वाराणसी :धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी परंपराओं का भी शहर है. यही वजह है कि यहां पर लगभग 400 वर्ष से भी ज्यादा पुरानी रामलीला का आयोजन आज भी किया जाता है. इस परंपरा को कायम रखते हुए प्रसिद्ध गोस्वामी तुलसीदास अखाड़ा ने बुधवार को मुकुट पूजा से लीला का शुभारंभ किया. गोस्वामी तुलसीदास रामलीला समिति के सभापति व संकट मोचन मंदिर के महंत प्रोफेसर विशंभर नाथ मिश्र ने रामलीला के पात्रों की मुकुट पूजा कर औपचारिक शुरुआत की. यह रामलीला 11 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक चलेगी. रामलीला का मंचन तुलसी घाट पर किया गया. सीमित लोगों को ही रामलीला देखने की अनुमति दी गई है.
जिले के तुलसी घाट पर 400 वर्ष पुरानी परंपरा का निर्वहन करते हुए प्रसिद्ध गोस्वामी तुलसीदास अखाड़ा ने भगवान के पात्रों के साथ रामलीला का शुभारंभ किया. बुधवार को रामलीला का पहला दिन था. इस दिन धनुष यज्ञ की रामलीला की गई. चौपाइयों के साथ रामलीला प्रारंभ की गई. लीला में एक से एक महाबली योद्धाओं ने भगवान शिव का धनुष उठाने के लिए अपने बाहों में बल दिखाकर धनुष के पास गये, लेकिन वहां से पराजित होकर लौटते नजर आए.