दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

देश की अदालतों में यौन अपराध के जुड़े कितने मामले लंबित हैं, एक नजर

महिलाओं के खिलाफ यौन अपराध के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे समय में जबकि हम महिलाओं को समाज में बराबर की हिस्सेदारी देने को लेकर बढ़-चढ़कर बातें करते हैं, इस तरह के घिनौने अपराध हमें शर्मसार करते हैं. मामला तब और भी गंभीर हो जाता है, जब ऐसे मामलों की सुनवाई लगातार लंबित रहती है. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने के बावजूद लाखों की संख्या में मामले लंबित हैं. एक नजर डालिए, देश के अलग-अलग राज्यों में कितने ऐसे मामले लंबित हैं.

etv bharat
डिजाइन इमेज.

By

Published : Mar 7, 2020, 9:23 PM IST

Updated : Mar 7, 2020, 11:14 PM IST

हैदराबाद : देश की अलग-अलग अदालतों में बलात्कार और बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा के लाखों मामले निलंबित हैं. इस तरह के मामलों में जितनी तत्परता से सुनवाई होनी चाहिए, वो नहीं हो रही है. चाहे जिसकी भी लापरवाही हो, इतना तो तय है कि इसका गंभीर असर पीड़ितों की मनोदशा पर जरूर पड़ता है. आइए एक नजर डालते हैं देश की अदालतों में इस तरह के कितने मामले लंबित हैं.

केंद्र सरकार ने हाल ही में संसद में इस बाबत जानकारी दी है. इसके मुताबिक पिछले साल दिसंबर तक रेप और पोक्सो कानून के 2.4 लाख से अधिक मामले अदालतों में लंबित हैं. केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यह जानकारी साझा की थी. ऐसे समय में जब बलात्कार के दोषियों पर जल्द से जल्द सख्त कार्रवाई की मांगें लगातार उठती रहती हैं, ये आंकड़े शर्मनाक तस्वीर पेश करते हैं.

उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा लंबित मामले
केंद्रीय कानून मंत्रालय ने लोकसभा में बताया कि 31 दिसंबर, 2019 तक अदालतों में रेप और पोक्सो कानून के दो लाख 44 हजार एक मामले लंबित थे.

देशभर की हाई कोर्ट से प्राप्त जानकारी के आधार पर ये जबाव दाखिल किया गया है.

इनमें सबसे अधिक 66,994 मामले उत्तर प्रदेश में लंबित हैं, जबकि महाराष्ट्र में 21,691 और पश्चिम बंगाल में 20,511 मामले लंबित हैं.

रेप के लंबित मामले.

लंबित मामलों को निपटाने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बना रही सरकार
कानून मंत्रालय के जबाव में इन मामलों को जल्द से जल्द निपटाने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने के बारे में भी सूचना दी गई.

इसके अनुसार, आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 को आगे बढ़ाते हुए केंद्र सरकार ने देशभर में 1,023 फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने की योजना बनाई है.

इनमें से 389 फास्ट ट्रैक कोर्ट केवल पोक्सो मामलों के लिए बनाए जाने हैं, जबकि बाकी मामले रेप और पोक्सो दोनों तरह के मामलों के लिए हैं.

इस फैसले के तहत बलात्कार और बच्चों के खिलाफ यौन अपराध रोकने वाले पॉक्सो एक्ट 2012 के तहत आने वाले मामलों के शीघ्र निस्तारण के लिए 1023 फास्ट ट्रैक कोर्ट (एफसीटीएस) बनाने का फैसला किया गया.

प्रस्तावित एफसीटीएस के अनुसार, अधिकतम 218 अदालतें उत्तर प्रदेश में, महाराष्ट्र में 138 और 123 पश्चिम बंगाल में स्थापित की जाएंगी.

फास्ट ट्रैक कोर्ट का विवरण.

195 फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए गए
केंद्र सरकार ने अब तक, 2019-20 के दौरान अलग-अलग राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना के लिए 93.43 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है.

मंत्रालय ने कहा कि उच्च न्यायालयों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 31 जनवरी, 2020 तक पहले ही 195 फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना की जा चुकी है. जिसमें सबसे अधिक 56 मध्य प्रदेश में कोर्ट स्थापित की गई हैं.

ये भी पढ़ें-शर्मनाक! तार-तार होते रिश्ते, पिता ने नाबालिग बेटी को बनाया हवस का शिकार

इसके अलावा गुजरात में 34, राजस्थान में 26, झारखंड में 22, दिल्ली में 16, छत्तीसगढ़ में 15 और तमिलनाडु में 14 कोर्ट स्थापित की गई है. हालांकि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में एक भी फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना नहीं की गई है, जहां पर अधिकतम संख्या में बलात्कार के मामले लंबित हैं.

राज्यों में फास्ट ट्रैक कोर्ट.

कानून मंत्रालय ने कहा कि एफसीटीएस की योजना के अनुसार, ऐसे प्रत्येक न्यायालय से एक वर्ष में 165 मामलों को निपटाने की उम्मीद की जाती है, जिसके लिए राज्यों / संघ राज्य सरकारों को सूचित किया गया है.

बता दें कि केंद्र सरकार की इस योजना के तहत एक साल के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए जाने हैं. समीक्षा के बाद उन्हें आगे जारी रखने का फैसला लिया जाएगा.

Last Updated : Mar 7, 2020, 11:14 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details