हैदराबाद : आज की दुनिया में, इंटरनेट प्रत्येक व्यक्ति और घर के लिए जानकारी और सूचनांए शेयर करने का एक माध्यम बन गया है. इंटरनेट प्रौद्योगिकी क्रांति के परिणामस्वरूप - डिजिटल मनोरंजन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नवाचार, आदि को साझा करने के लिए एक आवश्यक कड़ी और माध्यम बन गया है.
'डिजिटल इंडिया', जिसका उद्देश्य सभी नागरिकों को इंटरनेट सेवाओं से जोड़ा है, पिछले कुछ वर्षों से धीमे गति से आगे बढ़ रहा है. डिजिटल सपने को हासिल करने का एक शानदार अवसर अब भारत के दरवाजे पर दस्तक दे चुका है, जिसे प्राप्त करने के लिए इसे एक गति प्रदान करनी होगी.
गूगल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुंदर पिचाई ने घोषणा की है कि उनकी कंपनी अपनी मूल भाषाओं में भारतीयों के घरों में सूचना पहुंचाने और देश भर में डिजिटलीकरण को एक नए मुकाम तक पहुंचाने के लिए अगले पांच से सात वर्षों में 75,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी.
गूगल ने इस वर्ष के अंत तक 10 लाख शिक्षण कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए सीबीएसई (केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड) के साथ एक ऐतिहासिक समझौता किया है.
फेसबुक के नक्शे कदम पर चलते हुए, जिसने रिलायंस जियो में लगभग 42,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है, अब गूगल ने भी देश में 30,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश में दिलचस्पी दिखाई है.
कोरोना के कारण निराशवाद और अवसाद का सामना कर रही भारत की बड़ी कंपनियां और स्टार्ट-अप्स में इक्विटी निवेश और भागीदारी की नई आशा जगा दी है.
आज, ऑनलाइन प्रशासन, शिक्षण, और व्यापार लेनदेन सर्वोपरि हैं. हमें यह देखने की जरूरत है कि गूगल की हर घर में इंटरनेट सेवाओं को पहुंचाने की नई पहल ठीक से सुनिश्चित की जा सके, ताकि 'डिजिटल इंडिया' की वर्तमान धीमी गति में नए जोश की सांस भरी जा सके.
वाशिंगटन और बीजिंग के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए चीन ने व्यापार करने के लिए गूगल, फेसबुक, नेट फिलिक्स और ट्विटर जैसी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं.
स्वाभाविक रूप से उनका ध्यान चीन के बाद सबसे अधिक 56 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के साथ भारत में स्थानांतरित हो गया है. यह संख्या, भारत की आधी से भी कम आबादी है, लेकिन भविष्य में व्यापार के अवसरों की सुनिश्चित वृद्धि के लिए एक वसीयतनामा है.
भारत ने गलवान घाटी में हुई झड़प और तनाव के मद्देनजर टिक-टॉक समेत 59 चीनी एप पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिसने गूगल और अन्य कंपनियों को दोनों हाथों से भारतीय बाजार में छिपे हुए विशाल अवसरों का लाभ उठाने के लिए लाभान्वित कर दिया है, ठीक उसी तरह देश की डिजिटल उपस्थिति में तेजी लाने का अवसर भारत के लिए भी उतना ही फायदेमंद है.
सत्या नडेला, अरविंद कृष्ण और लक्ष्मी मित्तल, जिन्होंने यूएस, कनाडा और सिंगापुर में अपनी कंपनियों के लिए सकल राजस्व में $1 लाख करोड़ रेवेन्यू पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, वह यहां निवेश करने में रुचि रखते हैं... जो भारत के आर्थिक विकास के लिए बेहद जरूरी है.
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ऐसे समय में जब फेसबुक और गूगल जैसी बड़ी कंपनियां महत्वाकांक्षी योजनाएं लेकर आ रही हैं, ऐसे में केंद्र को तुरंत डेटा गोपनीयता और उपयोगकर्ताओं की व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा पर ध्यान देने की आवश्यकता है.
हालांकि, कई विशेषज्ञों ने यह भी चेतावनी दी है कि आईटी कानून, जिसे दो दशक पहले संसद द्वारा अनुमोदित किया गया था और 2008 में संशोधित किया गया था, उपभोक्ताओं के हितों की प्रभावी रूप से रक्षा करने में विफल रहा है.
गौरतलब है कि संयुक्त संसदीय समिति एक मॉडल व्यक्तिगत सूचना सुरक्षा बिल पर विचार कर रही है जो यूरोपीय संघ के सामान्य डेटा संरक्षण नियमों से मेल खाता है.
बदली हुई परिस्थितियों में, भारतीय लोगों के सपने तभी सच होंगे, जब मजबूत कानून पारित हों और इंटरनेट सेवाओं को मौलिक अधिकारों के रूप में प्रभावी रूप से मान्यता प्रदान की जाए. साथ ही उपयोगकर्ताओं की व्यक्तिगत जानकारी की गोपनीयता और सुरक्षा को कोई नुकसान न पहुंचे!