नई दिल्ली : केन्द्रीय सरकार ने सोमवार को असम के खूंखार उग्रवादी समूहों में से एक नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए. इसमें उसे राजनीतिक और आर्थिक फायदे दिए गए हैं, लेकिन अलग राज्य या केंद्रशासित क्षेत्र की मांग पूरी नहीं की गई है.
समझौते पर हस्ताक्षर करने वालों में ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (एबीएसयू) और यूनाइटेड बोडो पीपुल्स ऑर्गेनाइजेशन भी शामिल हैं. एबीएसयू 1972 से ही अलग बोडोलैंड राज्य की मांग के लिए आंदोलन चला रहा है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में त्रिपक्षीय समझौते पर असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, एनडीएफबी, एबीएसयू के चार धड़ों के शीर्ष नेता, गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव सत्येन्द्र गर्ग और असम के मुख्य सचिव कुमार संजय कृष्णा ने हस्ताक्षर किए.
गृह मंत्री ने समझौते को 'ऐतिहासिक' करार दिया और कहा कि इससे बोडो लोगों की दशकों पुरानी समस्या का स्थायी समाधान होगा.
उन्होंने कहा, 'इस समझौते से बोडो क्षेत्रों का सर्वांगीण विकास होगा और असम की क्षेत्रीय अखंडता से समझौता किए बगैर उनकी भाषा और संस्कृति का संरक्षण होगा.'
गृह मंत्री ने कहा कि बोडो उग्रवादियों की हिंसा में पिछले कुछ दशकों में चार हजार से अधिक लोगों को जान गंवानी पड़ी.
शाह ने कहा कि असम और पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जाएगी.
असम के मुख्यमंत्री ने कहा कि समझौते के बाद राज्य में विभिन्न समुदाय सौहार्द के साथ रह सकेंगे.
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा कि समझौते से बोडो मुद्दे का व्यापक समाधान होगा.
उन्होंने कहा, 'यह ऐतिहासिक समझौता है.'
सरेंडर करेंगे उग्रवादी
असम के मंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा ने कहा कि समझौते के मुताबिक एनडीएफबी के 1550 उग्रवादी 30 जनवरी को हथियार छोड़ देंगे, अगले तीन वर्षों में 1500 करोड़ रुपये का आर्थिक कार्यक्रम लागू किया जाएगा, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों की 750 -750 करोड़ रुपये की बराबर भागीदारी होगी.
बढ़ जाएंगी बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद की सीटें
हिमंत बिस्वा शर्मा ने कहा कि बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद (बीटीसी) के वर्तमान ढांचे को और शक्तियां देकर मजबूत किया जाएगा तथा इसकी सीटों की संख्या 40 से बढ़ाकर 60 की जाएगी.
शर्मा ने एक ट्वीट में कहा कि बोडो शांति समझौता को मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल नीत असम सरकार और बोडोलैंड टेरीटोरियल काउंसिल (बीटीसी) प्रमुख हागरामा मोहीलरी का पूरा समर्थन प्राप्त है, जो इसे दशकों पुराने बोडो मुद्दे को लेकर पूर्ण एवं अंतिम समाधान बनाता है.
बोडो बहुल गांवों को बीटीसी में किया जाएगा शामिल