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जम्मू-कश्मीर: 5 महीनों में 101 आतंकी ढेर, 50 नए भर्ती

जम्मू कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए तैयार सुरक्षाबलों ने इस साल के शुरुआती पांच महीनों में सौ से ज्यादा आतंकियों को ढेर कर दिया है. लेकिन युवाओं के आतंकी बनने की संख्या में भी लगातार इजाफा हुआ है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Jun 2, 2019, 6:25 PM IST

श्रीनगर: इस साल के पहले पांच महीने में कश्मीर में 23 विदेशी समेत 100 से अधिक आतंकवादी मारे गये हैं. हालांकि सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बड़ी संख्या में आतंकवादियों की भर्ती को लेकर है.

अधिकारियों ने बताया कि मार्च महीने से 50 युवक अनेक आतंकी संगठनों में शामिल हो चुके हैं और सुरक्षा एजेंसियों को उन तक जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति रोकने का बेहतर तरीका खोजना होगा.

अधिकारियों ने कहा कि 2019 में 31 मई तक 101 आतंकी मारे गये जिनमें 23 विदेशी और 78 स्थानीय आतंकी शामिल हैं. इनमें अल-कायदा से जुड़े समूह अंसार घजवत-उल-हिंद का प्रमुख जाकिर मूसा जैसे शीर्ष कमांडर शामिल हैं.

मुठेभेड़ के दौरान सेना के जवान

हालांकि अधिकारियों के मुताबिक हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकियों के अंसार घजवत-उल-हिंद में शामिल होने के मामले बढ़ गये हैं. 23 मई को मूसा के मारे जाने के बाद खासतौर पर ये मामले देखे गये हैं.

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आतंकवाद से मुकाबला करने या इसके लिए रणनीति बनाने में शामिल अधिकारियों का मानना है कि आतंकवाद निरोधक नीति पर पुनर्विचार की जरूरत है. इसके अलावा युवाओं को आतंकवाद की बुराइयां समझाने के लिए उनके तथा उनके माता-पिता के साथ बात करने की जरूरत है.

मारे गये आतंकवादियों में सर्वाधिक संख्या शोपियां से है जहां 16 स्थानीय आतंकियों समेत 25 आतंकवादी मारे गये. पुलवामा में 15, अवंतीपुरा में 14 और कुलगाम में 12 आतंकी मारे गये.

मुठभेड़ के दौरान सुरक्षा कर्मी

हालांकि दक्षिण कश्मीर के इन अति संवेदनशील क्षेत्रों से युवाओं के विभिन्न आतंकी समूहों में शामिल होने का सिलसिला भी जारी है.

अधिकारियों ने कहा कि घुसपैठ भी बढ़ रही है और कुछ आतंकी जम्मू क्षेत्र के पुंछ और राजौरी जिलों तथा कश्मीर घाटी में एलओसी (नियंत्रण रेखा) से आतंकी घुसपैठ में सफल रहे. इससे सुरक्षा बलों के लिए बहुत चिंताजनक स्थिति पैदा हो गयी है जो खुद को इस महीने के आखिर में शुरू हो रही अमरनाथ यात्रा के लिए तैयार कर रहे हैं.

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घाटी में 2010-2013 की तुलना में 2014 से युवाओं के हथियार उठाने के मामले बढ़े हैं.

पुलवामा में 14 फरवरी के आतंकी हमले के बाद अधिकारियों को लगता है कि आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ के बाद इन स्थानों पर स्थानीय लोगों के प्रदर्शन तथा पथराव देखे गये.

आतंकियों के मारे जाने के बाद पथराव करते स्थानीय लोग

आतंकियों को सुपुर्दे खाक करते समय भी बड़ी संख्या में लोग जमा हुए. पूरे घटनाक्रम से ऐसा माहौल बन सकता है जो नये आतंकियों की भर्ती के लिए मुफीद बन जाए.

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