई या ईडी) स्थगन आदेश नहीं होने के बावजूद आगे कार्यवाही नहीं कर रही हैं तो वह इसे दूसरे स्तर पर उठायेंगे.
मेहता ने कहा, 'शीर्ष अदालत जो भी निर्देश देगी, भारत सरकार उसका स्वागत करेगी.'
उन्होंने कहा कि अगर विशेष अदालतों में बुनियादी सुविधाओं से संबंधित कोई मसला है तो शीर्ष अदालत संबंधित राज्य सरकार को ऐसे मामले में ज्यादा से ज्यादा एक महीने के भीतर आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दे सकती है.
इससे पहले, वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई शुरू होते ही न्याय मित्र हंसारिया और अधिवक्ता स्नेहा कलिता ने अपनी रिपोर्ट से सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों के विवरण की ओर पीठ का ध्यान आकर्षित किया.
पीठ ने हंसारिया से सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की तफ्तीश वाले मामलों की स्थिति के बारे में पूछा और कहा कि इनमें से कुछ मामले कई सालों से लंबित हैं.
हंसारिया ने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत अनेक मामलों पर कर्नाटक जैसे उच्च न्यायालयों ने रोक लगा रखी है और निर्वाचित प्रतिनिधियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून तथा धन शोधन रोकथाम कानून के तहत अनेक मामलों में तेलंगाना उच्च न्यायालय ने रोक लगा रखी है.
उन्होंने कहा कि इनमें से कुछ मामलों में मुकदमों की सुनवाई तेज नहीं हुयी है और अधिकांश मामले आरोप निर्धारित करने के चरण में लंबित हैं.
पीठ ने कहा कि ऐसे भी मामले हो सकते हैं जिनमें केन्द्रीय एजेन्सियों ने प्राथमिकी दर्ज की हो, लेकिन बाद इनमें बहुत कुछ नहीं हुआ हो.
हंसारिया ने कहा कि ऐसे भी कई मामले हैं जिनमें आरोप भी निर्धारित नहीं हुये हैं.