हैदराबाद : हर साल 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य उपभोक्ता आंदोलन के महत्व को दर्शाना और हर उपभोक्ता को उसके अधिकार और जवाबदेही के प्रति जागरूक बनाना है.
आज ही के दिन 1986 में उपभोक्ता संरक्षण कानून पर राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर किए थे. अधिनियम का उद्देश्य उपभोक्ताओं को विभिन्न प्रकार के शोषण से सुरक्षा प्रदान करना है. जैसे- दोषपूर्ण सामान, सेवाओं में कमी और अनुचित व्यापार प्रथा से निपटना.
संसद ने 2019 में नए उपभोक्ता संरक्षण बिल को मंजूरी दी. इसने पुराने कानून को प्रतिस्थापित कर दिया है. इसका उद्देश्य प्रभावी प्रशासन के लिए अधिकारियों की स्थापना करके उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करना है. संबंधित विवाद का निपटारा करना है. इसके तहत केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) की स्थापना की गई है. सीसीपीए अनुचित व्यापार प्रथाओं से उत्पन्न होने वाली समस्याओं पर रोक लगाने के लिए हस्तक्षेप करेगा. जरूरत पड़ने पर यह कार्रवाई कर सकती है. उत्पादों को लौटाया जा सकता है. पैसे को रिफंड करने का आदेश दे सकता है.
इस साल इसकी थीम - द सस्टेनेबल कंज्यूमर है.
1986 के तहत स्थापना के बाद उपभोक्ता संरक्षण कानून
हमारी प्राथमिकता जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता को हो रहे नुकसान पर रोक लगाना है. पेरिस समझौते के अनुरूप यह दशक हमारे लिए बहुत ही महत्वूपर्ण है. हमें हर हाल में इस प्रवृत्ति को पलटनी होगी. ग्लोबल वार्मिंग के स्तर को कम करना होगा.
इस कार्य में उपभोक्ता आंदोलन बहुत अहम भूमिका निभा सकता है. यह हमारी जीवन शैली में हो रहे बदलाव की ओर इशारा करेगा. सरकार और व्यवसायियों को क्या करना है, उसके लिए विकल्प बताएगा.
उपभोक्ता मामलों के विभाग द्वारा लागत को कम करने और उपभोक्ता शिकायतों के समय पर निवारण को सुनिश्चित करने के लिए की गई महत्वपूर्ण पहल इस प्रकार हैं.
उपभोक्ता मंच को जिला स्तर पर जिला मंच, राज्य स्तर पर राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग और राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग कहा जाता है.