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भारत-चीन गतिरोध : मोर्चे पर अधिक सैनिक न भेजने पर दोनों देश सहमत

भारत और चीन के बीच वरिष्ठ कमांडरों की बैठक के छठे दौर की वार्ता के बाद दोनों देशों को संयुक्त विज्ञाप्ति जारी की. इसमें कहा गया है कि दोनों पक्ष जल्द से जल्द सैन्य कमांडर-स्तरीय बैठक के 7वें दौर को आयोजित करने के लिए सहमत हो गए हैं. इसके अलावा दोनो देश सभी समस्याओं को हल करने के लिए व्यावहारिक उपाय और संयुक्त रूप से सीमा क्षेत्र में शांति रक्षा करने पर भी सहमत हुए.

भारत चीन गतिरोध
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Published : Sep 22, 2020, 5:21 PM IST

Updated : Sep 22, 2020, 9:18 PM IST

नई दिल्ली : भारत और चीन के बीच वरिष्ठ कमांडरों की बैठक के छठे दौर की वार्ता के बाद दोनों देशों को संयुक्त विज्ञाप्ति जारी की. विज्ञाप्ति के मुताबिक दोनों पक्षों ने भारत - चीन सीमा क्षेत्रों में एलएसी पर मौजूदा स्थिति को स्थिर पर गहन विचार किया.

इस दौरान दोनों देशों के नेताओं द्वारा महत्वपूर्ण सहमति को लागू करने, जमीन पर संचार को मजबूत करने, गलतफहमी और गलतफहमी से बचने, मोर्चे पर अधिक सैनिकों को भेजने से रोकने, एकतरफा यथास्थिति को बदलने से परहेज करने करने पर सहमत हुए.

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इसके अलावा दोनों पक्ष जल्द से जल्द सैन्य कमांडर-स्तरीय बैठक के 7 वें दौर को आयोजित करने के लिए सहमत हुए. इसके अलावा दोनो देश सभी समस्याओं को हल करने के लिए व्यावहारिक उपाय और संयुक्त रूप से सीमा क्षेत्र में शांति रक्षा करने पर भी सहमत हुए.

इससे पहले सूत्रों ने बताया कि कमांडर स्तर की छठे दौर की वार्ता के दौरान चीन ने भारत से 29 अगस्त के बाद पैंगोंग त्सो के दक्षिण तट पर कब्जे में ली पॉजिशन को खाली करने के लिए कहा. इस दौरान भारत ने जोर देकर कहा कि चीन को पूर्वी लद्दाख में अप्रैल-मई'20 समय से पहले मौजूद पॉजिशन पर वापस जाना चाहिए. वहीं सूत्रों का कहना है कि भारत और चीन जमीन पर एक दूसरे से बातचीत जारी रखने और स्थिति की उग्रता से बचने के लिए संचार की लाइनों को खुला रखने पर सहमत हुए हैं.

कोर कमांडर स्तर की छठे दौर की यह वार्ता पूर्वी लद्दाख में भारत के चुशूल सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पार मोल्डो में चीनी क्षेत्र में सुबह करीब नौ बजे शुरू हुई और रात 11 बजे तक चली.

समझा जाता है कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 10 सितंबर को मास्को में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के इतर विदेश मंत्री एस जयशंकर तथा उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच हुए समझौते को निश्चित समय-सीमा में लागू करने जोर दिया. भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई भारतीय सेना की लेह स्थित 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने की.

पहली बार सैन्य वार्ता से संबंधित भारतीय प्रतिनिधिमंडल में विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी भी शामिल हैं. विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं. वह सीमा विषयक परामर्श एवं समन्वय कार्य प्रणाली के तहत चीन के साथ सीमा विवाद पर राजनयिक वार्ता में शामिल रहे हैं.

भारतीय प्रतिनिधिमंडल में लेफ्टिनेंट जनरल पीजी के मेनन भी शामिल थे, जो अगले महीने 14वीं कोर कमांडर के तौर पर सिंह का स्थान ले सकते हैं. सूत्रों ने कहा कि भारतीय दल ने साढे़ चार महीने से जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा सैनिकों को शीघ्र और पूरी तरह हटाने पर बल दिया.

उन्होंने बताया कि वार्ता का एजेंडा पांच सूत्री समझौते के क्रियान्वयन की स्पष्ट समयसीमा तय करना था. पांच सूत्री समझौते का लक्ष्य तनावपूर्ण गतिरोध को खत्म करना है, जिसके तहत सैनिकों को शीघ्र वापस बुलाना, तनाव बढ़ाने वाली कार्रवाइयों से बचना, सीमा प्रबंधन पर सभी समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन करना तथा वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति बहाली के लिए कदम उठाना जैसे उपाय शामिल हैं

पढ़ें - भारत-चीन के सैन्य कमांडरों की बैठक, 13 घंटे तक चली वार्ता

कोर कमांडर स्तर की वार्ता के पांचवें दौर में भारत ने चीनी सैनिकों की यथाशीघ्र वापसी तथा पूर्वी लद्दाख के सभी क्षेत्रों में अप्रैल से पहले वाली स्थिति की बहाली पर जोर दिया था. यह गतिरोध पांच मई को शुरू हुआ था.

पांचवें दौर की कोर कमांडर स्तर की वार्ता दो अगस्त को करीब 11 घंटे चली थी. उससे पहले चौथा दौरान 14 जुलाई को करीब 15 घंटे चला था.

इस बीच सैन्य सूत्रों ने बताया कि वायुसेना में हाल में शामिल किए गए राफेल विमानों ने पूर्वी लद्दाख के ऊपर चक्कर लगाने शुरू कर दिए हैं. यह बीते तीन हफ्तों में चीनी सैनिकों की 'उकसावे की कार्रवाइयों के मद्देनजर प्रतिरोधक तैयारी को मजबूती देने के हिस्से के तौर पर किया गया है.

Last Updated : Sep 22, 2020, 9:18 PM IST

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