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शराब की दुकानें बंद होने से परेशान नशे के लती, पहुंच रहे अल्कोहल एडिक्शन सेंटर - शराब की लत

कोरोना वायरस के कारण पूरा देश लोकडाउन मोड़ पर चला गया है. इस दौरान सरकार ने सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठान को 21 दिन तक पूर्ण बंद करने की घोषणा की, जिसमें शराब सेवाएं शामिल हैं. बंद के दौरान किराने का सामान, फार्मास्यूटिकल्स, सब्जियां, डेयरी उत्पाद आदि जैसी आवश्यक सेवाएं खुली रहेंगी.

लॉकडाउन
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Published : Apr 7, 2020, 1:46 PM IST

Updated : Apr 7, 2020, 5:51 PM IST

हैदराबाद : कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में लॉकडाउन है. इस दौरान शराब की दुकानें भी बंद हैं. शराब पीने वालों को शराब नहीं मिल रही है, जिससे उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. लॉकडाउन में शराब नहीं मिलने से आत्महत्या की खबरें भी सामने आ रही हैं. अभी तक कई राज्यों से ऐसी घटनाएं सुनने को मिल रही हैं.

लॉकडाउन में शराबी घर पर पड़े शेविंग लोशन, वॉर्निश जैसी वस्तुओं को शराब नहीं मिलने की वजह से इनका इस्तेमाल करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं. दूसरी तरफ नशेड़ियों की वजह से अल्कोहल एडिक्शन सेंटर और हेल्पलाइन भी व्यस्त हो गए हैं.

लॉकडाउन के कारण शराब की दुकानों पर ताला लगा हुआ है. यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि एक नशेड़ी शराब के बिना कितना परेशान है. समय पर शराब नहीं मिलने के कारण शराबी लोग दुसरी चीजों का सेवन कर रहे हैं. यह काफी खतरनाक है क्योंकि शराब नहीं मिलने के कारण इस तरह के लोग आत्महत्या का प्रयास करने से नहीं चूक रहे हैं.

लॉकडाउन के कारण तमिलनाडु और केरल में दो लोगों ने अपनी जान दे दी. वहीं दूसरी तरफ छह युवक जिन्हें शराब की बुरी लत थी, समय पर शराब नहीं मिलने की वजह से दूसरी चीजों का सेवन करके मौत को गले लगा लिया. शराब पीने की यह बुरी लत लोगों को अंदर तक झकझोर कर रख देती हैं.

राज्यों में शराब से प्राप्त होनेवाला राजश्व
केरल में 2018-19 में रिकॉर्ड 14 हजार 508 करोड़ रुपये की शराब की बिक्री हुई थी और इस अवधि के दौरान राज्य के उत्पाद शुल्क से सरकार का राजस्व 2,521 करोड़ रुपये था.

एक अनुमान के मुताबिक राज्य में लगभग 1.6 मिलियन शराब पीने वाले हैं. मनोचिकित्सकों और सामाजिक वैज्ञानिकों का कहना है कि उनमें से लगभग 45 प्रतिशत ऐसे लोग हैं जो शराब की लत में बुरी तरह घिर चुके हैं.

सरकार द्वारा संचालित तमिलनाडु राज्य विपणन निगम ने भारतीय निर्मित विदेशी स्प्रीट और बीयर उत्पादों पर 31,757 करोड़ रुपये का कारोबार किया और सरकार ने 2017-18 के लिए 26,000 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व अर्जित किया.

तमिलनाडु राज्य विपणन निगम (TASMAC) जिसका राज्य में मादक पेय पदार्थों के थोक और खुदरा बिक्री पर एकाधिकार है. 11 आईएमएफएस विनिर्माण इकाइयों, सात बीयर निर्माताओं और तमिलनाडु में एक शराब बनाने वाली इकाई से IMFS, बीयर और वाइन खरीदता है.

अपनी 35 वीं वार्षिक रिपोर्ट (2017-18) जो कि तमिलनाडु विधानसभा के पटल पर रखी गई. TASMAC ने अपनी प्रदर्शन रिपोर्ट में, अपने टर्नओवर और राजस्व के बारे में जानकारी दी.

वर्ष 2017-18 के दौरान IMFS और बीयर उत्पादों का बिक्री कारोबार 31,757.71 करोड़ रुपये था.

त्यौहारों पर शराब की बिक्री

तमिलनाडु में दीपावली की छुट्टियों के दौरान शराब की बिक्री का लक्ष्य 455 करोड़ रुपये से अधिक है.

खुदरा दुकानों को चलाने वाली तमिलनाडु राज्य विपणन निगम (TASMAC) ने दीवाली के दौरान रिकॉर्ड को तोड़ दिया. सूत्रों की माने तो 25 अक्टूबर को शराब की बिक्री 100 करोड़ रुपये थी 26 अक्टूबर को 183 करोड़ रुपये और 27 अक्टूबर को 172 करोड़ रु तक रही.
केरल में इस ओणम में लगभग 500 करोड़ मूल्य की शराब की बिक्री हुई.

केरल स्टेट बेवरेजेज कॉरपोरेशन (बेवको) जिनका राज्य में शराब की खुदरा एकाधिकार है, का कहना था कि पिछले एक सप्ताह में उनके आउटलेट के माध्यम से शराब की बिक्री से होने वाली आय, 2018 के आंकड़े के अनुमानित 30 करोड़ से अधिक हो गई है.

देश में शराब के शौकीन
दुनिया में उत्पादित शराब का पांचवां हिस्सा भारतीयों द्वारा सेवन किया जाता है. हालांकि, भारत में आर्थिक उदारीकरण के बाद से, आईएमएफएल और आयातित शराब का बाजार तेजी से बढ़ा है. भारत में एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री का एक अध्ययन अनुसार शराब उद्योग का साल-दर-साल 30 प्रतिशत विस्तार हो रहा है.

2015 में, शराब की खपत लगभग 20 बिलियन लीटर होने की बात कही गई थी. स्प्रीट का कुल मूल्य, भारत में शराब और बीयर की खपत 1.5 लाख करोड़ रुपये के आसपास होने का अनुमान है

शराब की बात करें तो भारत दुनिया में सबसे बड़ा व्हिस्की बाजार है. यहां व्हिस्की और वाइन की मांग बढ़ रही है.

बता दें कि आर्थिक संपन्नता, शहरीकरण, बदलती जीवनशैली और सामाजिक मेलजोल ये सभी ऐसे कारण हैं जिसकी वजह से युवाओं का झुकाव शराब की तरफ हो रहा है.

शराबियों द्वारा आत्महत्या और असामान्य व्यवहार की घटनाएं

केरल
केरल उच्च न्यायालय ने शराब की होम डिलीवरी के लिए 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया.

याचिकाकर्ता ने कोर्ट बताया था कि शराब के शौकीनों की कतार लंबी थी और इससे उन्हें कोरोना वायरस से ग्रसित होने का खतरा था.

शराब बंदी से परेशान दो लोगों ने आत्महत्या की.

केरल सरकार शराब पीने वालों को विशेष पास जारी करने की बात कही. उन्हें आबकारी विभाग से शराब खरीदने की अनुमति होगी. दरअसल, कई ऐसे लोग हैं, जिन्हे शराब पीने की लत है. शराब नहीं मिलने से ऐसे लोग बैचेनी महसूस करते हैं.

वहीं केरल उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के उस फैसले पर रोक लगाई जिसके तहत उन शराब पीने वालों को विशेष पास जारी किए जाने थे जिनके पास आबकारी विभाग से शराब खरीदने के लिए डाक्टर का पर्चा है. कोर्ट ने अगले तीन हफ्ते के लिए यह रोक लगाई है.

देश में लॉकडाउन से नशेड़ी परेशान हैं. उन्हें समय से शराब नहीं मिल पा रहा है. आत्महत्या से लेकर शराब के विकल्प के तौर पर सेविंग लोशन का सेवन करने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं.

तेलंगाना
अल्कोहल की अनुपलब्धता के कारण अस्पताल में नशा करने वाले रोगियों की संख्या पांच से बढ़ कर 90 हो गई. गंभीर शराब के दुष्प्रभाव से इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ (IMH) जाने वाले लोगों की संख्या बढ़ गई है.

डिटॉक्सिफिकेशन (नशामुक्ति) प्रक्रिया और विश्लेषण
शराब की नियमित खुराक से वंचित एक नशेड़ी में बेचैनी और कंपकंपी जैसे लक्षणों का दौर शुरू हो जाता है. यह काफी परेशान करने वाला दृश्य होता है. लोग इस उम्मीद पर कायम हैं कि पुरानी शराबियों के लिए छूट हो सकती है, उन्हें इस बात की उम्मीद है कि डॉक्टर मरीज की विशेष परिस्थितियों को देखते हुए रोजाना कुछ मात्रा में शराब का सेवन करने के लिए कह सकता है. हालांकि मनोचिकित्सकों ने इस विचार को खारिज कर दिया है.

उन्होंने कहा कि कोई भी डॉक्टर मरीजों को अल्कोहल नहीं देगा, यहां तक ​​कि दो या तीन पैग भी नशेड़ियों के लिए कम होंगे, क्योंकि उसको कम शराब से काम नहीं चलने वाला है.

जिन लोगों को शराब की लत लग चुकी है उनके लिए डिटॉक्सिफिकेशन और डी एडिक्शन ट्रीटमेंट को रिकवरी के मार्ग के रूप में दृढ़ता से सुझाया गया है. हालांकि इस मार्ग में थोड़ा कष्ट अवश्य है मगर अंतत: एक शराबी नशा से मुक्त होकर ही घर लौटता है.

डिटॉक्सिफिकेशन (नशामुक्ति) की प्रक्रिया आठ से 10 दिनों तक चलती है. इसमें रोगी और परिवार का सहयोग आवश्यक है, जो इस बात को निर्धारित करता है की तय समय के बाद रोगी ठीक होकर घर लौटेगा अथवा नहीं.

Last Updated : Apr 7, 2020, 5:51 PM IST

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