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व्लादिमीर लेनिन : पहले कम्युनिस्ट राज्य के नेता, जिन्होंने किया सोवियत यूनियन का गठन - बोल्शेविक पार्टी के प्रमुख

व्लादिमीर लेनिन एक रूसी कम्युनिस्ट क्रांतिकारी और बोल्शेविक पार्टी के प्रमुख थे, जो 1917 की रूसी क्रांति के दौरान प्रमुखता से उभरे. लेनिन ने 1922 में एक संधि कर जॉर्जिया, अर्मेनिया, अजरबैजान और यूक्रेन आदि के साथ मिलकर सोवियत यूनियन की स्थापना की और इसके पहले प्रमुख बने.

लेनिन
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Published : Apr 22, 2020, 12:08 PM IST

Updated : Apr 22, 2020, 11:08 PM IST

हैदराबाद : महान रूसी कम्युनिस्ट क्रांतिकारी और तत्कालीन बोल्शेविक पार्टी के प्रमुख व्लादिमीर लेनिन की आज 150वीं जन्म जयंती है. वर्ष 1917 की रूसी क्रांति के दौरान प्रमुखता से उभरे लेनिन ने 1922 में एक संधि कर जॉर्जिया, अर्मेनिया, अजरबैजान और यूक्रेन आदि के साथ मिलकर सोवियत यूनियन की स्थापना की थी और इसके पहले प्रमुख बने.

रूसी कम्युनिस्ट क्रांति बीसवीं शताब्दी की सबसे विस्फोटक राजनीतिक घटनाओं में से एक थी. यह वह दौर था, जब यूरोप में खूनी उथल-पुथल ने रूस में दमनकारी रोमानोव वंश और सदियों से शाही शासन के अंत को चिह्नित किया. बोल्शेविक बाद में कम्युनिस्ट पार्टी बन गई, जिससे लेनिन सोवियत संघ के नेता बन गए, जो दुनिया का पहला कम्युनिस्ट राज्य था.

कौन थे व्लादिमीर लेनिन
व्लादिमीर लेनिन का जन्म 1870 में रूस के उल्यानोवस्क में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था. वह एक शिक्षित परिवार में छह भाई-बहनों में से तीसरे थे. लेनिन का असली नाम व्लादिमीर इलिच उल्यानोव था.

किशोरावस्था में लेनिन 1887 में राजनीतिक रूप से कट्टरपंथी बन गए थे, जब उनके बड़े भाई को कजर अलेक्जेंडर III की हत्या की साजिश रचने के आरोप में मार डाला गया था.

उसके बाद कानून की पढ़ाई कर रहे 17 वर्षीय लेनिन को एक अवैध छात्र प्रदर्शन में भाग लेने के लिए कजान इंपीरियल यूनिवर्सिटी से निष्कासित कर दिया गया था. अपने निष्कासन के बाद, लेनिन ने खुद को कट्टरपंथी राजनीतिक साहित्य में डूबो दिया, जिसमें जर्मन दार्शनिक और दास कैपिटल के लेखक समाजवादी कार्ल मार्क्स का लेखन भी शामिल था.

कार्ल मार्क्स के लेखन से प्रभावित होकर लेनिन ने खुद को 1889 में मार्क्सवादी घोषित कर दिया. कॉलेज के बाद उन्होंने कानून की डिग्री प्राप्त की. 1890 के दशक के मध्य में सेंट पीटर्सबर्ग में लेनिन ने कानून का संक्षिप्त अभ्यास किया.

लेकिन उन्हें जल्द ही मार्क्सवादी गतिविधियों में संलग्न होने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया और साइबेरिया में निर्वासित कर दिया गया. वह बाद में जर्मनी और फिर स्विट्जरलैंड चले गए, जहां वह अन्य यूरोपीय मार्क्सवादियों से मिले. इसी दौरान उन्होंने अपना नाम लेनिन रख लिया और बोल्शेविक पार्टी की स्थापना की.

प्रथम विश्व युद्ध में रूस
रूस, सर्बिया और उनके फ्रांसीसी व ब्रिटिश सहयोगियों के समर्थन में अगस्त 1914 में प्रथम विश्व युद्ध में शामिल हुआ. सैन्य, साम्राज्यवादी रूस का आधुनिक, औद्योगिक जर्मनी के साथ कोई मुकाबला नहीं था. युद्ध में रूसी भागीदारी विनाशकारी थी. युद्ध में रूसी हताहतों की संख्या किसी भी अन्य राष्ट्र के मुकाबले में बहुत ज्यादा थी और भोजन और ईंधन की कमी ने जल्द ही विशाल देश को तहस नहस कर दिया.

लेनिन ने युद्ध की वकालत करते हुए 1916 में इंपीरियलिज्म, द हाईएस्ट स्टेज ऑफ कैपिटलिज्म लिखा और प्रकाशित किया, जिसमें उन्होंने तर्क दिया कि युद्ध अंतरराष्ट्रीय पूंजीवाद का स्वाभाविक परिणाम था.

रूसी क्रांति
अप्रैल 1917 में जब लेनिन रूस लौटे तो रूसी क्रांति की शुरुआत हो चुकी थी. मार्च में भोजन की कमी को लेकर हुई हड़ताल ने शाही शासन के सदियों से चले आ रहे जार निकोलस II को सत्ता से हटा दिया और अस्थायी सरकार का गठन किया, जिसने हिंसक सामाजिक सुधार का विरोध किया.

लेनिन ने इस अस्थाई सरकार को उखाड़ फेंकने की साजिश शुरू कर दी और तानाशाही की बजाय सीधे मजदूरों और किसानों के शासन की वकालत की.

1917 के आते-आते, रूसी शासन और कमजोर हो गया था. इस दौरान लेनिन ने सत्ता पर कब्जा करने के लिए गुप्त रूप से फैक्ट्री के मजदूरों, किसानों, सैनिकों और नाविकों को रेड गार्ड्स में संगठित किया. जिसे रेडगार्ड कहा जाता है.

सात और आठ नवंबर, 1917 को, रेड गार्ड्स ने तख्तापलट करते हुए सत्ता पर कब्जा कर लिया और सोवियत शासन की घोषणा हुई, जिससे लेनिन दुनिया के पहले कम्युनिस्ट राज्य के नेता बन गए. नई सोवियत सरकार ने ब्रेस्ट-लिटोव्स्क की संधि के साथ प्रथम विश्व युद्ध में रूसी भागीदारी को समाप्त कर दिया.

युद्ध साम्यवाद
बोल्शेविक क्रांति ने रूस को तीन साल के गृहयुद्ध में डुबो दिया. लेनिन की नवगठित रेड आर्मी, पूंजीवादियों और लोकतांत्रिक समाजवाद के समर्थकों की ह्वाइट आर्मी से लड़ती रही.

इस दौरान, लेनिन ने युद्ध साम्यवाद नामक आर्थिक नीतियों की एक शृंखला बनाई. जिसने उन्हें और मजबूत कर दिया. युद्ध के दौरान लेनिन ने औद्योगिकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया. उसने रेड आर्मी का भार किसानों पर डाल दिया.

आगे चलकर यह विनाशकारी साबित हुआ. नये राज्य के स्वामित्व वाली अर्थव्यवस्था के तहत, औद्योगिक और कृषि दोनों उत्पादन घट गए. 1921 में अनुमानित 50 लाख रूसियों की अकाल मृत्यु हो गई.

बड़े पैमाने पर अशांति ने सोवियत सरकार को खतरे में डाल दिया. परिणामस्वरूप, लेनिन ने अपनी नई आर्थिक नीति की स्थापना की, जो युद्ध कम्युनिज्म के पूर्ण राष्ट्रीयकरण से एक अस्थायी वापसी थी. नई आर्थिक नीति अधिक बाजार पर आधारित थी, जिसमें मुक्त बाजार और पूंजीवाद, दोनों राज्य नियंत्रण के अधीन थे.

चेका
बोल्शेविक क्रांति के तुरंत बाद, लेनिन ने रूस की पहली गुप्त पुलिस चेका की स्थापना की और जैसे ही गृहयुद्ध के दौरान अर्थव्यवस्था बिगड़ी, लेनिन ने चेका की मदद से बागियों को हत्या करवा दी. फिलहाल यह उपाय काम नहीं आया. अगस्त, 1918 में वह मॉस्को की एक फैक्टरी से निकल रहे थे, तभी प्रतिद्वंद्वी सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य फान्या कपलान ने उनके कंधे और गर्दन में गोली मार दी, जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गए.

लाल आतंक
लेनिन की हत्या के प्रयास के बाद, चेका ने एक अवधि की शुरुआत की, जिसे रेड टेरर के रूप में जाना जाता है. इसने जनवादी शासन के समर्थकों, रूस के उच्च वर्गों और लेनिन की कम्युनिस्ट पार्टी के प्रति निष्ठा रखने वाले सोशलिस्टों के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान चलाया. कुछ अनुमानों के अनुसार चेका ने सितंबर 1918 से अक्टूबर 1918 के बीच करीब एक लाख वर्गीय शत्रु (class enemies) की हत्या की.

यूएसएसआर की स्थापना
गृह युद्ध में जीत हासिल करने के बाद लेनिन ने 1922 से एक संधि कर जॉर्जिया, अर्मेनिया, अजरबैजान, इजान और यूक्रेन आदि के साथ मिलकर सोवियत यूनियन की स्थापना की और इसका पहला प्रमुख बने, लेकिन अब तक स्वास्थ्य खराब हो गया था. 1922 से लेकर 1924 तक लेनिन को एक के बाद एक कई बीमारियों का सामना करना पड़ा. इस कारण उनकी क्षमता खत्म हो गई. इस दौरान कम्युनिस्ट पार्टी के नए महासचिव जोसेफ स्टालिन ने अपनी ताकत बढ़ानी शुरू कर दी.

लेनिन की मृत्यु और उनका मकबरा
इस बीच 21 जनवरी, 1924 मॉस्को के पास गोर्की लेनिन्स्की में लेनिन की मृत्यु हो गई. उस समय उनकी अवस्था 54 वर्ष थी. स्टालिन ने उसके पहले ही सत्ता संभाल ली थी. लेनिन का शव मॉस्को के हाउस ऑफ ट्रेड यूनियंस में रखा गया था और अपने नेता को श्रद्धांजलि देने के लिए रूस की ठिठुरती ठंड में लाखों लोग घंटों लाइन में खड़ रहे.

लेनिन के पार्थिव शरीर को द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सुरक्षित रखने के लिए मॉस्को के रेड स्क्वॉयर स्थित मॉसोलियम से रूस के सुदूर शहर टाइमन तक कई बार लाया- ले जाया गया. रेड स्क्वायर में लेनिन के मकबरे में उनका शव अब भी दर्शनार्थ रखा गया है.

Last Updated : Apr 22, 2020, 11:08 PM IST

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