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एलएसी गतिरोध : 8वें दौर की वार्ता में 10 घंटे तक मंथन, विघटन पर भारत का जोर - वास्तविक नियंत्रण रेखा

भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जारी तनाव के बीच दोनों देशों की सेनाओं के बीच सैन्य वार्ता हुई. सैन्य वार्ता में चीन ने जल्द सैनिकों को पीछे हटाने पर जोर दिया. आठवें दौर की उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता लगभग 10 घंटे तक चली. पूर्वी लद्दाख में नियंत्रण रेखा के भारतीय हिस्से में चुशुल में सुबह करीब साढ़े नौ बजे शुरू हुई और यह शाम सात बजे खत्म हुई. पढ़ें विस्तार से...

लद्दाख गतिरोध
लद्दाख गतिरोध

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Published : Nov 7, 2020, 6:44 AM IST

नई दिल्ली :भारत ने शुक्रवार को कोर कमांडर स्तर की वार्ता के आठवें दौर के दौरान पूर्वी लद्दाख में गतिरोध वाले सभी स्थानों से चीन द्वारा जल्द सैनिकों को पीछे हटाने पर जोर दिया. मुख्य रूप से वार्ता का मकसद क्षेत्र में शांति और स्थिरता की बहाली के लिए खाका तैयार करना था. सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी.

उन्होंने कहा कि आठवें दौर की उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता पूर्वी लद्दाख में नियंत्रण रेखा के भारतीय हिस्से में चुशुल में सुबह करीब साढ़े नौ बजे शुरू हुई और यह शाम सात बजे खत्म हुई.

एक सूत्र ने बताया, 'भारतीय पक्ष ने अप्रैल से पूर्व की स्थिति जल्द बहाल करने और गतिरोध वाले सभी स्थानों से चीन द्वारा सैनिकों की वापसी पर जोर दिया.'

छह महीने से चल रहे सैन्य गतिरोध के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दोनों पक्षों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैनिकों के पीछे हटने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सैन्य और राजनयिक स्तर पर करीबी संवाद जारी है.

उन्होंने कहा, 'दोनों पक्ष सीमाई इलाके में शांति और स्थिरता के लिए नेताओं के बीच बनी सहमति के आधार पर काम करते हैं. हम पूर्वी लद्दाख में मौजूदा स्थिति को लेकर आपसी स्वीकार्य समाधान पर पहुंचने के लिए चीनी पक्ष से बातचीत जारी रखेंगे.'

बीते कुछ दिनों में भारत के शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने एक के बाद एक कई बैठकें कीं जिनमें पूर्वी लद्दाख की संपूर्ण स्थिति की समीक्षा की गई और तय किया गया कि चीन के साथ बातचीत में सैनिकों की समग्र वापसी के लिए दबाव बनाया जाएगा.

कोर कमांडर स्तर की सातवें दौर की बातचीत 12 अक्टूबर को हुई थी और उस दौरान चीन पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे से लगे रणनीतिक ऊंचाई वाले कुछ स्थानों से भारतीय सैनिकों की वापसी के लिये दबाव डाल रहा था.

भारत ने हालांकि स्पष्ट किया था कि सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया गतिरोध वाले सभी बिंदुओं पर एक साथ शुरू हो.

पूर्वी लद्दाख के विभिन्न पहाड़ी इलाकों में करीब 50 हजार भारतीय सैनिक शून्य से भी नीचे तापमान में युद्ध की उच्चस्तरीय तैयारी के साथ तैनात हैं. दोनों पक्षों के बीच गतिरोध को खत्म करने के लिए हुई कई दौर की बातचीत का कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है.

अधिकारियों के मुताबिक, चीन ने भी लगभग इतने ही सैनिक तैनात कर रखे हैं.

दोनों पक्षों के बीच मई की शुरुआत में गतिरोध की स्थिति बनी थी.

यह भी पढ़ें-भारत-चीन के बीच 6 नवंबर को हो सकती है आठवें दौर की वार्ता

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले हफ्ते कहा था कि भारत और चीन के बीच रिश्ते 'बेहद तनाव' में हैं और सामान्य स्थिति की बहाली के लिये सीमा प्रबंधन के लिये दोनों पक्षों द्वारा किये गए समझौतों का 'संपूर्णता' से 'निष्ठापूर्वक' सम्मान किया जाना चाहिए.

आठवें दौर की सैन्य बातचीत में भारतीय पक्ष का नेतृत्व लेह स्थित 14वीं कोर के नवनियुक्त कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन ने किया.

सातवें दौर की बातचीत में दोनों पक्षों ने यथाशीघ्र सैनिकों की वापसी के परस्पर स्वीकार्य समाधान तक पहुंचने के लिये सैन्य व कूटनीतिक माध्यमों से बातचीत एवं संवाद कायम रखने पर सहमति व्यक्त की थी.

भारत का रुख शुरू से स्पष्ट है कि सैनिकों की वापसी और पहाड़ी क्षेत्र के गतिरोध वाले बिंदुओं पर तनाव कम करने की प्रक्रिया को आगे ले जाने का दायित्व चीन पर है.

छठे दौर की सैन्य बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने सीमा पर और सैनिकों को नहीं भेजने, जमीनी स्थिति को बदलने की एकपक्षीय कोशिश से बचने और स्थिति को और अधिक गंभीर बनाने वाले किसी भी कदम या कार्रवाई से बचने समेत कई फैसलों की घोषणा की थी.

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