नई दिल्ली : मृत्यु शाश्वत सत्य है. जिस प्रकार इंसान जीवन सहजता से जीता है, उसी प्रकार उसे विचलित हुए बगैर अपने अंत की भी तैयारी करनी चाहिए. कुछ इन्हीं बातों और तथ्यों से रूबरू कराती है अरुण शौरी की नई किताब 'प्रिपेयरिंग फॉर डेथ'. 'प्रिपेयरिंग फॉर डेथ' में लोगों के अनुभवों, किताबों की व्याख्याओं, व्यवहार्य सुझावों के जारिए यह बताने की कोशिश की गई है कि जब मृत्यु सामने हो, तब कैसे हमारा दिमाग शांतिपूर्ण अंत को पा सकता है.
कोरोना के कारण समसामयिक विषय
पुस्तक का प्रकाशन पेंग्विन रैंडम हाउस इंडिया ने किया है और यह पुस्तक इसी माह बाजार में आ जाएगी. शौरी ने कहा कि मृत्यु एक शाश्वत विषय है और वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए जहां महज 10 माह में दस लाख लोग कोविड-19 से जान गंवा चुके हैं, तो ऐसे में यह और भी समसामयिक विषय है. इस पुस्तक में ऐसे तथ्य हैं, जिन्हें हममें से बहुत लोग नहीं जानते होंगे. कुछ ऐसी व्याख्याएं हैं, जो नई हैं. उदाहरण के लिए कुछ लोगों की भांति मुझे भी लगता है कि 'द तिब्बतन बुक ऑफ डेड' वास्तव में हम लोगों के लिए है, जो जिंदा हैं.
अनुष्ठान, तीर्थयात्रा और मंत्रों का जिक्र
पुस्तक में उन्होंने भगवान बुद्ध, रामकृष्ण परमहंस, रमण महर्षि, महात्मा गांधी और विनोबा भावे के अंतिम दिनों के साथ धार्मिक ग्रंथों और ध्यान के क्षेत्र के दिग्गज लोगों की शिक्षा का जिक्र किया है. उन्होंने यह भी बताने की कोशिश की है कि अगर अनुष्ठान, तीर्थयात्रा और मंत्र हमारी मदद करने के लिए हैं तो हमें क्या करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हर अध्याय, हर घटना में व्यवहारिक सीख है. मैंने ध्यान पर कुछ उन बातों को भी संक्षेप में प्रस्तुत किया है जो मुझे उपयोगी लगी हैं और जब मैं कुछ माह पहले आईसीयू में था तो उन्होंने वास्तव में मेरी मदद की थी.