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विशेष लेख : कोरोना वायरस के नाम पर एशियाई लोगों से हो रहा भेदभाव

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Published : Feb 14, 2020, 4:25 PM IST

Updated : Mar 1, 2020, 8:21 AM IST

कोरोना वायरस फैलने के बाद दुनिया के कई देशों में एशियाई मूल के लोगों के साथ भेदभाव और उन पर चीन विरोधी टिप्पणियों की खबरें सामने आ रही हैं. ऐसे लोगों को भी भेदभाव और अपमान का शिकार होना पड़ रहा है, जो कभी महामारी वाले क्षेत्र गए ही नहीं. अब उन्हें शंका और भय की नजरों से देखा जा रहा है. ट्विटर पर एक बड़ा चौंकाने वाला वीडियो सामने आया है, जिसमें एक व्यक्ति न्यूयॉर्क मेट्रो स्टेशन पर सर्जिकल मास्क पहने एक एशियाई महिला पर नस्लीय टिप्पणी करता हुआ दिखाई दिया और उसने चिल्लाते हुए कहा, 'मुझे मत छुओ!' आदमी उस महिला को 'रोगग्रस्त' भी कहता दिखाई दिया...

etv bharat
प्रतीकात्मक चित्र

इन दिनों चीन कठिन समय से गुजर रहा है. चीन में कहर बरपा रहे नए कोरोना वायरस से लोगों के बीच संक्रमण और मौत का सिलसिला थम नहीं रहा. पूरा देश एक घातक खतरे से जूझ रहा है और इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए चीन हर संभव प्रयास कर रहा है.

चीन ने मात्र दस दिन में अस्पताल का निर्माण किया, जो कि इन प्रयासों की सूची में पूरी दुनिया को चौंका देने वाला सबसे महत्वपूर्ण कदम रहा. चीन ने हुपेई प्रांत के वुहान शहर में केवल दस दिन के भीतर ही दो अस्पताल- हुओशनशान और लेइशनशान का निर्माण किया जो मुख्य तौर पर नए कोरोना वायरस संक्रमण ग्रस्त रोगियों के उपचार के लिए हैं.

इस बीच, कोरोना वायरस फैलने के बाद दुनिया के कई देशों में एशियाई मूल के लोगों के साथ भेदभाव और उन पर चीन विरोधी टिप्पणियों की खबरें सामने आ रही हैं. ऐसे लोगों को भी भेदभाव और अपमान का शिकार होना पड़ रहा है, जो कभी महामारी वाले क्षेत्र में गए ही नहीं. अब उन्हें शंका और भय की नजरों से देखा जा रहा है.

ट्विटर पर एक बड़ा चौंकाने वाला वीडियो सामने आया, जिसमें एक व्यक्ति न्यूयॉर्क मेट्रो स्टेशन पर सर्जिकल मास्क पहने एक एशियाई महिला पर नस्लीय टिप्पणी करता हुआ दिखाई दिया और उसने चिल्लाते हुए कहा, 'मुझे मत छुओ!' आदमी उस महिला को 'रोगग्रस्त' भी कहता दिखाई दिया.

इसके अलावा, कई पश्चिमी देशों में एशियाई मूल के छात्रों को धमकाने की भी खबरें सामने आए हैं. टोरंटो में एक चीनी रेस्तरां के फीडबैक में नस्लवादी टिप्पणियों की बाढ़ आ गई. ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में एक रोगी ने अपनी एशियाई मूल की सर्जन से इसलिए हाथ मिलाने से इंकार कर दिया, क्योंकि उसे डर था कि वह नए कोरोना वायरस से संक्रमित हो जाएगा. इस घटना ने उस सर्जन को हिलाकर रख दिया. उसने ट्विटर पर अपना यह अनुभव शेयर किया और कई लोगों ने इस बात को कबूला कि एशियाई मूल के लोगों को कुछ इसी तरह के अनुभव हो रहे हैं.

डेर स्पीगेल ने अपनी पत्रिका का शीर्षक रखा

कुछ पश्चिमी मीडिया भी चीन विरोधी टिप्पणियों को हवा दे रही है. उदाहरण के लिए यूरोप में सबसे ज्यादा बिकने वाली पत्रिकाओं में से एक, डेर स्पीगेल ने अपनी पत्रिका का शीर्षक रखा:- कोरोना-वायरस, मेड इन चाइना.

जटलैंड पोस्ट में प्रकाशित एक कार्टून

डेनमार्क के एक अखबार, जटलैंड पोस्ट में एक कार्टून प्रकाशित हुआ, जिसमें चीन के राष्ट्रीय ध्वज पर पांच सितारों की जगह वायरस बनाया गया. इनके अलावा वॉल स्ट्रीट जर्नल में चीन को 'एशिया का असली बीमार आदमी' कहा गया. क्या वाकई यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है? मेरे विचार में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता वो होती है, जिसमें जाति, राष्ट्रीयता या किसी अन्य संप्रदाय के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता.

वॉल स्ट्रीट जर्नल में चीन पर छापा

चीन द्वारा नए कोरोना वायरस के खिलाफ किए जा रहे संघर्ष और कार्यों को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी सराहा है. यह बताने की कोई जरूरत नहीं है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन एक ऐसी संस्था है, जिसे मेडिकल की अच्छी खासी जानकारी है, लेकिन कुछ पश्चिमी मीडिया के लोग जो चिकित्सा मुद्दों के बारे में गंभीरता से नहीं जानते, वह चीन पर हमला कर रहे हैं. इससे उनका गैर-तार्किक और गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार साफ जगर आता है.

जब साल 2009 में संयुक्त राज्य अमेरिका में H1N1 महामारी फैली, तो किसी ने इसे 'अमेरिकी वायरस' नहीं कहा, लेकिन जब आज चीन में एक नए प्रकार का कोरोना वायरस कहर बनकर टूटा है, तो इसे 'चीनी वायरस' कहा जा रहा है. मुझे याद नहीं कि लोगों ने जीका को ब्राजील वायरस या फिर इबोला को कांगो वायरस कहा हो. खैर, यह नया कोरोना वायरस चीन से फैला है, लेकिन इसे 'चीनी निमोनिया' या 'चीनी वायरस' कहना निंदनीय है. चीनी लोग अपनी पूरी क्षमता से इस वायरस के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं.

डटे रहो वुहान! डटे रहो चीन!

मेरा मानना ​​है कि भेदभाव और अपमान किसी भी महामारी को कम नहीं कर सकते. चीनी नागरिक और एशियाई लोगों के साथ हो रहे भेदभाव का दृढ़ता से विरोध होना चाहिए. हमें इस जानलेवा वायरस की रोकथाम और नियंत्रण में चीन की मदद करनी चाहिए. यह समय न तो दोषारोपण करने और न ही भेदभाव करने का है, बल्कि एकजुट होने का है. चीनी लोगों के खिलाफ भेदभाव बंद होना चाहिए. हमें याद रखना चाहिए कि वह चीनी हैं, वायरस नहीं. डटे रहो वुहान! डटे रहो चीन!

लेखक : अखिल पाराशर

(लेखक चाइना मीडिया ग्रुप में पत्रकार हैं)

Last Updated : Mar 1, 2020, 8:21 AM IST

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