हैदराबाद : देश की अलग-अलग अदालतों में बलात्कार और बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा के लाखों मामले निलंबित हैं. इस तरह के मामलों में जितनी तत्परता से सुनवाई होनी चाहिए, वो नहीं हो रही है. चाहे जिसकी भी लापरवाही हो, इतना तो तय है कि इसका गंभीर असर पीड़ितों की मनोदशा पर जरूर पड़ता है. आइए एक नजर डालते हैं देश की अदालतों में इस तरह के कितने मामले लंबित हैं.
केंद्र सरकार ने हाल ही में संसद में इस बाबत जानकारी दी है. इसके मुताबिक पिछले साल दिसंबर तक रेप और पोक्सो कानून के 2.4 लाख से अधिक मामले अदालतों में लंबित हैं. केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यह जानकारी साझा की थी. ऐसे समय में जब बलात्कार के दोषियों पर जल्द से जल्द सख्त कार्रवाई की मांगें लगातार उठती रहती हैं, ये आंकड़े शर्मनाक तस्वीर पेश करते हैं.
उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा लंबित मामले
केंद्रीय कानून मंत्रालय ने लोकसभा में बताया कि 31 दिसंबर, 2019 तक अदालतों में रेप और पोक्सो कानून के दो लाख 44 हजार एक मामले लंबित थे.
देशभर की हाई कोर्ट से प्राप्त जानकारी के आधार पर ये जबाव दाखिल किया गया है.
इनमें सबसे अधिक 66,994 मामले उत्तर प्रदेश में लंबित हैं, जबकि महाराष्ट्र में 21,691 और पश्चिम बंगाल में 20,511 मामले लंबित हैं.
लंबित मामलों को निपटाने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बना रही सरकार
कानून मंत्रालय के जबाव में इन मामलों को जल्द से जल्द निपटाने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने के बारे में भी सूचना दी गई.
इसके अनुसार, आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 को आगे बढ़ाते हुए केंद्र सरकार ने देशभर में 1,023 फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने की योजना बनाई है.
इनमें से 389 फास्ट ट्रैक कोर्ट केवल पोक्सो मामलों के लिए बनाए जाने हैं, जबकि बाकी मामले रेप और पोक्सो दोनों तरह के मामलों के लिए हैं.