नई दिल्ली: एक सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ है कि देश देश के 16,000 अदालत परिसरों में से लगभग 15 प्रतिशत में महिलाओं के लिए शौचालय नहीं है.
हालांकि स्वच्छ भारत अभियान के तहत सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले साल नवंबर में अदालत परिसरों, विशेषकर जिला न्यायालयों में शौचालयों के नवीनीकरण और मरम्मत करने के लिए स्वच्छ न्यायालय परियोजना लॉन्च की थी. इस परियोजना को छह महीने में पूरा करने का लक्षय रखा गया था.
बता दें कि यह सर्वे न्यायिक सुधार के लिए वैध शोध करने वाली एक स्वायत्त थिंक टैंक विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी द्वारा किया गया. इस सर्वे में अदालत परिसरों में स्थित शौचालयों की दयनीय स्थिति का खुलासा हुआ है.
थिंक टैंक ने कहा कि 15 प्रतिशत अदालत परिसरों में महिलाओं के लिए शौचालय नहीं हैं.
आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, जम्मू एवं कश्मीर, झारखंड, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, मणिपुर, नागालैंड, ओडिशा, पंजाब, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल ऐसे राज्य हैं जहां अदालत परिसरों में महिलाओं के लिए शौचालय नहीं हैं.