लखनऊ: तेजी से बदल रहे राजनीतिक घटनाक्रम के बीच उत्तर प्रदेश पुलिस ने हाथरस जिले के चंदपा थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की है. इस मामले में दिल्ली से हाथरस जा रहे एक संगठन से जुड़े चार युवकों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस ने जाति आधारित संघर्ष की साजिश, सरकार की छवि बिगाड़ने के प्रयास और माहौल बिगाड़ने के आरोप लगाए हैं. पूरे उत्तर प्रदेश में इस संबंध में कुल 21 मुकदमे दर्ज किए गए हैं.
इससे पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को कांग्रेस को आड़े हाथों लिया था. उन्होंने कहा था कि जिन्हें विकास अच्छा नहीं लग रहा, वह लोग देश में और प्रदेश में भी जातीय और सांप्रदायिक दंगा भड़काना चाहते हैं.
इस बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त तेवर दिखाते हुए कहा है कि 'न केवल देश और प्रदेश में जातीय और सांप्रदायिक दंगे फैलाने की साजिश रची जा रही है बल्कि इसकी नींव रखने के लिए विदेश से फंडिंग भी हो रही है.' इस पर कांग्रेस का कहना है कि योगी सरकार जातीय दंगों की मनगढ़ंत अफवाह उड़ा रही है.
यह भी पढ़ें- योगी का कांग्रेस पर निशाना, कहा- रचे जा रहे नए-नए षड्यंत्र
कांग्रेस की नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि योगी सरकार जातीय दंगों की मनगढ़ंत अफवाह उड़ा रही है, जो नोटिस टीवी चैनल पर दिखाया जा रहा है, उसके कोने में NYPD यानी New York Police Department लिखा है, जो वहां नस्लवादी विरोध के दौरान का है. न्याय के बजाय ये अफवाह फैलाने पर उतर आए हैं.
अकेले हाथरस में छह मामले दर्ज
अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार के मुताबिक हाथरस प्रकरण में हाथरस जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों में छह मुकदमे दर्ज किए गए हैं. इसके अलावा सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर बिजनौर, सहारनपुर, बुलंदशहर, प्रयागराज, हाथरस, अयोध्या, लखनऊ आयुक्तालय में कुल 13 मामले दर्ज किए गए हैं.
दिल्ली से हाथरस की तरफ जा रहे चार संदिग्धों की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस का आरोप है कि ये लोग हाथरस के बहाने उत्तर प्रदेश को जलाने की साजिश में शामिल हैं.
प्रशांत कुमार ने बताया कि सोमवार को पुलिस को सूचना मिली थी कि कुछ संदिग्ध व्यक्ति दिल्ली से हाथरस की तरफ जा रहे हैं. इस पर टोल प्लाजा मांट के पास संदिग्ध वाहनों की चेकिंग की गई. स्विफ़्ट डिजायर गाड़ी में सवार चार युवकों को रोक कर पूछताछ की गई. उन्होंने बताया कि युवकों से पूछताछ किए जाने के बाद उनका संबंध पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआई) एवं उसके सहयोगी संगठन कैंपस फ्रंट आफ इंडिया (सीएफआई) से होने की जानकारी मिली.
बकौल प्रशांत कुमार, पकड़े गए युवकों में मुजफ्फरनगर के नगला का रहने वाला अतीकउर्ररहमान मल्लपुरम का निवासी सिद़दीकी शामिल है. इसके अलावा बहराइच जिले के जरवल का निवासी मसूद अहमद और रामपुर जिले की कोतवाली क्षेत्र के रहने वाले आलम को भी गिरफ़्तार किया गया है.
पुलिस सूत्रों ने बताया कि उनके कब्जे से मोबाइल, लैपटाप और शांति व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला संदिग्ध साहित्य भी बरामद किया गया है.
यह भी पढ़ें: हाथरस एसपी समेत अधिकारियों पर गिरी गाज, होगा नार्को टेस्ट
चंदपा थाने में रविवार की शाम को प्राथमिकी दर्ज कराई गई जिसमें देश की एकता और अखंडता को खतरा पहुंचाने (राजद्रोह) से लेकर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने जैसे कई गंभीर आरोपों की धारा शामिल है. चंदपा थाने में ही रविवार और सोमवार को राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं के खिलाफ भी सरकारी कार्य में व्यवधान और निषेधाज्ञा के उल्लंघन जैसे आरोपों में अलग-अलग मुकदमा दर्ज कराया गया है.
अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने बताया कि पोस्टरों, सोशल मीडिया पोस्ट से माहौल बिगाड़ने का प्रयास किया जा रहा है. ऐसे लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है.
प्रशांत कुमार ने कहा कि 'पहला मुकदमा वायरल आडियो से माहौल बिगाड़ने के प्रयास में चंदपा थाने में हुआ. एक साजिश के तहत यूपी का माहौल बिगाड़ने की कोशिश की गई है. हम सूबतों के आधार पर कार्रवाई कर रहे हैं. कई एजेंसियां इस मामले की जांच कर रही हैं.'
किन आरोपों के तहत दर्ज हुए मामले
एक पुलिस उप निरीक्षक की तहरीर पर हाथरस के चंदपा थाने में दर्ज हुए मामले. उप निरीक्षक ने अपनी तहरीर में लिखा है कि हाथरस की दुर्भाग्यपूर्ण घटना को लेकर कुछ अराजक तत्व बेजा लाभ लेने की ताक में हैं. इसके लिए एक आपराधिक षडयंत्र के तहत पूरे प्रदेश का अमन-चैन बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है. तहरीर के मुताबिक कुछ लोग जातिगत विद्वेष भड़काकर प्रदेश सरकार के प्रति घृणा और अवमानना के लिए पीड़ित परिवार को भड़का रहे हैं.
इस तहरीर के आधार पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की अलग-अलग धाराओं के तहत आरोप लगे हैं. धाराओं के बिंदुवार विवरण-
- आईपीसी की धारा 109 (अपराध के लिए उकसाने)
- आईपीसी की धारा 124ए (देश की एकता और अखंडता को खतरा पहुंचाने की कोशिश-राजद्रोह)
- आईपीसी की धारा 120 बी (षडयंत्र)
- आईपीसी के सेक्शन 153-ए (धर्म भाषा और जाति के आधार पर विद्वेष फैलाना)
- आईपीसी की धारा 153-बी (राष्ट्रीय अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले बयान)
- आईपीसी की धारा 195 (झूठे साक्ष्य गढ़ना)
- आईपीसी की धारा 465 (कूट रचना)
- आईपीसी के सेक्शन 468 (कूटरचित दस्तावेजों का प्रयोग)
- आईपीसी के सेक्शन 501(मानहानिकारक मुद्रण)
- आईपीसी की धारा 505 (भय का माहौल बनाने वाला बयान)
इसके अतिरिक्त सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन अधिनियम, 2008 की धारा 67 समेत कुल 20 धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है.
उप निरीक्षक की तहरीर में लिखा है कि पीड़ित परिवार पर गलत बयानी के लिए दबाव डाला जा रहा है. इसके मुताबिक पीड़ितों को 50 लाख रुपयों का प्रलोभन देकर झूठ बोलने के लिए उकसाया जा रहा है. उप निरीक्षक का कहना है कि पूर्व में दिए गए बयानों को बदलवाने का प्रयास कर हाथरस और प्रदेश की शांति को प्रभावित किया गया है.
यह भी पढ़ें: रेप नहीं चोट से गई पीड़िता की जान, साजिश की होगी जांच : एडीजी
तहरीर का बिंदुवार विवरण
- अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए कथित अज्ञात पत्रकार ने पीड़िता के भाई से बयान दिलवाने का प्रयास किया.
- कथित पत्रकार ने भाई से यह कहलवाने का प्रयास किया कि वह स्वयं अपने माता-पिता से मीडिया के समक्ष बयान दिलाए.
- पीड़िता के भाई के माध्यम से माता-पिता से कहलवाया गया कि वह प्रशासन की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हैं.
- यह भी कहलवाने का प्रयास किया कि मृतका ने उनसे सामूहिक बलात्कार की बात कही थी.
- पीड़ित परिवार की ओर से दी गई पहली तहरीर में पीड़ित युवती और उसके परिवारवालों ने सिर्फ मारपीट की बात कही थी.
- विधि विज्ञान प्रयोग शाला तथा मेडिकल रिपोर्ट में भी दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई है.
- परिवार को प्रलोभन देकर बरगलाने से परिवार ने बाद में दुष्कर्म की बात कही.
- इसी कुत्सित योजना के तहत एक अज्ञात नेता ने पीड़िता के रिश्तेदार महिला से परिवार पर दबाव डाला कि वे लोग सरकार की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हैं.
- इस अज्ञात नेता की ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है.
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एक फर्जी बयान भी प्रसारित किया गया है.
- यह जातीय विद्वेष फैलाने की साजिश है.
षड्यंत्र की जांच से जुड़े एक अहम घटनाक्रम के तहत उत्तर प्रदेश पुलिस ने दंगा फैलाने से संबंधित कुछ वेबसाइट के बारे जानकारी जुटानी शुरू कर दी है. इस संबंध में पुलिस ने कई धाराओं में मुकदमा भी दर्ज कराया है. कुछ संगठन उत्तर प्रदेश में शांति भंग करने और दंगा फैलाने की साजिश कर रहे हैं. इसको लेकर उत्तर प्रदेश पुलिस सोशल मीडिया पर नजर बनाए हुए है.
उत्तर प्रदेश पुलिस 'justiceforhathrasvictime' नाम की वेबसाइट को लेकर जानकारी जुटा रही है. पुलिस अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार, इस बात की सूचना मिली है कि वेबसाइट बनाकर दंगे भड़काने का प्रयास किया जा रहा है. वेबसाइट के बारे में जानकारी मिलने के बाद से पुलिस ने वेबसाइट को बंद कर दिया है.
विभाग को जानकारी मिली है कि वेबसाइट पर भ्रामक तथ्यों के साथ लोगों को भड़काने और दंगों के लिए प्रेरित किया जा रहा था. वेबसाइट पर यह जानकारी दी गई है कि दंगे में जाने वाले लोगों को दंगों के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए. वेबसाइट पर बताया गया है कि दंगों के दौरान आप को कैसे सुरक्षित रहना है.
वेबसाइट के बारे में जानकारी मिलने के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस इस वेबसाइट से जुड़े हुए लोगों के बारे में जानकारी जुटा रही है. डीजीपी पीआरओ अभय नाथ त्रिपाठी ने बताया कि वेबसाइट के संदर्भ में पड़ताल की जा रही है. इस मामले में एडीजी प्रशांत कुमार जल्द मीडिया से बातचीत करेंगे.
जानकारी के अनुसार, हाथरस मामले के बाद दंगे फैलाने के लिए बड़ी साजिश की गई है. अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार नागरिकता संशोधन कानून और सीएए को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शन में जिन संगठनों की भूमिका निकल कर सामने आई थी, उन्हीं संगठनों ने उत्तर प्रदेश में हाथरस के मामले में भी दंगा फैलाने की साजिश रची है.
पुलिस विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, लोगों तक गलत सूचनाएं पहुंचाने और भ्रमित करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया जा रहा है. सोशल मीडिया पर फोटो और जानकारियों को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है. इसको लेकर राजधानी लखनऊ के हजरतगंज में एक एफआईआर दर्ज की गई है. इसके बाद से लगातार उत्तर प्रदेश पुलिस सोशल मीडिया पर नजर बनाए हुए है.
हाथरस पहुंचे कई नेता
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय लोकदल के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी, समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधि मंडल और भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर अपने समर्थकों के साथ पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे थे. रविवार को राष्ट्रीय लोकदल ने उपाध्यक्ष जयंत चौधरी और कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज का आरोप लगाया था.
राजनीतिक लोगों के हाथरस जाने के संदर्भ में अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने बताया कि एक राजनीतिक पार्टी के प्रतिनिधि मंडल में पांच लोगों को पीड़ित परिवार से मिलने की अनुमति दी गई थी लेकिन कुछ देर बाद ही काफी संख्या में लोग उससे मिलने पहुंच गए.
उन्होंने कहा कि निषेधाज्ञा का उल्लंघन कर अवरोधकों को क्षतिग्रस्त किया. इन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है. चंदपा थाने में ही एक राजनीतिक दल के कर्यकर्ताओं पर पुलिस के साथ मारपीट और बदतमीजी करने, रोड जाम करने समेत कई आरोपों में मुकदमा दर्ज कराया गया है.