नई दिल्ली :अप्रेंटिस अधिनियम 1961 में अधिनियमित किया गया था और 1962 में इस पर विचार किया गया था. यह कंपनी में (Trainees) प्रशिक्षुओं के रूप में काम करने वाले कर्मचारियों के प्रशिक्षण के कार्यक्रम को विनियमित करने के लिए बनाया गया था.
इस अधिनियम को पहली बार 1973 में स्नातक इंजीनियरों के रूप में स्नातक प्रशिक्षु के रूप में शामिल करने के लिए संशोधित किया गया था.
इसके बाद इसे 10 + 2 वेकेशनल स्ट्रीम के प्रशिक्षण को तकनीकी (पेशेवर) के रूप में शामिल करने के लिए अधिनियम को 1986 में संशोधित किया गया.
उसके बाद 27 नवंबर, 2014 को राज्य सभा ने अपरेंटिस (संशोधन) विधेयक, 2014 को ध्वनि मत से पारित करके अप्रेंटिस अधिनियम, 1961 में संशोधन करने की मांग की, जबकि इस विधेयक को लोकसभा ने 7 अगस्त, 2014 को पारित कर दिया था.
अप्रेंटिसशिप (संशोधन) नियम, 2019
इसके बाद भारत सरकार अप्रेंटिसशिप नियमों की अधिसूचना को 1992 में संशोधन किया. इन नियमों को अप्रेंटिसशिप (संशोधन) नियम, 2019 कहा जा सकता है.
वह आधिकारिक राजपत्र में अपने प्रकाशन की तारीख यानी 25 सितंबर, 2019 से लागू होंगे. संशोधन में कुछ नियमों को लागू किया जाएगा, कुछ को बदल दिया जाएगा.
केंद्र सरकार ने देश में कुशल श्रमशक्ति बढ़ाने और प्रशिक्षुओं की मौद्रिक क्षतिपूर्ति बढ़ाने के उद्देश्य से शिक्षुता नियमों (1992) में बदलावों को अधिसूचित किया है.
महत्वपूर्ण बिंदु
अधिसूचित अप्रेंटिस (संशोधन) नियमावली, 2019 के तहत, प्रशिक्षुओं की भर्ती की सीमा एक प्रतिष्ठान में कुल ताकत का 15 प्रतिशत तक बढ़ा दी गई. इसके अलावा न्यूनतम स्टाइपेंड को दोगुना करके 5,000 रुपये से 9,000 रुपये प्रति माह कर दिया गया है.
स्नातक अप्रेंटिस या डिग्री अप्रेंटिस के लिए स्टाइपेंड बढ़ाकर 9,000 रुपये प्रति माह कर दिया गया है, जबकि कक्षा 5वीं और 9वीं कक्षा के बीच स्कूल पास आउट के लिए स्टाइपेंड को बढ़ाकर 5,000 रुपये प्रति माह कर दिया गया है.
केंद्र ने प्रतिष्ठान के आकार की सीमा का वैकल्पिक आधार पर 40 से 30 तक कम कर दिया है और प्रशिक्षुओं को संलग्न करने के लिए एक प्रतिष्ठान की आकार-सीमा को 6 से 4 तक कम कर दिया.
डेटा
भारत में 0.1 प्रतिशत से कम कार्यरत कर्मचारी या सिर्फ 0.3 मिलियन लोग प्रशिक्षु हैं. इसकी तुलना में यूके में 1.5 प्रतिशत या 0.5 मिलियन, चीन में 2.5 फीसदी या 20 मिलियन और जर्मनी में 5 प्रतिशत या 2.5 मिलियन प्रशिक्षु हैं.
महत्व
नए नियम छोटी कंपनियों को अधिक प्रशिक्षुओं को नियुक्त करने और अधिक युवाओं को अप्रेंटिसशिप में शामिल होने का अवसर देंगी.