पटना :बिहार राज्य में हत्या, लूट, दुष्कर्म, तस्करी जैसी घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है. बता दें कि पिछले कुछ सालों में चार से 14 साल तक के नाबालिग बच्चे-बच्चियों के लापता होने का सिलसिला लगातार जारी है. वहीं, प्रदेश से लगभग 7,000 नाबालिग बच्चे-बच्चियां लापता हैं. इन सभी लापता बच्चों के बारे में कुछ भी कह पाना अभी मुश्किल है.
लगातार बढ़ रहा अपराध
बिहार में लगातार बढ़ रहे अपराध और लगभग हजारों की संख्या में गायब हो रहे बच्चों को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. बिहार में इन दिनों लगातार मानव तस्करी का मामला बढ़ता ही जा रहा है. बाल तस्करी के मामले में बिहार तीसरे नंबर पर है. बिहार में हर दिन एक बच्चे की तस्करी किया जा रहा है. देश में राजस्थान और पश्चिम बंगाल के बाद बाल तस्करी के दर्ज प्रकरणों के मामले में बिहार तीसरा राज्य बन गया है.
नि:शुल्क FIR दर्ज करने का निर्देश
पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र कुमार की मानें तो मानव तस्करी को लेकर पुलिस मुख्यालय इसे बहुत गंभीरता से लेता है. उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद पुलिस मुख्यालय ने सभी जिले के पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिया है कि नाबालिग बच्चों के गायब होने वाले मामलों में 24 घंटे के अंदर नि:शुल्क एफआईआर दर्ज होना अनिवार्य है. यही कारण है कि ज्यादा से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं.
टास्क फोर्स का गठन
बिहार के हर जिले में बच्चों की बरामदगी को लेकर टास्क फोर्स का भी गठन किया गया है. साथ ही साथ पुलिस मुख्यालय वर्कशॉप के माध्यम से पुलिसकर्मियों को भी बच्चों की बरामदगी को लेकर ट्रेनिंग और टिप्स दे रहा है. पुलिस प्रयासरत है कि जल्द से जल्द गायब बच्चों को बरामद कर, उनके परिजनों तक पहुंचाया जा सके. पुलिस मुख्यालय से मिल रही जानकारी के अनुसार, सरकारी आंकड़े के मुताबिक वर्ष 2011 से अब तक कुल 7,599 गुमशुदगी के मामले बिहार के अलग-अलग थानों में दर्ज हुए हैं, जिनमें से 2,730 नाबालिग बच्चियां और 4,866 नाबालिक बच्चे शामिल हैं.
4000 बच्चों की हो चुकी है बरामदगी
पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र कुमार भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि बिहार से बच्चों का गायब होने का सिलसिला बदस्तूर जारी है, लेकिन साथ ही उनका यह भी कहना है कि इनमें से तकरीबन 4,000 बच्चे बच्चियों मिल चुके हैं. जितेंद्र कुमार के मुताबिक, लापता बच्चों को खोजने के लिए समय-समय पर विशेष अभियान भी चलाया जाता है.