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CAB किसी भी प्रारूप में स्वीकार्य नहीं है: AASU

नागरिकता विधेयक को लेकर सरकार बड़ी चुनौती का सामना कर रही है. पूर्वोत्तर भारत के राज्य इस विधेयक के खिलाफ हैं. असम के छात्र संगठन AASU ने कहा है कि वे किसी भी कीमत पर इस बिल को स्वीकार नहीं करेंगे. जानें पूरा मामला...

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Published : Dec 4, 2019, 8:15 AM IST

Updated : Dec 4, 2019, 3:31 PM IST

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समुज्जल भट्टाचार्य

नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 को लेकर पूर्वोत्तर भारत में कई आशंकाएं हैं. इसी कड़ी में ऑल असम स्टूडेंट यूनियन (AASU) ने कहा है कि वे किसी भी प्रारूप में नागरिकता संशोधन विधेयक को स्वीकार नहीं करेंगे.

दरअसल, मंगलवार को ऑल असम स्टूडेंट यूनियन (AASU) के एक दल ने गृह मंत्री अमित शाह से भेंट की. उन्होंने अमित शाह से दो टूक कहा, वे 'किसी भी प्रारुप में' नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) को स्वीकार नहीं करेंगे.

समुज्जल भट्टाचार्य का बयान

अमित शाह और AASU की भेंट के बाद इस संबंध में ईटीवी भारत ने AASU के सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य से बात की. उन्होंने बताया, 'हमारा पक्ष स्पष्ट है. हम CAB को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे. ये बिल ऐतिहासिक असम एकॉर्ड के खिलाफ है.'

बीजेपी सरकार की आलोचना करते हुए भट्टाचार्य ने कहा, असम हो या पूर्वोत्तर, ये अवैध प्रवासियों के लिए डंपिंग ग्राउंड नहीं बन सकता.

भट्टाचार्य ने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपने विजन डॉक्यूमेंट की घोषणा की थी, जिसमें भाजपा ने कहा था कि वह असम समझौते के सभी खंडों को लागू करेंगे, लेकिन पार्टी ने सत्ता में आने के बाद, कुछ और ही बोल रही है. साथ ही भाजपा पर यह भी आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा अवैध विदेशियों को संरक्षण भी दे रही है.

पढ़ें-गृहमंत्री अमित शाह ने त्रिपुरा CM के साथ CAB पर चर्चा की

उन्होंने आगे कहा कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आने वाले लोगों को नागरिकता देने के लिए केंद्र सरकार ने कदम उठाया है. इसके खिलाफ AASU एक नए सिरे से आंदोलन शुरू करेगा.

गौरतलब है कि AASU ने 70 के दशक के अंत में अवैध विदेशियों (बांग्लादेशियों के खिलाफ) आंदोलन किया था. 1985 में ऐतिहासिक असम समझौते के सात बाद यह आंदोलन समाप्त हो गया.

ज्ञातव्य है कि असम सरकार, केद्र और AASU के बीच 25 मार्च 1971 को असम समझौता हुआ था. हालांकि, भाजपा सरकार ने राज्यसभा से भी सीएबी विधेयक पास कराने के लिए कदम बढ़ाए हैं. AASU के अलावा पूर्वोत्तर के कई संगठन इसका विरोध कर रहे हैं.

Last Updated : Dec 4, 2019, 3:31 PM IST

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