नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) को बुधवार को मंजूरी दे दी है, लेकिन इसके कुछ घंटे बाद ही ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) के नेताओं तगड़ा विरोध-प्रदर्शन किया.
नई दिल्ली में विधेयक पर केंद्र सरकार के इस कदम का विरोध करते हुए आसू नेताओं ने कैब विधेयक के कागजात जलाए.
इस बीच दिल्ली पुलिस ने किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए असम हाउस और संसद भवन के आसपास के क्षेत्रों में लोगों का जमावड़ा प्रतिबंधित करने के लिए धारा 144 लगा दी.
'मुसलमानों को बाहर करने की साजिश'
नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर कम्युनिस्ट नेता और पूर्व सांसद हन्नान मोल्लाह ने कहा कि करोड़ो रुपये और समय असम में एनआरसी के नाम पर बर्बाद किया गया. इन लोगों ने सोचा था कि एनआरसी में सिर्फ मुसलमानों का नाम आएगा, लेकिन देखा कि 13 लाख हिन्दुओं का नाम आ गया. अब ये नागरिकता बिल इसलिए ला रहे हैं कि मुसलमानों को बाहर करने की साजिश की जाए. मोहम्मद बिन तुगलक की तरह काम किया जा रहा है. इन लोगों ने पहले असम में राष्ट्रीय नागरिकता विधेयक लाया, फेल होने पर नागरिकता संशोधन विधेयक ला रहे.
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आसू का जोरदार विरोध
इस मसले पर आसू सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने कहा, 'कैबिनेट का फैसला अलोकतांत्रिक है. कैब ऐतिहासिक असम समझौते के मूल सिद्धांत का उल्लंघन करता है. हम बिल के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे.'
उन्होंने कहा कि असम के लोग कैब को कभी स्वीकार नहीं करेंगे, जोकि अवैध हिन्दू बांग्लादेशी प्रवासियों को संरक्षण देती है.
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