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ऑनलाइन शिक्षा : सिर्फ 24 फीसदी भारतीय घरों में इंटरनेट की सुविधा

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Published : Aug 28, 2020, 12:29 PM IST

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि ज्यादातर पिछड़े समुदायों के छात्रों, विशेषकर लड़कियों के पास स्मार्टफोन नहीं हैं और यदि वे डिजिटल पहुंच हासिल भी कर लेते हैं, तो इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या होती है.

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24 प्रतिशत भारतीय परिवारों के पास इंटरनेट की सुविधा है

नई दिल्ली :ऑनलाइन शिक्षा पाने के लिए सिर्फ 24 प्रतिशत भारतीय परिवारों के पास इंटरनेट की सुविधा है और इंटरनेट तक पहुंच हासिल करने में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच एक बड़ा अंतर है, जिससे उच्च, मध्यम और निम्न-आय वाले परिवारों में शिक्षा का अंतर और बढ़ सकता है. यूनिसेफ की एक नई रिपोर्ट के अनुसार यह जानकारी सामने आई है.

यूनीसेफ द्वारा गुरुवार को जारी 'रिमोट लर्निंग रीचेबिलिटी रिपोर्ट' में दूरस्थ ऑनलाइन शिक्षा हासिल करने के लिए जूझ रहे आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को लेकर चिंता व्यक्त की गई है.

एक चौथाई घरों में इंटरनेट की सुविधा
रिपोर्ट में कहा गया कि 'उपलब्ध आंकड़ों से संकेत मिलता है कि भारत में लगभग एक चौथाई (24 प्रतिशत) घरों में इंटरनेट की सुविधा है और इंटरनेट तक पहुंच हासिल करने के मामले में एक बड़ा ग्रामीण-शहरी और लैंगिक विभाजन है. उच्च, मध्यम और निम्न-आय वाले परिवारों के बीच शिक्षा का अंतर और बढ़ सकता है क्योंकि आर्थिक रूप से वंचित परिवारों के बच्चे दूरस्थ शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकते.'

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सामग्री मातृभाषा में उपलब्ध नहीं
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि ज्यादातर पिछड़े समुदायों के छात्रों, विशेषकर लड़कियों के पास स्मार्टफोन नहीं हैं और यदि वे डिजिटल पहुंच हासिल भी कर लेते हैं, तो इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या होती है और इसके अलावा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सामग्री उनकी मातृभाषा में उपलब्ध नहीं है.

24 प्रतिशत भारतीय परिवारों के पास इंटरनेट की सुविधा है

28.6 करोड़ बच्चों की शिक्षा प्रभावित
रिपोर्ट में कहा गया है कि 'भारत में 15 लाख से अधिक स्कूल महामारी के कारण बंद हैं, जिसके कारण पूर्व-प्राथमिक से लेकर माध्यमिक स्तर तक के 28.6 करोड़ बच्चों की शिक्षा प्रभावित हुई है, जिनमें 49 प्रतिशत लड़कियां शामिल हैं. 60 लाख लड़के एवं लड़कियां कोविड-19 के पहले से ही स्कूल से बाहर थे.'

व्यवस्था में सुधार के लिए उठाए कई कदम
केंद्र और राज्य सरकारों ने छात्रों के लिए घर पर पढ़ाई को सुविधाजनक बनाने के लिए डिजिटल और गैर-डिजिटल प्लेटफार्मों के माध्यम से कई पहल की हैं, जिसके बारे में जिक्र करते हुए यूनिसेफ ने बच्चों और छात्रों की सीखने की सामग्री के उपयोग समेत उन तक पहुंच पाने की व्यवस्था में सुधार के लिए कई कदम उठाने और रणनीति बनाने का आह्वान किया है.

संयुक्त दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान
'यूनिसेफ इंडिया' की प्रतिनिधि यास्मीन अली हक ने समुदायों, माता-पिता और स्वयंसेवकों के साथ बच्चों तक पहुंचने और इस समय उनकी पढ़ाई में सहायता करने के लिए संयुक्त दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया.

'मिश्रित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता'
हक ने कहा 'हम जानते हैं कि किसी भी संकट में बच्चे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं. स्कूल बंद हैं, माता-पिता के पास रोजगार नहीं हैं और परिवार तनाव से गुजर रहे हैं. बच्चों की एक पूरी पीढ़ी ने उनकी शिक्षा और पढ़ाई बाधित होते देखा है.' उन्होंने कहा, 'डिजिटल शिक्षा तक पहुंच सीमित है और इसके जरिये सीखने के अंतर को हल नहीं किया जा सकता है. संकट के इन समयों में बच्चों तक पहुंचने के लिए समुदायों, माता-पिता, स्वयंसेवकों को शामिल कर एक मिश्रित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है.'

24 प्रतिशत भारतीय परिवारों के पास इंटरनेट की सुविधा है

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46.3 करोड़ बच्चे ऑनलाइन शिक्षा पाने में असमर्थ
दुनिया भर में कोविड-19 के कारण स्कूल बंद होने की वजह से कम से कम एक तिहाई स्कूली बच्चे यानी 46.3 करोड़ बच्चे ऑनलाइन दूरस्थ शिक्षा प्राप्त करने में असमर्थ हैं. यूनिसेफ ने सरकारों से आग्रह किया कि जब वे लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील देना शुरू करें, तब वे स्कूलों को सुरक्षित ढंग से पुन: खोलने को प्राथमिकता दें.

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