नई दिल्ली : भारत और चीन के बीच वरिष्ठ कमांडरों की बैठक के छठे दौर की वार्ता के बाद दोनों देशों को संयुक्त विज्ञाप्ति जारी की. विज्ञाप्ति के मुताबिक दोनों पक्षों ने भारत - चीन सीमा क्षेत्रों में एलएसी पर मौजूदा स्थिति को स्थिर पर गहन विचार किया.
इस दौरान दोनों देशों के नेताओं द्वारा महत्वपूर्ण सहमति को लागू करने, जमीन पर संचार को मजबूत करने, गलतफहमी और गलतफहमी से बचने, मोर्चे पर अधिक सैनिकों को भेजने से रोकने, एकतरफा यथास्थिति को बदलने से परहेज करने करने पर सहमत हुए.
इसके अलावा दोनों पक्ष जल्द से जल्द सैन्य कमांडर-स्तरीय बैठक के 7 वें दौर को आयोजित करने के लिए सहमत हुए. इसके अलावा दोनो देश सभी समस्याओं को हल करने के लिए व्यावहारिक उपाय और संयुक्त रूप से सीमा क्षेत्र में शांति रक्षा करने पर भी सहमत हुए.
इससे पहले सूत्रों ने बताया कि कमांडर स्तर की छठे दौर की वार्ता के दौरान चीन ने भारत से 29 अगस्त के बाद पैंगोंग त्सो के दक्षिण तट पर कब्जे में ली पॉजिशन को खाली करने के लिए कहा. इस दौरान भारत ने जोर देकर कहा कि चीन को पूर्वी लद्दाख में अप्रैल-मई'20 समय से पहले मौजूद पॉजिशन पर वापस जाना चाहिए. वहीं सूत्रों का कहना है कि भारत और चीन जमीन पर एक दूसरे से बातचीत जारी रखने और स्थिति की उग्रता से बचने के लिए संचार की लाइनों को खुला रखने पर सहमत हुए हैं.
कोर कमांडर स्तर की छठे दौर की यह वार्ता पूर्वी लद्दाख में भारत के चुशूल सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पार मोल्डो में चीनी क्षेत्र में सुबह करीब नौ बजे शुरू हुई और रात 11 बजे तक चली.
समझा जाता है कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 10 सितंबर को मास्को में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के इतर विदेश मंत्री एस जयशंकर तथा उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच हुए समझौते को निश्चित समय-सीमा में लागू करने जोर दिया. भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई भारतीय सेना की लेह स्थित 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने की.